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दुर्घटना में घायलों के बेहतर इलाज की नहीं हुई व्यवस्था, बना चुनावी मुद्दा

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भले ही एनएच टू का विस्तार कर सिक्सलेन सड़क का निर्माण व रेलवे लाइन का विस्तार कर पांच लाइनें बना दिये गये हैं, लेकिन अब तक सड़क और ट्रेन दुर्घटना में घायलों के इलाज के लिए मोहनिया अनुमंडल क्षेत्र में कोई व्यवस्था नहीं की गयी.

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मोहनियां शहर. भले ही एनएच टू का विस्तार कर सिक्सलेन सड़क का निर्माण व रेलवे लाइन का विस्तार कर पांच लाइनें बना दिये गये हैं, लेकिन अब तक सड़क और ट्रेन दुर्घटना में घायलों के इलाज के लिए मोहनिया अनुमंडल क्षेत्र में कोई व्यवस्था नहीं की गयी. इससे कई लोग बेहतर इलाज के अभाव में जान गंवा रहे हैं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी इस गंभीर समस्या पर ध्यान नहीं है. जबकि, सड़क व रेल दुर्घटना में हल्का व गंभीर रूप से घायल मरीज को मोहनिया अस्पताल में प्राथमिक इलाज कर बेहतर इलाज के लिए वाराणसी के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया जाता हैं, लेकिन, दूरी अधिक होने के कारण व समय से इलाज नहीं मिलने के कारण कई रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं, ऐसे में यह गंभीर समस्या इस बार लोकसभा चुनाव में मुद्दा बन सकता है. गौरतलब है कि अनुमंडलीय अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में भले ही लाखों रुपये खर्च कर ट्राॅमा सेंटर खोल अस्पताल में बड़ा-बड़ा ट्राॅमा सेंटर का बोर्ड लगा दिया गया है, लेकिन अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर के ही भरोसे ही ट्राॅमा सेंटर भी चल रहा है. इसके लिए अलग से कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर की व्यवस्था नहीं की गयी है. यदि कोई घायल ट्राॅमा सेंटर का बोर्ड देख इलाज के लिए अस्पताल पहुंच जाये, तो यहां रेफर के सिवा कुछ नहीं होता है. भले ही अनुमंडलीय अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में ट्राॅमा सेंटर का बोर्ड लगा खोला गया है, लेकिन सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी उपलब्ध नहीं है. गंभीर रूप से घायल मरीजों को केवल रेफर कर दिया जाता हैं, जिसके कारण रास्ते में ही गंभीर रूप से घायल मरीज बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. # ट्राॅमा सेंटर के लिए क्या है जरूरी एक ट्रॉमा सेंटर को चलाने के लिए हड्डी रोग विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन, जनरल सर्जन सहित ए ग्रेड प्रशिक्षित नर्स व अन्य स्टाफ सीटी स्कैन, अटैच ब्लड बैंक, एमआरआइ, डिजिटल एक्स रे, मूर्क्षक सहित 24 घंटे बिजली व पानी आदी की सुविधाओं का होना जरूरी होता है. लेकिन, ट्राॅमा सेंटर तो खोल दिया गया, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ उपकरण तक की व्यवस्था नहीं की गयी है. एक ट्राॅमा सेंटर के लिए सबसे जरूरी हड्डी डॉक्टर की आवश्यकता होती है, लेकिन अस्पताल में एक भी हड्डी रोग चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं. जनरल चिकित्सक यहां पहले से पदस्थापित हैं, वे भी केवल मरीजों को रेफर कर अपना पीछा छुड़ाना जानते हैं. # जीटी रोड पर हमेशा होती है दुर्घटना कैमूर जिले में मोहनिया अनुमंडल मुख्यालय काफी अहम है, इसी अनुमंडल मुख्यालय से दिल्ली से कोलकाता को जाने वाले एनएच टू व रेलवे लाइन गुजरे है. इसके साथ ही एनएच 30 सड़क भी मोहनिया से ही होकर आरा भाया पटना को जाती है. जाहिर सी बात है कि सड़क और रेल का मार्ग होने के कारण हमेशा दुर्घटना होती है, जिसके कई लोग गंभीर रूप से घायल होते है. लेकिन, कैमूर जिला ही नहीं पूरे शाहाबाद में एक भी ट्राॅमा सेंटर नहीं होने के कारण लोग वाराणसी इलाज के लिए जाते हैं, लेकिन रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. यहां इस लोकसभा चुनाव में यह मुख्य चुनावी मुद्दा बना हुआ है. # क्या कहते हैं लोग –इस संबंध में घटाव गांव निवासी रणविजय सिंह ने बताया एनएच टू , एनएच 30 व रेलवे लाइन होने के कारण यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है, लेकिन बेहतर इलाज के लिए पूरे शाहाबाद क्षेत्र में कहीं व्यवस्था नहीं हैं. इसके लिए जनप्रतिनिधि को व्यवस्था करनी चाहिए. इस चुनाव में यही हमारे लिए मुख्य मुद्दा है. –इस संबंध में तुलसीपुर के मनोज चौबे ने बताया दुर्घटना में घायलों के बेहतर इलाज के लिए मोहनिया में सारी सुविधा से युक्त एक ट्रॉमा सेंटर अवश्य होना चाहिए, ताकि लोगों काे बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके, लेकिन इस पर किसी का भी ध्यान नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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