मनोज कुमार, पटना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल वर्ष 2014 में गांवों को गोद लेकर आदर्श बनाने की योजना की नींव रखी. लोकसभा और राज्यसभा सांसदों से गांवों को आदर्श बनाने का आह्वान किया. इस योजना के 10 साल बीत गये. बिहार में सांसद आदर्श ग्राम की स्थिति ठीक नहीं है. इन 10 साल में बिहार के लोकसभा के 40 सांसदों और राज्यसभा सदस्यों की ओर से चयनित 117 पंचायतों के लिए 6265 परियोजनाएं स्वीकृत की गयीं. वर्तमान स्थिति यह है कि इन 6265 परियोजनाओं में 2083 परियोजनाएं ही अभी तक पूर्ण हुई हैं. 3452 परियोजनाओं पर अभी कार्य शुरू ही नहीं हुआ है. बिहार के सांसदों ने इन 10 वर्षों में कुल 208 पंचायतों को खुशहाल करने के लिए चयनित किया. इनमें 117 ग्राम पंचायतों के लिए ग्राम विकास योजनाएं तैयार हो सकी हैं.
वर्ष 2014 से 2019 के कार्यकाल में बिहार के 40 सांसदों ने 65 ग्राम पंचायत आदर्श बनाने के लिए चिह्नित किये. राज्यसभा सदस्यों ने 16 पंचायतों का चयन किया. कुल 81 में 60 पंचायतों के लिए ही योजनाएं तैयार हो सकीं. इसके तहत 4824 परियोजनाएं स्वीकृत की गयीं. इनमें 1897 परियोजनाएं ही पूर्ण हो सकी हैं. 582 पर अभी कार्य चल रहा है, जबकि 2345 योजनाओं पर कार्य अभी शुरू ही नहीं हुआ है. इस अवधि में मात्र 39.32% योजनाएं पूर्ण हुई हैं. 12.06% परियोजनाओं पर कार्य अभी चल रहा है. 48.61% योजनाओं पर कार्य अभी शुरू ही नहीं हुआ है. वर्ष 2019 से 2024 की अवधि में लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों ने 127 पंचायतों को आदर्श बनाने के लिए चिह्नित किया. इनमें सुपौल के पांच, पूर्णिया के तीन और किशनगंज की दो पंचायतों को मिलाकर कुल 10 पंचायतों का विवरण ही अभी प्रस्तुत नहीं किया गया है. 117 पंचायतों में मात्र 57 पंचायतों की ही ग्राम विकास योजनाएं तैयार की जा सकी हैं. 57 पंचायतों के विकास के लिए कुल 1441 परियोजनाएं स्वीकृत की गयीं. इनमें 186 परियोजनाएं ही अभी पूर्ण हुई हैं. 148 परियोजनाओं पर कार्य चल रहे हैं. 1107 परियोजनाओं पर कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है