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प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

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प्राकृतिक आधार पर किसानों को वैज्ञानिक आधार पर मृदा शक्ति बढ़ाने, वैज्ञानिक आधार पर कृषि की पैदावार बढ़ाने, और किसानों को उन्नत पैदावार के आधार पर आत्मनिर्भर बनाने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया.

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40 किसानों ने सीखे रसायन मुक्त खेती करने के गुर किशनगंज. प्राकृतिक खेती परियोजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में 19-20 अगस्त को प्राकृतिक आधार पर किसानों को वैज्ञानिक आधार पर मृदा शक्ति बढ़ाने, वैज्ञानिक आधार पर कृषि की पैदावार बढ़ाने, और किसानों को उन्नत पैदावार के आधार पर आत्मनिर्भर बनाने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ, तकनीकी और कार्यप्रणाली से भी अवगत कराना था. प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरुआत वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डा राजीव सिंह, विज्ञानी डा मंजू कुमारी, डा अलीमुल इस्लाम एवं वहां पर उपस्थित किसानों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया. प्रमुख वक्ताओं के रूप में डा राजीव सिंह ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि प्राकृतिक खेती में कीट प्रबंधन की विभिन्न तकनीकों की जानकारी एवं खरीफ फसलों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मित्र कीटों की पहचान बताने के साथ इनके संरक्षण के उपाय बताए. प्रशिक्षण के दौरान प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, प्राकृतिक खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती के महत्व एवं प्राकृतिक खेती में पोषक तत्व प्रबंधन, कीट एवं व्याधि नियंत्रण के विभिन्न तरीकों के बारे में विस्तार से बताया . ऑनलाइन माध्यम से जुडी कृषि एवं प्राकृतिक विज्ञान संस्थान, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य डा नुपुर सिंह ने प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, महत्त्व एवं इससे पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले फायदों की जानकारी देते हुए कहा कि कार्बन जमीन का हृदय है व कार्बनिक पदार्थ को जमीन में बनाये रखना अतिआवश्यक है . और प्राकृतिक खेती ही एक ऐसा माध्यम है जिससे हम आने वाली पीढ़ियों को विभिन्न बीमारियों से संरक्षित कर सकते हैं. प्रशिक्षण प्रभारी डॉ अलीमुल इस्लाम ने किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती में अंतर, प्राकृतिक खेती का महत्व एवं प्राकृतिक खेती के लिए पोषक तत्व प्रबंधन के लिए जीवामृत, घनजीवामृत बनाना एवं हरी खाद के उपयोग के तरीकों के बारे में बताया. पौध संरक्षण के लिए दशपर्णी अर्क बनना, अग्नि अस्त्र बनाना, सोंठास्त्र बनाना, नीमास्त्र बनाना एवं रोग नियंत्रण के लिए ठंडे पानी का उपयोग एवं खट्टी छाछ की उपयोगिता की विस्तारपूर्वक जानकारी दी. प्राकृतिक खेती के आर्थिक लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विधि किसानों की आय में वृद्धि कर सकती है. उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से यह समझाया कि किस प्रकार प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान अपने उत्पादन को बढ़ा सकते हैं और अपनी आय में सुधार कर सकते हैं. दिन के प्रथम दिन के अंत में वैज्ञानिक डा् मंजू कुमारी के द्वारा प्राकृतिक खेती से कैसे सब्जी और फल को लगाया जाये इसके बारे में किसानों से विस्तृत जानकारी दी गयी. प्रशिक्षण के दूसरे दिन, किसानों को प्रगतिशील किसान विकास कुमार झा के प्रक्षेत्र का भ्रमण कराया गया, जो ग्राम खानाबाडी, पंचायत रसिया, प्रखंड ठाकुरगंज में स्थित है. इस दौरान किसानों ने प्राकृतिक खेती की वास्तविक स्थितियों का निरीक्षण किया और श्री झा से उनकी खेती की विधियों के बारे में सीखा. यह भ्रमण किसानों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा और उन्होंने प्राकृतिक खेती के प्रति गहरी रुचि दिखाई l इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के विभिन्न गांवों से आए 40 से अधिक किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम के अंत में वारिस हबीब ने उपस्थित सभी गणमान्यों का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करने में मदद मिलेगी, जिससे वे अधिक लाभ अर्जित कर सकेंगे.

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