मधुबनी . जिला के अस्पतालों में दी जा रही ओपीडी सेवा के लिए क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की कवायद स्वास्थ्य विभाग द्वारा 4 वर्ष पूर्व शुरू किया गया था. इसके तहत बीएमएसआईसीएल द्वारा सदर अस्पताल के ओपीडी के विभिन्न वार्डों के ऊपर क्यू मैनेजमेंट सिस्टम डिस्प्ले को आधा अधूरा ही लगाया गया. विडंबना यह रही कि इसकी जानकारी न तो चिकित्सकों को दी गई न ही अस्पताल प्रबंधन को. ऐसे में चार साल से सदर अस्पताल स्थित क्यू मैनेजमेंट सिस्टम फेल है. विदित हो कि ओपीडी में इलाज कराने की प्रक्रिया को आसान करने के लिए सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक मरीजों द्वारा चिकित्सकों को ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेने की सुविधा की शुरुआत की गई थी. रेडियोलॉजी से पैथोलॉजी जांच अंकित करने की जिम्मेवारी रजिस्ट्रेशन काउंटर की थी. ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने वले मरीजों को अस्पताल परिसर में संचालित ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर से पंजीकृत मरीजों के पर्ची पर चिकित्सक वार टोकन नंबर दिया जाना था. ताकि मरीज संबंधित चिकित्सक कक्ष के सामने बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर सके. इसके लिए सभी चिकित्सक कक्ष के दरवाजे के ऊपर चिकित्सक के नाम सहित मरीज का टोकन नंबर प्रदर्शित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले डिवाइस लगाया गया. इसके साथ ही चिकित्सक के नाम सहित मरीज का टोकन नंबर प्रदर्शित करने के लिए अलग इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले डिवाइस की व्यवस्था मरीज के वेटिंग एरिया में लगाने का निर्देश दिया गया था. टोकन नंबर के अनुसार चिकित्सकों को मरीजों को ओपीडी सेवा उपलब्ध कराना था. टोकन नंबर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले डिवाइस पर चिकित्सक द्वारा क्रम अनुसार प्रदर्शित किया जाना था. मरीज का टोकन नंबर एवं नाम पुकारने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम को व्यवहार में लाने का भी निर्देश दिया गया था. इसे प्रत्येक सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य रूप से लगाने का निर्देश दिया गया था. इसके अलावा मरीजों एवं उनके परिजनों के लिए बैठने की समुचित व्यवस्था, समुचित प्रकाश, पंखा, कूलर, शुद्ध पेयजल तथा अन्य जन सुविधाओं की व्यवस्था भी करने का निर्देश जारी किया गया था. इन सभी कार्यों पर होने वाले व्यय का वहन रोगी कल्याण समिति कोष में उपलब्ध राशि से करने का निर्देश दिया गया था. तत्कालीन सिविल सर्जन ने कहा था कि प्रधान सचिव का पत्र मिला है. सभी आदेशों का शत प्रतिशत अनुपालन करने की जानकारी दी गई थी. लेकिन विडंबना यह रहा कि अब तक चार सिविल सर्जन बदल चुके हैं लेकिन क्यू मैनेजमेंट सिस्टम किसी के द्वारा लागू नहीं किया जा सका. भीड़ से मिलेगी निजात क्यू मैनेजमेंट सिस्टम के लागू होने से रजिस्ट्रेशन के बाद मरीज को चिकित्सक से इलाज व परामर्श के लिए प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी. इससे भीड़ से निजात मिलेगी. परामर्श के लिए अधिक देर तक प्रतीक्षा की अवधि में कमी आती. इससे ओपीडी में भीड़ की स्थिति से मरीजों को निजात मिलता साथ ही अस्पताल का माहौल भी बेहतर बना रहता. मरीजों को ऑनलाइन ओपीडी स्लिप देने के लिए अलग से काउंटर की व्यवस्था का भी निर्देश दिया गया था. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ नरेश कुमार भीमसरिया ने कहा कि सदर अस्पताल में मॉडल हॉस्पिटल का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. इसे जल्दी हस्तगत किया जाएगा. मॉडल हॉस्पिटल में क्यू मैनेजमेंट सिस्टम सहित सभी प्रकार की सुपर स्पेशियलिटी सुविधा उपलब्ध होगी.
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सदर अस्पताल के ओपीडी में लगा क्यू मैनेजमेंट सिस्टम फेल
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जिला के अस्पतालों में दी जा रही ओपीडी सेवा के लिए क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की कवायद स्वास्थ्य विभाग द्वारा 4 वर्ष पूर्व शुरू किया गया था. इसके तहत बीएमएसआईसीएल द्वारा सदर अस्पताल के ओपीडी के विभिन्न वार्डों के ऊपर क्यू मैनेजमेंट सिस्टम डिस्प्ले को आधा अधूरा ही लगाया गया.
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