24.1 C
Ranchi
Monday, February 24, 2025 | 01:59 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

चूड़ियों की खनक के साथ सामाजिक सरोकार को भी मिलता था स्वर

Advertisement

शहर के चूड़ी बाजार में होती थी आधी आबादी की चुनावी चर्चा, 90 के दशक तक चूड़ी बाजार में ही एक-दूसरे से मिलती थीं महिलाएं

Audio Book

ऑडियो सुनें

छपरा. नब्बे के दशक तक शहर के सरकारी बाजार और साढ़ा ढाला के नजदीक स्थित चूड़ी बाजारों की रौनक देखने लायक होती थी. गांव से लेकर शहर तक की माहिलाएं यहां चूड़ियों के साथ श्रृंगार के अन्य सामान खरीदने आया करती थीं. तब माहिलाओं को महीने में एक या दो बार घर से बाहर निकलकर अपने जरूरत के सामान खरीदने का मौका मिलता था. खरीदारी के दौरान उन चूड़ियों की खनक के बीच सामाजिक सरोकार से जुड़ी बातों को भी नया स्वर मिलता था. शादी ब्याह के सीजन में जब कभी भी चुनाव की तिथियां तय होती थीं तब यह बाजार अक्सर आधी आबादी की चुनावी चर्चाओं का केंद्र बनता था. जब चुनाव का समय आता था तब इस बाजार में श्रृंगार प्रसाधनों की खरीद-बिक्री के साथ चुनावी चर्चा भी हुआ करती थी. तब बाजार आकर ही महिलाओं को घंटे दो घंटे एक दूसरे से बातचीत का अवसर मिलता था. बातचीत के क्रम में महिलाओं के बीच आपसी मंत्रणा होती थी. चुनाव के समय प्रत्याशियों के बैनर व पोस्टर भी इन बाजारों में चारो तरफ लगाये जाते थे जिससे महिलाओं को अपने उम्मीदवारों को जानने और समझने का मौका मिलता था. शहर के मौना निवासी बुजुर्ग शारदा देवी बताती है कि महीने में एक बार आसपास की माहिलाएं चूड़ी बाजार जाती थीं. चूड़ियों की खरीदारी भी होती थी और आपस में घर परिवार से लेकर समाज तक की चर्चा की जाती थी. जब चुनाव आता तब चूड़ी बाजार की गली में भी प्रत्याशी आते थे. पुरुष प्रत्याशियों के साथ उनकी महिला समर्थक भी होती थी. वह हमसे वोट की अपील करती थीं. मोहन नगर की सरोज देवी बताती हैं कि ऐसा नही था कि इन बाजारों में आयी माहिलाएं सिर्फ शौक-श्रृंगार की ही चर्चा करती थी बल्कि अपने मुहल्ले से जुड़ी बातें, सड़क, पानी और बिजली जैसे मुद्दे भी इन बाजारों में छाये रहते थे. चूड़ी बाजार आयी माहिलायएं शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी बातें भी किया करती थी. वहीं चुनाव के समय उम्मीदवारों से जुड़ी जानकारियां भी यहां साझा हुआ करती थीं. आज समय के साथ शहर के चूड़ी बाजार गुमनाम होते जा रहे हैं. कुछ दुकानों से चूड़ियों की खनक तो सुनाई पड़ती है लेकिन समाजिक सरोकार के स्वर अब नही गूंजते.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें