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गर्मी बढ़ने के साथ ही तेजी से भाग रहा जल स्तर

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जिस तरह से जल स्तर नीचे जा रहा है, संभावना है कि मई तक करीब 10 फीट तक जल स्तर नीचे चला जायेगा.

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अरवल.

जिस तरह से जल स्तर नीचे जा रहा है, संभावना है कि मई तक करीब 10 फीट तक जल स्तर नीचे चला जायेगा. ऐसे में लगातार हो रहे भू-जल का दोहन से जिला के बंशी कुर्था और करपी प्रखंड के कुछ पंचायतों में जल संकट उत्पन्न होने की संभावना है. मालूम हो कि इस साल मार्च से ही देश के ज्यादातर हिस्से में गर्म हवाएं चल रही हैं. अप्रैल में ही तापमान 43 डिग्री पार हो गया था. मई माह अभी प्रारंभ हुआ है लेकिन तपिश में कोई कमी नहीं आयी है. समय से पहले गर्मी का तेजी से बढ़ना साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन की ओर संकेत करता है. ये साफ है कि आने वाले दिनों में जलवायु परिवर्तन के कारण हमें कई चुनौतियों से जूझना होगा.

इस बार भी जल संकट की शुरुआत सोन तटीय क्षेत्र में हो गयी है. इसके पीछे कारण भू-जल स्तर का गिरना और इलाके में नहर, तालाब का सुखना. जिला के कई गांव ऐसे हैं, जहां मई और जून महीने में पीने का पानी भी खत्म हो जाता है. यहां तक कि जानवरों के लिए भी पीने कि पानी का समस्या उत्पन्न हो जाती है.2018 में ही जिला के बंशी प्रखंड के कई गांव में चापाकल सुख गया था करपी प्रखंड के परियारी और नगवा पंचायत के झूनाठी गांव में ऐसा स्थिति उत्पन्न हो गया था कि गांव के सबमर्सिबल बोरिंग ही केवल चल रहे थे बाकी सभी चापाकल जवाब दे दिया था. हालांकि अब सभी गावों में नल जल का टंकी लगा हुआ है. हर घर नल के जल का पानी नहीं भी मिलने पर पीने के पानी का संकट नहीं होगा. स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार ने कहा कि अभी वैसी रिपोर्ट नहीं आयी है. धावा दल का गठन किया गया है. खराब पड़े चपाकल का मरम्मत किया जा रहा है. अबतक 224 खराब पड़े चापाकल की मरम्मत किया जा चुका है. इसके लिए नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किए हुए है. अगर कोई सूचना देता है तब अरवल से धावा दल जाकर चापाकल को दुरुस्त करता है. उन्होंने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए पीएचइडी विभाग ने मोबाइल दल का गठन किया गया है. जिसमें इंजीनियर के साथ टेक्निकल और मैकेनिकल टीम को भी लगाया है. साथ ही सभी टीम को दोपहिया और चारपहिया वाहन दिया गया है.

224 चापाकल की हुई मरम्मत :

जिले में अब तक 224 चापाकल की मरम्मत की गयी है. कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि नए चापाकल में नल-जल योजना बन रहा बाधक. सरकार कि नजर में जिला के सभी पंचायतों में और नगर परिषद क्षेत्र में नल जल योजना चालू है. और लोगो को शुद्ध नल का जल मिल रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कह रहा है. ग्रामीण और शहरी इलाके के लोगो को न ही नल का जल के पानी मिल रहा है न ही नया चापाकल के लिए कोई योजना आ रहा है जिससे पीने के लिए पानी कि समस्या से निजात मिल सके.

तेजी से भाग रहा जल स्तर :

जिले में एक महीने में दो फुट तक भू-जल स्तर भागा है. विभागीय आकड़ा के अनुसार मार्च महीना में करपी प्रखंड में जहां भू-जल 16.7 फुट पर था, वहीं 30 अप्रैल के बाद 18.36 फुट चला गया. इसी तरह कुर्था में मार्च महीना में मार्च माह में 48.66 फुट पर पानी था, वहीं अप्रैल माह में 48.66 फुट पर पानी है. वंशी प्रखंड में 33.39 फुट पर पानी था. अप्रैल माह में 33.79 फुट पर पानी है. कलेर प्रखंड में मार्च माह में 21.37 फुट पर पानी था, वहीं अप्रैल माह में 22 फुट पर पानी है. अरवल में 17.9 फुट पर पानी था, वहीं अप्रैल माह में 18.63 फुट पर भू-जल का पानी है. अगर इसी तरह से गर्मी पड़ते रहा तो जिले के कई इलाकों में पानी कि भीषण समस्या उत्पन्न हो सकती है. पिछले वर्ष के मुकाबले दस फुट पानी नीचे चला गया है. पिछले वर्ष कुर्था में जहां 32 फुट था जबकि इस वर्ष अप्रैल में 48.81 फुट पर पानी मिल रहा है, उसी तरह वंशी में 28.86 फुट पर पानी था, जबकि इस वर्ष अप्रैल तक में 33.78 फुट पर पानी मिल रहा है. आंकड़े के अनुसार पिछले वर्ष की भांति कुर्था में इस वर्ष 18 फुट तक पानी नीचे चला गया. वहां पर कोई गांव में साधारण चापाकल नहीं चल रहा है. अगर समय पर इस वर्ष बरसात नहीं हुई तो आने वाले समय में जल संकट आ सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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