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पटना से खुलने वाली सभी लंबी दूरी की ट्रेनों की बढ़गी रफ्तार, एक्सप्रेस ट्रेनों के डिब्बे में होगा ये खास बदलाव

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वर्तमान में मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में दशकों पुराने लोहे के बने आइएसएफ कोच 110 किलोमीटर की गति से चलने के लिए डिजाइन किये गये थे. लेकिन गति बढ़ाने के लिए हुए आधुनिक प्रयोग को देखते हुए अब रेलवे ने वंदेभारत की तर्ज पर ट्रेनों के कोच बदलने का निर्णय लिया है.

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आनंद तिवारी, पटना. पटना जंक्शन से खुलने वाली प्रमुख ट्रेनों की रफ्तार में और तेजी आने वाली है. पटना से लंबी दूरी की चलने वाली ट्रेन जल्द ही 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पटरियों पर दौड़ेंगी, क्योंकि अब इनको वंदे भारत कोच के मानक के अनुसार बदला जायेगा. इसके कोच अधिकतम 160 से 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ाने के लिए बनाये गये हैं.

इन ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार

ऐसे में जंक्शन से खुलने वाली संपूर्णक्रांति, राजेंद्र नगर-एलटीटी, दानापुर-पुणे, पाटलिपुत्र-एलटीटी, विक्रमशिला, मगध, इस्लामपुर-हटिया, दानापुर जनसाधारण, श्रमजीवी, पटना-कोटा, पंजाब मेल, अर्चना, हरिद्वार हावड़ा-कुंभ, राजेंद्र नगर-दुर्गा, विभूति एक्सप्रेस समेत कई महत्वपूर्ण ट्रेनों के कोच बदलने के साथ रफ्तार बढ़ाने की तैयारी की जा रही है.

अभी 110 किमी की गति से चलने वाले कोच का है डिजाइन

वर्तमान में मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में दशकों पुराने लोहे के बने आइएसएफ कोच 110 किलोमीटर की गति से चलने के लिए डिजाइन किये गये थे. लेकिन गति बढ़ाने के लिए हुए आधुनिक प्रयोग को देखते हुए अब रेलवे ने वंदेभारत की तर्ज पर ट्रेनों के कोच बदलने का निर्णय लिया है. रेलवे से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक रेलवे बोर्ड ने देशभर के करीब 2200 मेल-एक्सप्रेस ट्रेन के पुराने कोच आइसीएफ को बदलने का निर्णय लिया है, जिसमें दानापुर मंडल समेत पूर्व मध्य रेलवे की भी 250 से अधिक ट्रेनें शामिल हैं.

वजन अधिक होने से गति पर पड़ता है असर

रेलवे के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक दशकों पहले इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आइसीएफ) चेन्नई, तमिलनाडु में यात्री कोच का निर्माण किया जाता था. इसलिए इन कोच को आइसीएफ कोच कहते हैं. लोहे से बने होने के कारण इनका वजन अधिक होता है और इसमें एयर ब्रेक भी लगता है. इसलिए आइसीएफ कोच का डिजाइन अधिकतम 110 किमी प्रति घंटा है. इसके रख-रखाव में ज्यादा खर्च होने के साथ बैठने की क्षमता कम (स्लीपर-72 और एसीथ्री में 62) होती है. वहीं जिन ट्रेनों में एलएचबी नहीं लगता है उनकी दुर्घटना होने पर इसके कोच एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान होता है. पूर्व मध्य रेलवे में करीब 04 हजार और पूरे भारतीय रेल में करीब 40 हजार आइसीएफ कोच हैं.

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स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं वंदेभारत के कोच

पूमरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि ट्रेनों की गति बढ़ाने की दिशा में रेलवे लगातार काम कर रहा है. ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली, ट्रैक का आधुनिकीकरण समेत कई नये प्रयोग किये गये हैं. इससे ट्रेन की गति और तेज होने जा रही है. इसी क्रम में कोच में भी बदलाव किये जायेंगे. उन्होंने बताया कि वंदेभारत के कोच स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं. इसलिए ये हल्के और मजबूत हैं. इसके कोच अधिकतम 160 से 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर चलने के लिए बने हैं. कोच में ऑटोमेटिक दरवाजे लगे हैं, जो मेट्रो के दरवाजे की तरह खुलते हैं. यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए ट्रेन के रुकने पर ही दरवाजे खुलते हैं.

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