17.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 12:24 am
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

World Rhino Day: गैंडा के संरक्षण व प्रजनन में विश्व में दूसरे व एशिया में पहले स्थान पर है अपना शहर

Advertisement

World Rhino Day वाइल्ड लाइफ में यदि गैंडों की बातें न हों, तो वह अधूरा लगता है. आपको जानकर यह गर्व महसूस होगा की गैंडों के संरक्षण और प्रजनन में अपना शहर विश्व में दूसरे और एशिया में पहले स्थान पर है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

चिड़ियाघरों या फिर जंगल सफारी में घूमते वक्त बच्चे हों या बड़े, उन्हें शेर-बाघ या हाथी जैसे जंगली जानवरों को देखना जितना रोमांचक लगता है, उतना ही रोमांच गैंडों को देखकर भी महसूस होता है. इसलिए वाइल्ड लाइफ में यदि गैंडों की बातें न हों, तो वह अधूरा लगता है. आपको जानकर यह गर्व महसूस होगा की गैंडों के संरक्षण और प्रजनन में अपना शहर विश्व में दूसरे और एशिया में पहले स्थान पर है. संजय गांधी जैविक उद्यान (पटना जू) इसके संरक्षण पर खास ध्यान देता है. आज वर्ल्ड राइनो डे पर पढ़िए प्रभात खबर लाइफ@सिटी की रिपोर्ट.

सबसे ज्यादा जिन जानवरों का अवैध शिकार किया जाता है, उनमें राइनो का नाम सबसे ऊपर है. यही वजह है कि बड़े पैमाने पर राइनो के संरक्षण पर जोर दिया जाता है और हर साल 22 सितंबर के दिन वर्ल्ड राइनो डे मनाया जाता है. इस मौके पर लोगों में यह जागरूकता फैलाने की कोशिश की जाती है कि राइनो की तस्करी या खरीद फरोख्त न हो. हालांकि राइनो के शिकार को रोकना आज भी पूरे विश्व के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. विश्व में वर्ष 1900 से लेकर 2000 के बीच बेतहाशा शिकार ने गैंडों की संख्या 5 लाख से सीधे 50 हजार से भी कम पहुंचा दी थी. अब दुनियाभर में मात्र 27 हजार गैंडे ही बचे हैं. जबकि भारत में इनकी संख्या 4014 के आस-पास है.

आवास विस्तार से बढ़ रही अब इनकी आबादी

भारत में गैंडे असम, पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों में पाये जाते हैं. भारत और नेपाल में, एक सींग वाले गैंडे की आबादी, जो 1900 के दशक की शुरुआत में 100 से भी कम थी, अब बढ़कर 4,014 से अधिक हो गयी है. इंटरनेशनल राइनो फाउंडेशन (आइआरएफ) ने विश्व राइनो दिवस से दो दिन पहले जारी 2023 की अपनी वार्षिक ‘स्टेट ऑफ द राइनो’ रिपोर्ट में बताया कि मजबूत सुरक्षा, वन्यजीव अपराध कानून प्रवर्तन और आवास विस्तार की वजह से इन गैंडों की आबादी में वृद्धि हो रही है.

गैंडा की संख्या बढ़ाने में पटना जू का योगदान

शहर मौजूद संजय गांधी जैविक उद्यान गैंडा प्रजनन में विशेष योगदान दे रह है. यहां कुल 14 गैंडे हैं, जिनमें आठ नर और छह मादा हैं. जबकि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में एक गैंडा है. पटना जू से ‘एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम’ के तहत गैंडा को दिल्ली, कानपुर, रांची, हैदराबाद, यूएससए, गुजरात समेत भारत के कई राज्यों में भेजा जा चुका है. जू में अनुकूल वातावरण के चलते गैंडों का प्रजनन लगातार हो रहा है. यह उद्यान कैप्टिव राइनो की संख्या के मामलों में सैन डियागो जू, अमेरिका के बाद विश्व में दूसरा स्थान रखता है. जबकि भारत में यह पहले स्थान पर है. इस उद्यान को अलग पहचान दिलाने में इसकी भी एक वजह है.

1979 में असम से पहली बार जू लाया गया था एक जोड़ा गैंडा

वर्ष 1979 में 28 मई को असम से एक जोड़ा भारतीय गैंडा जू लाया गया था. इसमें एक नर ‘कांछा’ और मादा ‘कांछी’ थी. तीन साल बाद 28 मार्च 1982 को तीसरा गैंडा ‘राजू’ (नर) बेतिया से राहत एवं बचाव कार्यक्रम के तहत जू में भेजा गया था. जू के प्राकृतिक वातावरण, उत्कृष्ट प्रजनन नीतियों और बेहतर रख-रखाव के कारण ‘राजू’ और ‘कांछी’ के मिलन से 8 जुलाई 1988 को एक मादा गैंडा का जन्म हुआ. कांछी ने दोबारा से 8 जुलाई 1991 में एक मादा गैंदा को जन्म दिया था. इसके बाद जू प्रशासन को यह एहसास हो गया कि जू में गैंडा प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण है. वर्ष 2005 में नस्ल की गुणवत्ता के लिए दिल्ली के चिड़ियाघर से नर और वर्ष 2007 में सैन डियागो जू से एक मादा गैंडा मंगायी गयी. एक अच्छी खबर है कि ‘लाली’ अभी गर्भवती है, जो दिसंबर में बच्चे को जन्म देंगी. बता दें कि असम, बेतिया, नयी दिल्ली और सैन डियागो से प्राप्त गैंडो के प्रजनन से जू के पास गैंडो की चार ब्लड लाइन मौजूद हैं.

शाकाहारी होते हैं गैंडा, दिन में दो बार मिलता है भोजन

जू में मौजूद गैंडा के खानपान की देखरेख की जिम्मेदारी जू कीपर्स की होती है. सुबह के खाने में उन्हें चना, मुंग, आटा, गुड़, दीयर मिक्स ( खल्ली, चना पिसा हुआ, चोकर) दिया जाता है. जबकि दोपहर में छह किलो केला, शाम में 5-6 क्विंटल घास दिया जाता है. जू में गैंडों के पीने पानी के लिए नाद बना हुआ है, जिसकी सफाई हर दिन होती है.

पटना जू में हैं ये 14 राइनो

गौरी मादा

हड़ताली मादा

लाली मादा

रानी मादा

गुड़िया मादा

घटोंगी मादा

अयोध्या नर

जम्बो नर

गणेश नर

शक्ति नर

शक्तिराज नर

विद्युत नर

युवराज नर

प्रिंस नर

आज मादा राइनो को गोद लेगा आइओसी

संजय गांधी जैविक उद्यान में 20-22 सितंबर तक राइनो वीक मनाया जा रहा है. 21 सितंबर को राइनो क्विज, राइनो केयर से जुड़ी प्रदर्शनी आदि का आयोजन किया गया. इसमें स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स समेत जू एम्बेसेडर ने भाग लिया. 22 सितंबर को विश्व गैंडा दिवस के अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्री तेजप्रताप यादव असम की ‘घटोंगी’ और बेतिया से रेस्क्यू किये गये ‘प्रिंस’ नर गैंडा का लोकार्पण करेंगे. असम से आयी मादा राइनो(सीमा) को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन(आइओसी) औपचारिक तौर पर गोद लेगा.

जानिए राइनो से जुड़ी छह रोचक बातें

1. सींग और नाक से पड़ा नाम : राइनो नाम ‘नाक’ और ‘सींग’ के कारण ग्रीक शब्दों से आया है. राइनो जब तीन साल का होता है, तो उसके सींग बाहर निकलते हैं और औसत 18 साल की उम्र में सींग पूरा आकार ले लेते हैं.

2. 1600 किलो वजनी : एक वयस्क राइनो का वजन करीब 1600 किलोग्राम होता है. जंगली राइनो की उम्र 45 साल और चिड़ियाघरों में रखे गये राइनो की उम्र 55 से 60 साल तक की होती है.

3. रोजाना 50 किलो खाना : राइनो पूर्णतः शाकाहारी होता है और इसका पसंदीदा भोजन घास है. वयस्क राइनो एक दिन में करीब 50 किलो घास खाता है. ये जलीय पौधे भी खाते हैं.

4. ढाई किलो का सींग : भारतीय राइनो का सींग काफी भारी होता है. इसके एक सींग का वजन डेढ़ से ढाई किलो तक होता है.

5. कुशल तैराक : राइनो को अपना आधा शरीर पानी में डुबोए रखना पसंद है. राइनो बहुत अच्छी तरह तैर लेता है और बाढ़ के समय में भी यह जीव अपनी कुशल तैराकी के जरिए बचा रहता है.

6. 16 महीने तक का गर्भकाल : मादा राइनो का गर्भकाल लगभग 15 से 16 महीने तक का रहता है.

इतना ही देख पाता है : राइनो 30 से 40 फीट के बाद देख नहीं सकता, लेकिन सुनने और सूंघने की क्षमता बहुत अच्छी होती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें