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बढ‍़ती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था

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चार-पांच साल में अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या एकल अंक से बढ़कर लगभग 200 हो चुकी है.

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भारत अंतरिक्ष शोध एवं अनुसंधान को प्राथमिकता देने के साथ-साथ इस क्षेत्र में अनेक सुधार भी कर रहा है. ऐसे प्रयासों से हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में उत्साहजनक वृद्धि हो रही है. केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि आगामी वर्षों में भारत का लक्ष्य वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को पांच गुना बढ़ाना है. आज भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आठ अरब डॉलर की है, जिसके 2040 तक कई गुना बढ़ने का अनुमान है. हाल में आयी एडीएल रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2040 तक भारत के अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 100 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचने की क्षमता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस क्षेत्र में कई सुधारों को लागू किया है, जिसमें स्टार्टअप कंपनियों को प्रोत्साहित करना, विदेशी निवेश आमंत्रित करना तथा देश में कल-पुर्जों के उत्पादन को बढ़ाना मुख्य हैं. जितेंद्र सिंह ने उचित ही रेखांकित किया है कि चार-पांच साल में अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या एकल अंक से बढ़कर लगभग 200 हो चुकी है. वर्तमान वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर की अवधि में निजी स्टार्टअप कंपनियों ने एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है. बीते नौ वर्षों में विज्ञान एवं तकनीकी तथा परमाणु ऊर्जा विभागों के बजट में तीन गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, जिसका लाभ अंतरिक्ष क्षेत्र को भी मिला है.

वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अंतरिक्ष बजट में 142 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है. इसका बड़ा सकारात्मक प्रभाव भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रदर्शन में देखा जा सकता है. नब्बे के दशक से अब तक इसरो ने 424 विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है, जिनमें से 389 यानी 90 प्रतिशत से अधिक प्रक्षेपण बीते नौ वर्षों में किये गये हैं. ऐसे प्रक्षेपणों से 174 मिलियन डॉलर की कमाई हुई है, जिसमें से 157 मिलियन डॉलर की आमदनी पिछले नौ साल में हुई है. उल्लेखनीय है कि भारत के अंतरिक्ष अभियान अपेक्षाकृत कम खर्चीले होते हैं तथा इसरो की सफलता में मानव संसाधन एवं कौशल का बड़ा योगदान रहा है. इन विशेषताओं के लिए इसरो को दुनियाभर में सराहा जाता है. हाल में केंद्र सरकार ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सौ प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है. साथ ही, नासा समेत अनेक स्पेस एजेंसियों के साथ साझा कार्यक्रमों एवं मिशनों पर भी कार्य हो रहा है. वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी दो प्रतिशत है. भारतीय अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास के कारण घरेलू और विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है. इसका लाभ अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को मिलेगा और उसका दायरा विस्तृत होगा.

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