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हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी हनुमान जयंती

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प्रत्येक वर्ष चैत माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि अर्थात मंगलवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया.

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मधुबनी. प्रत्येक वर्ष चैत माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि अर्थात मंगलवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बजरंगबली बलवान और निडर हैं. उनके समक्ष कोई भी शक्ति टिक नहीं पाता है. इसके अलावे हनुमानजी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं. उनकी कृपा से कार्यों में आ रही बाधाएं जल्द दूर होने लगती है. शास्त्रों के अनुसार आठ चिरंजीवियों में भगवान हनुमान एक हैं. उनकी विशेष कृपा पाने के लिए हनुमान जन्मोत्सव का दिन बेहद खास है. इस दौरान भक्तों द्वारा की गई सच्चे मन से पूजा फलदायी होती है. हनुमान जन्मोत्सव पर जिले के विभिन्न मंदिरों में पूजा पाठ व भंडारों के आयोजन किया गया. साथ ही उनके जन्म से जुड़ी कथाओं का भी पाठ किया गया. स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पं. पंकज झा शास्त्री ने कहा कि धर्मग्रंथों के अनुसार एक बार भूख से व्याकुल बाल्य अवस्था में हनुमान जी ने भोजन की लालसा में सूर्य देव को फल समझकर निगल लिया था. पृथ्वी पर चारों ओर अंधेरा छा गया. जिसके बाद जब इंद्र देव ने हनुमान जी से सूर्य देव को अपने मुंह से निकालने के लिए कहा. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. इससे इंद्र देव क्रोधित हो गए और उन्होंने हनुमान जी पर बज्र से प्रहार कर दिया. बज्र के प्रहार से वे बेहोश होकर गिर गए. यह देखकर पवन देव क्रोधित हो गये और उन्होंने समस्त संसार से वायु का प्रवाह रोक दिया. इसके बाद भगवान ब्रह्मा और अन्य देवताओं ने अंजनी पुत्र को दूसरा जीवन दिया और उन्हें कुछ दिव्य शक्तियां भी दी. यह घटना चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन घटी. तभी से इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा. जबकि हनुमान जी का वास्तविक जन्म कातिक माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को हुआ था.

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