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मधुआ कीड़ों के प्रकोप से आम किसान परेशान

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मधुआ कीड़ों के प्रकोप से आम किसान परेशान

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गोगरी. अनुमंडल क्षेत्र में इन दिनों आम बागानों में कीड़ों के प्रकोप से बागान मालिक परेशान दिख रहे हैं. बताया जाता है कि इन मौसम में उतार-चढ़ाव के चलते टिकोले के डंठल व पत्तों में मधुआ कीट का प्रकोप शुरू हो गया है. इससे बागान मालिकों के बीच में मायूसी छा गयी है. हालांकि आम उत्पादक किसानों का कहना है कि अनुमंडल क्षेत्र में लगभग 90 प्रतिशत पेड़ों में अच्छे टिकोले आये हैं. कुछ दिन पहले चली पूर्व और उसके बाद इधर से चल रही पछिया हवा के तेज रफ्तार एवं प्रचंड धूप के समावेश के कारण 10 दिनों दोनों में टिकोले सूख कर गिरने लगा है. बोले किसान- आम उत्पादक किसान मुकेश मिश्रा, प्रभाकर सिंह, नवीन सिंह, रजनीश दास, राजकुमार रजक, दिलीप सिंह आदि ने बताया कि इन दिनों मौसम विपरीत चल रहा है. अप्रैल समाप्त होने के साथ ही मई माह अब शुरू हो चुका है. अब तक एक भी दिन बारिश क्षेत्र में नहीं हुई है. आसमानी बारिश आम के टिकोले के डंठल पर पड़ने के बाद मजबूत हो जाता है. बारिश होने के बाद कीड़ों का प्रकोप भी कम हो जाता है. लेकिन विपरीत मौसम की वजह से आम के पेड़ों पर मधुआ रोग प्रकोप शुरू हो गया है. दवाई का भी नहीं हो रहा कोई असर- स्थिति यह है कि आम के पेड़ों पर दवाई के छिड़काव करने के बावजूद भी टिकोले गिरना बंद नहीं हो रहा है. इन लोगों ने बताया कि मधुआ रोग के चलते डंठल पीला पड़ने के बाद सूख रहा है और बाद में सड़क पर गिर जाता है. इन लोगों का कहना है कि अगर बारिश नहीं हुई व इसी तरह गर्मी लगातार चलता रहा तो सब टिकोला नीचे गिरकर खत्म हो जायेगा. इससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान पहुंचेगा. किसानों ने बताया कि पिछले दो वर्षों के बाद इस बार आम के पेड़ों पर अच्छी मंजर आने के चलते आम की डाली टिकोला से लद गया है. लेकिन रोगों के प्रकोप के चलते अब टिकोले झड़ने लगे हैं बताया की दवा छिड़काव सहित रखरखाव पर काफी खर्च आता है. वहीं कृषि विभाग द्वारा बर्बाद हो रहे आम को बचाने के प्रति कोई पहल नहीं कर रहा है. जानकारी के लिए जब ब्लॉक में पदस्थापित कृषि समन्वयक के पास जाते हैं तो, वह ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं. लिहाजा जानकारी के अभाव में किसान पुराने पद्धति से कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं. लेकिन कीटनाशक दवा का छिड़काव करने के बाद भी लाही कीड़ा का प्रकोप जारी है. बोले पदाधिकारी- इधर प्रखंड कृषि पदाधिकारी लाल बाबू ने बताया कि पेड़ से टिकोले के गिरने का कई कारण हो सकता है. पहला कारण बीमारी हो सकता है तो दूसरा पेड़ों में अधिक फल लगने से टिकोला गिरने का कारण बन सकता है. उन्होंने बताया कि कीटनाशकों का छिड़काव करने से टिकोले को बचाया जा सकता है. क्योंकि इस मौसम में मधुआ कीड़े का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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