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सरकारी स्कूलों में हुई नियुक्ति से निजी स्कूलों में शिक्षकों का संकट, बिहार में नहीं मिल रहे बीएड ट्रेंड टीचर

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बिहार में बीएड ट्रेंड शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं, ऊपर से काफी संख्या में निजी और कान्वेंट स्कूलों के शिक्षकों ने त्यागपत्र देकर सरकारी स्कूल ज्वाइन कर लिया है. बीपीएससी से हुई रिकॉर्ड शिक्षकों की नियुक्ति ने निजी स्कूलों में शिक्षकों का ऐसा संकट पैदा किया है, जो इससे पहले कभी नहीं देखा गया है.

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पटना. बिहार में सीबीएसई मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के सामने एक नया संकट पैदा हो गया है. एक तो उन्हें बिहार में बीएड ट्रेंड शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं, ऊपर से काफी संख्या में निजी और कान्वेंट स्कूलों के शिक्षकों ने त्यागपत्र देकर सरकारी स्कूल ज्वाइन कर लिया है. बीपीएससी से हुई रिकॉर्ड शिक्षकों की नियुक्ति ने निजी स्कूलों में शिक्षकों का ऐसा संकट पैदा किया है, जो बिहार में इससे पहले कभी नहीं देखा गया है.

40 साल से कम उम्र के अधिकतर शिक्षकों का चयन

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने छह माह में प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक सरकारी स्कूलों में तीन लाख शिक्षक के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की. इसमें से लगभग दो लाख शिक्षक सरकारी स्कूलों में योगदान दे चुके हैं. इनमें बड़ी संख्या उन लोगों की है जो किसी न किसी निजी स्कूल में शिक्षक की नौकरी करते थे. पटना में ही कई निजी स्कूल ऐसे हैं जिनमें 40 साल से कम उम्र के अधिकतर शिक्षकों का चयन बीपीएससी में हो चुका है.

20 हजार से अधिक शिक्षकों की करनी होगी नियुक्त

बिहार के नामचीन निजी स्कूलों के 20 हजार से अधिक शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में योगदान दिया हैं. इनके स्थान पर नए शिक्षकों की बहाली के लिए निजी स्कूल प्रबंधन ने अभ्यर्थियों से आवेदन मांगना प्रारंभ कर दिया है. विद्यालय संगठनों के अनुसार फरवरी और मार्च में बड़े स्तर पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे जाएंगे. अगले सत्र में शिक्षकों की कमी पूरी कर ली जाएगी. सीबीएसई स्कूलों का संगठन पाटलिपुत्र सहोदया के अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन सिन्हा ने बताया कि बीएड कोर्स पूरी करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह बेहतर अवसर होगा.

25 हजार हर साल पूरी करते हैं बीएड की पढ़ाई

बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के पूर्व नोडल पदाधिकारी डा एसपी सिन्हा ने मीडिया को बताया कि राज्य में हर साल लगभग 25 हजार विद्यार्थी बीएड तथा 15 हजार के आसपास डीएलएड की पढ़ाई पूरी करते हैं. पढ़ाई के साथ-साथ नामचीन निजी स्कूलों में योगदान का सुनहरा अवसर संबंधितों के लिए है. वहीं, बीपीएससी और शिक्षा विभाग ने हर साल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया संचालित करने की घोषणा की है. बीपीएससी कैलेंडर के अनुसार अगस्त के अंतिम सप्ताह में शिक्षक नियुक्ति परीक्षा ली जाएगी.

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स्थायित्व शिक्षकों को किया आकर्षित

इस संबंध में सीबीएसई स्कूलों का संगठन पाटलिपुत्र सहोदया के अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन सिन्हा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह संकट केवल पटना में ही नहीं पूरे राज्य के निजी स्कूलों के सामने पैदा हुआ है. अधिकतर शिक्षकों का चयन बीपीएससी में हुआ है. शिक्षकों की कमी स्वभाविक है, लेकिन पढ़ाई प्रभावित होने जैसी बात कभी नहीं है. राजधानी के अधिकतर स्कूल मल्टी सेक्शन वाले हैं. एक सेक्शन के शिक्षक के जाने पर दूसरे पढ़ाई पूरी करा रहे हैं. कान्वेंट स्कूल की शिक्षिका जया घोष ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में सैलरी को लेकर ज्यादा लाभ नहीं है, लेकिन सरकारी स्कूलों में स्थायित्व शिक्षकों को आकर्षित किया है.

समय से सूचना नहीं होने से पैदा हुआ संकट

स्कूलों में शिक्षकों का संकट पैदा होने के सवाल पर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि चयनित शिक्षकों की ओर से नियुक्ति की सूचना उचित माध्यम से नहीं दी गयी, जिसके कारण परेशानी अधिक हुई है. अगर समय से सूचित किया जाता तो वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती थी. अब उनके स्थान पर दूसरे की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है. वहीं नवचयनित शिक्षकों ने बताया कि बीपीएससी ने आवेदन, परीक्षा, परिणाम, प्रशिक्षण व योगदान के दौरान काफी कम समय दिया. इस कारण स्कूलों को उचित माध्यम से नियुक्ति की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी.

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