22.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 02:04 pm
22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

द्रोपदी मुर्मू ने दिया जलवायु अनुकूल खेती करने का सुझाव, बोली- नये प्रयोग के साथ बचा कर रखें पारंपरिक खेती

Advertisement

बिहार की जीडीपी में कृषि का अहम योगदान राष्ट्रपति ने कहा कि आज जैविक उत्पादों की मांग देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है. जैविक खेती एक ओर जहां कृषि की लागत को कम करने और पर्यावरण संरक्षण में सहायक है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पटना. पटना के बापू सभागार में बुधवार को बिहार के चौथे कृषि रोड मैप को लांच करने के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार के किसान खेती में नये-नये प्रयोगों को आजमाने और अपनाने के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एक अर्थशास्त्री ने नालंदा के किसानों को ग्रेटर दैन साइंटिस्ट कहा था. आधुनिक पद्धति को अपनाते हुए भी यहां के किसानों ने कृषि के परंपरागत तरीकों और अनाज की किस्मों को बचाये रखा है. यह आधुनिकता के साथ परंपरा के सामंजस्य का अच्छा उदाहरण है. शायद इसी कृषि संस्कृति की पहचान कर वर्ष 1905 में भारत का पहला कृषि अनुसंधान केंद्र बिहार के पूसा में स्थापित किया गया था.

बढ़ रही है जैविक उत्पादों की मांग

बिहार की जीडीपी में कृषि का अहम योगदान राष्ट्रपति ने कहा कि आज जैविक उत्पादों की मांग देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है. जैविक खेती एक ओर जहां कृषि की लागत को कम करने और पर्यावरण संरक्षण में सहायक है. वहीं, दूसरी ओर यह किसानों की आय को बढ़ाने और लोगों को पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने में भी सक्षम है. बिहार की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है. मानव सभ्यता के विकास और कृषि के बीच घनिष्ठ संबंध रहा है. कृषि और संबद्ध क्षेत्र में न केवल राज्य का लगभग आधा कार्यबल लगा हुआ है बल्कि राज्य की जीडीपी में भी इसका अहम योगदान है. इस प्रदेश की उन्नति के लिए कृषि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास आवश्यक है. बिहार सरकार वर्ष 2008 से ही कृषि रोड मैप का क्रियान्वयन कर रही है.

धान, गेहूं व मक्का का उत्पादन दोगुना हुआ

उन्होंने कहा कि पिछले तीन कृषि रोड मैप के क्रियान्वयन के फलस्वरूप राज्य में धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता लगभग दोगुनी हो गयी है. साथ ही बिहार मशरूम, शहद, मखाना और मछली उत्पादन में भी अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है. चतुर्थ कृषि रोड मैप का शुभारंभ इस प्रयास को और आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. कहा कि मुझे यह बताया गया है कि इस कृषि रोड मैप के अंतर्गत आगामी पांच वर्षों में फसलों के विविधिकरण, बेहतर सिंचाई सुविधा, भूमि और जल संरक्षण, बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता, जलवायु अनुकूल कृषि, फसल अवशेष प्रबंधन, पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, भंडारण की सुविधा का विकास जैसे विषयों पर बल दिया जायेगा.

जैविक कॉरिडोर से पर्यावरण का होगा संरक्षण

मुझे खुशी है कि बिहार सरकार ने जैविक खेती के लिए गंगा किनारे के जिलों में जैविक कॉरिडोर बनाया है. जैविक कृषि और पर्यावरण संरक्षण में खेती और पशुपालन के बीच एक-दूसरे को लाभान्वित करने का पारस्परिक संबंध बहुत लाभकारी है. खेती के अपशिष्ट और खर-पतवार पशुओं के लिए उत्तम चारा होते हैं. पशुओं का गोबर जैविक खाद के काम आता है. बिहार में अधिकांश सीमांत किसान हैं. उनके लिए आधुनिक यंत्रों का उपयोग आर्थिक दृष्टि से व्यवहारिक नहीं होता है. अतः कृषि और पशुपालन का एक दूसरे के पूरक के रूप में प्रयोग किसानों को आर्थिक रूप से सबल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है.

Also Read: सरकारी नौकरी देने में बिहार देश में अव्वल, बोले तेजस्वी यादव- कृषि बिहार की अर्थव्यस्था की रीढ़

बिहार की नदी-तालाबों का संरक्षण जरूरी

ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है. यह पूरी मानवता के अस्तित्व के लिए संकट है. लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब और वंचित लोगों पर पड़ता है. मुझे बताया गया है कि हाल के वर्षों में बिहार में बहुत कम बारिश हुई है. बिहार एक जल-संपन्न राज्य माना जाता रहा है. नदियां और तालाब इस राज्य की पहचान रही हैं. इस पहचान को बनाये रखने के लिए जल संरक्षण पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है. मेरी राय में जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में जलवायु अनुकूल खेती महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. वर्तमान कृषि पैटर्न में बदलाव लाकर बायोडायवर्सिटी को बढ़ावा दिया जा सकता है. जल स्रोतों का दोहन कम किया जा सकता है, मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण किया जा सकता है, और सबसे बढ़कर लोगों की थाली में संतुलित भोजन पहुंचाया जा सकता है.

मक्का से इथेनॉल उत्पादन महत्वपूर्ण कदम

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि बिहार की एक प्रमुख फसल मक्के से इथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा है. जीवाश्म इंधन पर निर्भरता को कम करने, पर्यावरण संरक्षण और देश की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है. सब्जियों और फलों का उत्पादन भी आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टि से लाभदायक हो सकता है. बिहार अनानास, आम, केला, अमरूद और लीची का प्रमुख उत्पादक राज्य है. यहां पर गोभी, बैंगन, आलू, प्याज जैसी सब्जियां भी प्रचुर मात्रा में उगायी जाती है. बिहार के मखाना, कतरनी चावल, मर्चा धान, जर्दालु आम, शाही लीची और मगही पान को जीआइ टैग मिला हुआ है.लेकिन सब्जियों और फलों के बड़े पैमाने पर उत्पादन में भंडारण, परिवहन और बाजार जैसी समस्याएं सामने आती हैं. उचित भंडारण, सस्ती और विश्वसनीय परिवहन व्यवस्था और व्यापक बाज़ार उपलब्ध करा कर फलों और सब्जियों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सकता है. चतुर्थ कृषि रोड मैप में प्रोसेसिंग यूनिट बनाने, मेगा फूड पार्क स्थापित करने, एक्सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट विकसित करने के प्रावधान किये गये.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें