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जिले में बढ़ रहे टीबी के मरीज, 3940 मरीज चिन्हित

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जिले में टीबी मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जिला यक्ष्मा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी 2024 से जून 2024 तक जिले 3940 टीबी मरीज चिन्हित किया गया है.

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मधुबनी. जिले में टीबी मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जिला यक्ष्मा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी 2024 से जून 2024 तक जिले 3940 टीबी मरीज चिन्हित किया गया है. टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर शुक्रवार को मॉडल अस्पताल में समीक्षा बैठक की गयी. बैठक में डीपीसी पंकज कुमार ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के निर्देश के आलोक में जिला यक्ष्मा विभाग अपने स्तर से टीबी मरीजों का लगातार पर्यवेक्षण एवं निगरानी कर रहा है. उन्होंने कहा कि जिले में जनवरी 2024 से जून 2024 तक टीबी के 3940 मरीज चिन्हित किया गया है. इसमें प्राइवेट में 2699 एवं सरकारी संस्थानों में 1241 मरीज शामिल हैं. इसमें एमडीआर के 90 मरीज चिन्हित किया गया है. उन्होंने कह कि जून माह में में टीबी के 686 मरीज चिन्हित हुए है. जिसमें सरकारी संस्थानों में 237 एवं प्राइवेट में 444 मरीजों की पहचान हुई. इसमें एमडीआर के 15 मरीजों की पहचान की गई है. एमडीआर के मरीजों का उपचार 9 माह से 2 साल तक चलता है. जिले में टीबी मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण अधिकतर मरीजों द्वारा बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन छोड़ना है. इसकी रोकथाम के लिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरूआत की गई है. इस योजना के तहत टीबी मरीजों को गोद लिया जाता है. इसके लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह से प्रयासरत है. लेकिन अब आमलोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है. ताकि टीबी उन्मूलन अभियान की लड़ाई में आसानी से विजय प्राप्त किया जा सके. बैठक में शामिल सभी एसटीएस एवं एसटीएलएल को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष रणनीति के तहत काम करने का निर्देश दिया.

सरकारी अस्पताल में ही कराएं अपने टीबी का इलाज

डीपीसी पंकज कुमार ने कहा कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज से लेकर जांच तक की व्यवस्था निःशुल्क उपलब्ध है. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि दवा के साथ साथ टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए प्रतिमाह आर्थिक सहायता राशि भी दी जाती है. फिर भी देखा जा रहा है कि कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े-बड़े निजी अस्पतालों या फिर बड़े शहर की ओर रुख कर जाते हैं. हालांकि उन्हें फिर वहां से निराश होकर संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों की शरण में ही आना पड़ता है. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को जैसे ही टीबी के बारे में पता चले तो सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल जाकर जांच कराएं. जिले में अब टीबी के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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