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शायर हशमत सिद्दी के काव्य संकलन ‘अंदाजे-गुफ्तगू’ का विमोचन

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राजधानी पटना में सीमांचल के प्रसिद्ध शायर हशमत सिद्दीकी के गजलों और नज्मों के संकलन ‘अंदाजे-गुफ्तगू’ का विमोचन किया गया. इस अवसर पर एक मुशायरा आयोजित हुआ. कार्यक्रम के पहले सत्र में उर्दू के जाने माने लेखक मुश्ताक अहमद नूरी ने हशमत सिद्दीकी की गजलों और नज्मों के संकलन अंदाजे-गुफ्तगू पर अपने विचार रखे.

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लाइफ रिपोर्टर, पटना:

राजधानी पटना में सीमांचल के प्रसिद्ध शायर हशमत सिद्दीकी के गजलों और नज्मों के संकलन ‘अंदाजे-गुफ्तगू’ का विमोचन किया गया. इस अवसर पर एक मुशायरा आयोजित हुआ. कार्यक्रम के पहले सत्र में उर्दू के जाने माने लेखक मुश्ताक अहमद नूरी ने हशमत सिद्दीकी की गजलों और नज्मों के संकलन अंदाजे-गुफ्तगू पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा पिछले कई दशकों से उर्दू शायरी को अपनी लेखनी से समृद्ध कर रहे हशमत सिद्दीकी की रचनाओं में जहां एक ओर एहसास की खूबसूरत अक्कासी है, वहीं ज्वलंत सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर भी उनकी पैनी नजर है. उनकी शैली सरल, दिलचस्प और पाठकों के दिल में सीधे उतर जानेवाली है. दूसरे सत्र में एक मुशायरा सह कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले पटना के हिन्दी और ऊर्दू जगत के वरिष्ठ और युवा साहित्यकारों ने अपनी अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया.

शायरों और कवियों ने सुनाए उम्दा कलाम

कवि और लेखक शिवदयाल ने अपनी कविताएं -नागरिकता,बात को सामने रखा. वहीं समीर परिमल ने दास्तां लंबी है, पन्ने कम हैं, उसपर शर्त ये छोड़ने दोनों तरफ़ हैं हाशिए, आ जाइए को पढ़ा. जबकि नीलांशु रंजन ने नज़्म कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है को पढ़ा. भगवती प्रसाद द्विवेदीने नवगीत- ‘नयी कोंपलों की खातिर’ तुम्हें मुबारक रश्मि दूधिया चकाचौंध वाली और हम तो दियना-बाती,तम में जलते जायेंगे, सुहैल फारूखी ने आज के सामने आता नहीं कल का चेहरा और बदला बदला नजर आता है. कार्यक्रम का संचालन शायर संजय कुमार कुन्दन द्वारा किया गया.

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