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नाव पर कदम डालते ही कांप उठता सुमन का कलेजा

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सुमन मिश्र का जीवन दिल्ली में बीता. स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई वहीं की.

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अभिलाष चौधरी, गौड़ाबौराम. सुमन मिश्र का जीवन दिल्ली में बीता. स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई वहीं की. सड़कों पर फर्राटा दौड़ लगाती गाड़ियों के बीच हाइटेक व्यवस्थाओं में जिंदगी का अधिकांश वक्त गुजरा. कभी बाढ़ देखी नहीं. आज उफान मारती कमला बलान की धारा पर डगमग-डगमग करती नाव की सवारी करनी पड़ रही है. दरअसल सुमन शिक्षिका हैं. रही टोल के प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित हैं. जब वे नाव पर कदम डालती हैं, तो एक बार कलेजा कांप उठता है. दहशत के साये में अपने कर्त्तव्य का पालन करते हुए सुदूर देहात के बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियाला फैला रही हैं. यह स्थिति मात्र एक शिक्षिका सुमन मिश्र की नहीं हैं, इस क्षेत्र के विद्यालयों में दर्जनों शिक्षिकाएं हैं, जिन्हे हाल ही में बीपीएससी के माध्यम से ली गयी परीक्षा के बाद इस स्कूल में पदस्थापित किया गया है. कोई दिल्ली से नौकरी करने यहां आयी है, तो कोई यूपी से आकर नौकरी कर रही है. पटना सहित बाढ़ से बेखबर बिहार के अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में शिक्षिकाओं के साथ शिक्षक इस नये अनुभव से रु-ब-रु हो रहे हैं. शहरी क्षेत्र से आकर ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का अलख जगाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं में बाढ़ को लेकर दहशत व्याप्त है. कमला बलान के उफनाते ही खासकर शिक्षिकाओं की शामत आ गयी. हर साल बाढ़ का दंश झेलने वाले अधिकांश पुराने व स्थानीय शिक्षकों के लिए भले ही यह सामान्य सी बात हो, परंतु जिन्होंने जिंदगी में कभी नाव का मुंह नहीं देखा, उनकी मन:स्थिति को सहज ही समझा जा सकता है. रही टोल प्रावि में पांच शिक्षिकाएं पदस्थापित हैं. वहीं महज एक शिक्षक शिवनारायण चौपाल प्रभारी एचएम का कार्य संभालते हैं. उनका कहना है कि इन शिक्षिकाओं को स्कूल साथ लेकर जाना पड़ता है. सभी डरे-सहम व गिरते-पड़ते स्कूल पहुंचती हैं. शिक्षिका सुमन मिश्र ने बताया कि वह बचपन से ही दिल्ली में रहती थी. कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसे दुर्गम क्षेत्र में नौकरी करना पड़ेगा. बताया कि बाढ़ आने पर यहां नाव में सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं है. नाव पकड़ने के लिए तटबंध से जहां उतरती हैं, वहां का ढलान इतना भयानक है कि जरा सी चूक हुई तो लोग लुढ़ककर सीधे नदी में समा जायेंगे. तेज बहाव में जब नाव डगमगाता है तो हलक सूख जाता है. नाव से उतरने के बाद एक किमी पैदल चलना पड़ता है. पिछले दो दिनों से तो सड़क पर भी बाढ़ का पानी था. अब सड़क सूख गयी है. वहीं पटना बुद्धा कॉलोनी की रहने वाली अमीषा कुमारी का कहना है कि दो दिन पहले सड़क पर जमा पानी में चलने के कारण शरीर में लाल निशान बन आया है. डॉक्टर से दिखाने पर पता चला कि पानी से एलर्जी हुआ है. समय पर स्कूल पहुंचने के लिए सुबह सात बजे ही घर से निकल जाते हैं. करीब एक घंटा का समय नाव के चक्कर में बर्बाद हो जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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