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बच्चों में निवेश एक स्मार्ट निवेश है

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सार्वजनिक वित्त की प्रबंधन की कमी का असर बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य सेवाओं की गुणवत्ता या उनकी पहुंच सुनिश्चित करने पर पड़ता है.

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ओंकार नाथ त्रिपाठी ( यूनिसेफ)

आस्था अलंग ( यूनिसेफ)

हमें डेवलपमेंट प्रोफेशनल के रूप में काम करते हुए बहुत से बच्चों से मिलने का मौका मिलता है. उनसे बातचीत के दौरान हमने अनुभव किया है कि सभी बच्चों के अंदर एक सपना होता है और वे उन्हें पूरा करना चाहते हैं. बच्चों के लिए, चाहे वे किसी भी परिवार या आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हों, यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें सरकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास हेतु आवश्यक सहायता और सुविधा प्राप्त हो सके, जिससे उन्हें बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने में सहयोग मिल सके. अध्ययन से पता चलता है कि बच्चों पर किया गया खर्च व निवेश एक स्मार्ट निवेश के रूप में परिणाम देता है और इसका लाभ बच्चों के साथ-साथ पूरे समुदाय और देश को भी मिलता है. जब सरकार बच्चों में निवेश करती है, तो इससे स्वास्थ्य और शिक्षा के संकेतक बेहतर होते हैं, आय बढ़ती है, अर्थव्यवस्था सुधरती है और समाज संपन्न बनता है. ऐसे लाभों के बावजूद, दुनिया के कई हिस्सों में बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर होने वाला सार्वजनिक खर्च स्थिर है.
सौभाग्य से झारखंड में ऐसी स्थिति नहीं है. झारखंड सरकार द्वारा हाल में प्रस्तुत 2024-25 के बजट में बच्चों एवं महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सराहनीय प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गयी है. इस बजट में महिला एवं बच्चों के विकास के लिए अहम आवंटन के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए सक्रिय कदम उठाया गया है. बजट में की गयी पहलों में आंगनवाड़ी चलो अभियान महत्वपूर्ण है. इसके माध्यम से बच्चों के प्रारंभिक विकास और सतत ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

सरकार ने गरीबों के लिए मुफ्त दाल एवं नमक वितरण का प्रावधान करने के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों के लिए बच्चों की देखभाल हेतु छुट्टी सहित अन्य पहलों की शुरुआत की है. बच्चों के स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी है. इसमें से 72 प्रतिशत राशि प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य तथा सिस्टम को मजबूत करने के लिए लचीले फंड के रूप में उपलब्ध कराया गया है. बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के आवंटन में सुधार किया गया है. प्राथमिक शिक्षा की छात्रवृत्ति राशि को दोगुना किया गया है तथा उच्च प्राथमिक शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति राशि में 130 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है. बच्चों के पोषण और स्वस्थ आहार को सुनिश्चित करने के लिए आंगनवाड़ी दीदियों के माध्यम से बच्चों को अंडे और फल उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. स्कूलों में पूरक पोषण कार्यक्रम के आवंटन में लगभग 500 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि की गयी है.
इस वर्ष बाल बजट की शुरूआत मील का पत्थर है. बाल बजट विवरण (विवरण-12, 2024-25) के अनुसार, कुल योजना परिव्यय में से पिछले दो वर्षों में बच्चों के लिए बजट आवंटन में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है. इस बजट के लिए यह राशि 8866.69 करोड़ रुपये है. कुल 216 योजनाओं में से 80 योजनाओं को विशेष रूप से बाल केंद्रित योजनाओं के रूप में चिह्नित किया गया है और बालिकाओं की योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है. इनमें से 11 योजनाएं विशेषकर बालिकाओं के लिए चिह्नित की गयी हैं. इनके आवंटन में 15 प्रतिशत राशि की बढ़ोतरी की गयी है. यह वृद्धि बालिका नकद हस्तांतरण योजना- सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना- का भी परिणाम है, जो ग्रामीण परिवारों की प्रत्येक लड़की को उनकी शिक्षा जारी रखने और बाल विवाह को रोकने में सहायता करती है. यह पहल लैंगिक साक्षरता अंतर, उच्च कक्षाओं में लड़कियों की पढ़ाई छोड़ने की दर कम करने, लैंगिक समानता सुनिश्चित करने तथा एसडीजी-5 के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है.


हमें ध्यान रखना होगा कि कई बार सार्वजनिक संसाधन सबसे अधिक जरूरतमंद बच्चों तक नहीं पहुंच पाता है. कुछ स्थानों पर नीति निर्माता बच्चों को सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण में बढ़ने और सीखने के लिए आवश्यक धन आवंटित करने में विफल रहते हैं. सार्वजनिक वित्त की प्रबंधन की कमी का असर बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य सेवाओं की गुणवत्ता या उनकी पहुंच सुनिश्चित करने पर पड़ता है. इसलिए केवल आवंटन पर्याप्त नहीं है, बल्कि प्रभावी कार्यान्वयन भी महत्वपूर्ण है. यूनिसेफ बच्चों के कल्याण कार्यों के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने हेतु सरकार द्वारा बच्चों के लिए किये जाने वाले कार्यों में अपना सहयोग और समर्थन देता है ताकि बाल अधिकारों को प्राथमिकता देकर बच्चों एवं जेंडर आधारित बजटिंग को बढ़ावा मिले और सरकारी नीतियों के केंद्र में बच्चों को लाया जा सके. झारखंड का बजट लक्षित पहल और पर्याप्त वित्तीय आवंटन के माध्यम से महिला एवं बाल विकास को प्राथमिकता देकर एक सकारात्मक पहल को दर्शाता है. समाज को सशक्त बनाकर हम ऐसा वातावरण बना सकते हैं, जिसके माध्यम से महिलाएं एवं बच्चे आगे बढ़ें. आइए, हम अपनी प्रतिबद्धताओं का उपयोग झारखंड में महिलाओं एवं बच्चों के जीवन में ठोस परिवर्तन लाने के लिए करें ताकि सभी के लिए उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सके.

(ये लेखकद्वय के निजी विचार हैं.)

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