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बिहार में आरक्षण की नयी सीमा कब से लागू होगी? जनरल कैटेगरी की सीटों पर भी आरक्षित वर्ग को मिलेगी जगह..

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बिहार में आरक्षण का दायरा अब बढ़ाया जा रहा है. बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में जातीय सर्वे की रिपोर्ट जब पेश की गयी तो सरकार ने उसे आधार बनाते हुए आरक्षण के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया. जिसके बाद इसे कैबिनेट से मुहर लगाकर सदन में पास कराया गया.

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Reservation In Bihar: बिहार सरकार ने आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है. जातीय सर्वे के आंकड़े को आधार बनाते हुए सरकार ने आरक्षण के दायरे को बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया. कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर मुहर भी उसी दिन लग गयी और गुरुवार को विधानसभा में इस बिल को पेश किया गया. सर्वसम्मति से विधानसभा में यह बिल पास कर दिया गया. विधानसभा में ध्वनिमत से इससे संबंधित दोनों अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी गयी. वहीं अब आगे की प्रक्रिया संपन्न करने के बाद इसे लागू भी कर दिया जाएगा. जिसके बाद बिहार में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का नया स्वरूप लागू हो जाएगा. जानिए आगे की तैयारी के बारे में..

बिहार में आरक्षण का नया स्वरूप

बिहार में आरक्षण का नया स्वरूप अब लागू होगा. पहले बिहार की सरकारी नौकरियों में 60 प्रतिशत आरक्षण पहले दिया जाता था. जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का भी 10 प्रतिशत आरक्षण शामिल होता था. वहीं अब इस आरक्षण की सीमा को राज्य सरकार 15 प्रतिशत और बढ़ा रही है. जिसके बाद आरक्षण का कुल दायरा 60 से बढ़कर 75 फीसदी हो जाएगा. इसी 75 प्रतिशत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस का भी 10 प्रतिशत आरक्षण शामिल है. उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है और यथावत पूर्व की तरह ही रखा गया है.

Also Read: बिहार में EWS आरक्षण पर छिड़ी बहस, क्या खत्म होगा सवर्णों का रिजर्वेशन? जानिए सरकार का स्टैंड..
दोनों सदनों से बिल पास, आगे क्या होगा?

संशोधित अधिनियम के तहत अब अनुसूचित जाति को अब 20%, अनुसूचित जनजाति को 2%, पिछड़ा वर्ग को 18% और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 25% आरक्षण बिहार में मिलेगा. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने जातीय सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद सदन में इसका प्रस्ताव रखा. जिसके बाद कैबिनेट से इसे मंजूरी मिली और गुरुवार को विधानसभा में यह बिल पास किया गया. अब शुक्रवार को दोनों विधेयक विधान परिषद में पेश किया गया. यहां भी बिल को पास करा लिया गया. दोनों सदनों से पास हो चुके इस विधेयक को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. राज्यपाल से मंजूरी के बाद यह कानून बन जायेगा. जिसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग इस पर नियमावली तैयार करेगा. इस तरह बिहार में आरक्षण के इस नए प्रारूप को लागू कर दिया जाएगा.

बिहार में आरक्षण का अब यह होगा स्वरूप..

बिहार पदों व सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों व अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए) अधिनियम और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में) आरक्षण अधिनियम में संशोधन किया गया है. नए स्वरूप के तहत अत्यंत पिछड़ा वर्ग को पहले 18 प्रतिशत आरक्षण मिलता था जो अब 25 प्रतिशत हो जाएगा. वहीं पिछड़ा वर्ग को पहले 12 तो अब 18 प्रतिशत रिजर्वेशन मिलेगा. अनुसूचित जाति को 16 के बदले अब 20 प्रतिशत को अनुसूचित जनजाति को 1 के बदले अब 2 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को पहले की तरह ही 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता रहेगा.

मेरिट में आने पर सामान्य वर्ग में मिलेगी जगह..

आरक्षण के नए प्रारूप को लेकर कुछ बातें स्पष्ट कर दी गयी हैं. संशोधन विधेयक में यह साफ कर दिया गया है कि यदि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मेरिट के आधार पर जेनरल कैटेगरी में अपनी जगह बनाते हैं तो उन्हें आरक्षण कोटे के तहत नहीं माना जाएगा और सामान्य वर्ग के लिए बीच 25 फीसदी जगह में ही उसे माना जाएगा.

इब्लूएस आरक्षण पर साफ की गयी स्थिति..

बिहार विधानसभा में नौकरी एवं शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने स्पष्ट किया कि संशोधन अधिनियम के तहत 65 फीसदी आरक्षण मिलेगा. 10 फीसदी इब्लूएस आरक्षण उस कोटे के तहत मिलेगा, जिसको लेकर अलग से केंद्रीय अधिनियम बना है. बिहार सरकार का संशोधन विधेयक सिर्फ एससी-एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए है. इडब्लूएस को लेकर अलग अधिनियम है, इसलिए कंफ्यूजन की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए. इससे पहले भाजपा के अरुण शंकर और प्रेम कुमार सहित कई नेताओं ने आरक्षण में इडब्लूएस के शामिल नहीं होने पर सरकार से इसे स्पष्ट करने की मांग की थी. संसदीय कार्य मंत्री के बयान पर उन्होंने अपने प्रस्ताव को वापस ले लिया और संशोधन कानून सर्वसम्मति से पास घोषित किया गया.

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