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पहले किया मतदान फिर मां का किया पिंडदान

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मिथिला के इतिहास को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि एक समय जब ऐसा आया कि मिथिला के राजा का सिंहासन खाली था तो व्यवस्था संचालन को लेकर इसे वैशाली से जोड़ दिया गया.

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समस्तीपुर : मिथिलांचल पौराणिक संस्कारों, विचारों व लोकतांत्रिक व्यवस्था की धरोहर रही है. मिथिला के इतिहास को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि एक समय जब ऐसा आया कि मिथिला के राजा का सिंहासन खाली था तो व्यवस्था संचालन को लेकर इसे वैशाली से जोड़ दिया गया. यही वजह है कि वैशाली को विश्व का पहला गणराज्य भी कहा जाता है. यहां धार्मिक आस्था के साथ आज भी लोकतंत्र की जड़ किस तरह से मजबूत है इसे सोमवार को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला. जब जिला मुख्यालय से सटे समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले कर्पूरीग्राम स्थित बूथ संख्या 63 पर अपनी मां का उतरी लेकर पहले वोट गिराने के लिए राज कुमार सिंह पहुंचे. एक हाथ में बांस की हरी करची, कंधे पर उतरी व दूसरे हाथ में मतदाता पहचान पत्र थामे अपनी बारी का इंतजार करते नजर आये. लोग उन्हें पहले मतदान कराने को लेकर उत्सुक थे ताकि उनके माता का पिंडदान समय से हो सके. परंतु राज कुमार लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप अपनी बारी आने पर ही वोट गिराने के लिए राजी थे. ताकि व्यवस्था में कोई खलल न हो. लंबी कतार के बीच खड़े राज कुमार ने बताया कि उनकी माता का बीते 10 मई को ही निधन हो गया. मुखाग्नि उन्होंने ही दी थी. तीन दिन बाद ही 13 मई को लोकसभा चुनाव था जिसमें अपने भागीदारी को महत्वपूर्ण मानते हुए वे सीधे मतदान केंद्र पर पहुंच गये. ताकि धार्मिक क्रियाओं के साथ ही लोकतांत्रिक व्यवस्था दोनों को एक साथ मजबूती दे सकें. राज कुमार के इस जज्बे को देखकर प्रतीत हो रहा था कि देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़े काफी गहरी है. इसे कोई भी हिला नहीं सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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