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बिहार: राजभवन के बाद अब शिक्षा विभाग ने भी निकाला कुलपतियों की नियुक्ति का विज्ञापन, बढ़ी तकरार..

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बिहार में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राजभवन और शिक्षा विभाग आमने-सामने हो गया है. राजभवन के बाद अब शिक्षा विभाग की ओर से भी सात विश्वविद्यालयों के कुलपति पद पर नियुक्ति लिए आवेदन मांगे हैं. जानिए क्या है पूरा मामला..

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बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच तकरार बढ़ती जा रही है. शिक्षा विभाग ने राज्य के सात विश्वविद्यालयों के कुलपति पद पर नियुक्ति लिए आवेदन मांगे हैं. बड़ी बात यह है कि राजभवन पहले ही इसके लिए आवेदन जारी कर चुका है. राज्य के विश्वविद्यालयों के इतिहास में संभवत: यह पहली बार है, जब राजभवन से परे सिर्फशिक्षा विभाग ने कुलपतियों की नियुक्ति के संदर्भ में खुद आवेदन मांगे हैं.

राज्य के विश्वविद्यालयों के इतिहास में पहली बार..

केएसडी संस्तकृ विवि दरभंगा, जयप्रकाश विवि छपरा, पटना विवि, बीआरए बिहार विवि मुजफ्फरपुर, एलएन मिथिला विवि दरभंगा, बीएन मंडल विवि मधेपुरा और आर्यभट्ट विवि पटना के कुलपति पद पर नियुक्ति लिए आवेदन शिक्षा विभाग के द्वारा मांगे गये हैं. आवेदन की अंतिम तिथि 13 सितंबर है. आवेदन ऑफ और ऑन लाइन दोनों प्रकार से मांगे गये हैं. राज्य के विश्वविद्यालयों के इतिहास में संभवत: यह पहली बार है, जब राजभवन से परे सिर्फ शिक्षा विभाग ने कुलपतियों की नियुक्ति के संदर्भ में खुद आवेदन मांगे हैं. खास बात यह है कि राजभवन इनमें कुलपतियों की नियुक्ति के लिए पहले ही विज्ञापन जारी कर चुका है. अब शिक्षा विभाग ने भी विज्ञापन जारी कर दिया है.

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जानिए लिंक व योग्यता

आवेदक https://state.bihar.gov.in/educationbihar/CitizenHome.html पर ऑनलाइन और शिक्षा सचिव, विकास भवन स्थित सचिवालय पर ऑफ लाइन आवेदन कर सकते हैं. कुलपतियों की नियुक्ति सर्च कमेटी के जरिये होगी. नियुक्ति तीन साल के लिए होगी. आवेदक को 67 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए और कम से कम दस साल प्रोफेसर पद पर अध्यापन का अनुभव जरूरी है. रिसर्च के क्षेत्र में योगदान सहित अन्य अर्हताएं भी मांगी गयी है.

राजभवन ने भी निकाली नियुक्ति

इससे पहले राजभवन की तरफ से इन्हीं विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे जा चुके हैं. दो से चार अगस्त तक अखबारों में इसके लिए विज्ञापन जारी किया था. इन पदों को भरे जाने की अंतिम तिथि 24 से 27 अगस्त तक निर्धारित है. उच्च शिक्षा से जुड़े जानकारों के मुताबिक कुलपति पद पर नियुक्ति के मामले में राजभवन और शिक्षा विभाग आमने -सामने होंगे. वर्तमान में सर्च कमेटी के अलावा सरकार के साथ विमर्श के बाद ही कुलपति और प्रति कुलपति के पद पर नियुक्ति की जाती रही है.

2010 में क्या हुआ था?

गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2010 के तत्कालीन राज्यपाल देवानंद कुंवर के कार्यकाल में कुलपतियों की नियुक्ति के संदर्भ में राज्य सरकार और राजभवन आमने-सामने आ गये थे. इसमें सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद तत्कालीन राज्यपाल की तरफ से नियुक्त किये गये कुलपति हटा दिये गये थे. दरअसल, देवानंद कुंवर के हटने के बाद राजभवन और शिक्षा विभाग के अफसरों की समझ से एक्ट के मुताबिक कुलपति पद पर नियुक्ति की परंपरा शुरू हुई थी.

बीआरए बिहार विवि के वीसी का वेतन और बिल ट्रेजरी ने रोका

शिक्षा विभाग के आदेश पर अमल करते हुए मुजफ्फरपुर कोषागार ने बीआरए बिहार विवि के सभी बिल को पास करने पर रोक लगा दी है. ट्रेजरी के रोक लगा देने पर अब विवि का कोई भी विपत्र का भुगतान बैंक नहीं कर पायेगा. इधर, शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यानाथ यादव ने राज्यपाल के सचिव आरएल एन चोंग्थू को पत्र लिखकर कहा कि सरकार को अधिकार है कि वह विभाग का आडिट करे. शिक्षा विभाग ने कहा है कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों को सालाना चार हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है. वैसी स्थिति में तथाकथित स्वायत्तता की आड़ में विश्वविद्यालयों में अराजकता की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसलिए शिक्षा विभाग 17 अगस्त को अपने आदेश को वापस नहीं लेगा.

पूर्व प्रावधानों को लागू करना दायित्व

संबंधित विश्वविद्यालय पर बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम के पूर्व प्रावधानों को लागू करना विभाग का दायित्व है.इससे पहले राजभवन के प्रधान सचिव राबर्ट एल चौंग्थू ने पत्र लिख कर शिक्षा विभाग की विश्वविद्यालय के संबंध में की गयी कार्रवाई को विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता पर हमला बताया था. इसे शिक्षा विभाग ने सिरे से खरिज कर दिया है. विभाग ने यह भी कहा कि उसे विश्वविद्यालयों से यह जानने का अधिकार है कि यह पैसा कहां और कैसे खर्चकिया जा रहा है.

राज्य सरकार का कर्तव्य है किवह मामले में हस्तक्षेप करे

वर्तमान बीआरए विश्वविद्यालय के संदर्भित केस के बारे में पत्र में बताया गया है कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत समय पर परीक्षा और परिणाम घोषित करना अनिवार्य है. यह विवि का मौलिक दायित्व है. संबंधित विश्वविद्यालय ने सभी विश्वविद्यालय विभागों और छात्रावास कॉलेजों का निरीक्षण करने के अपने प्राथमिक दायित्वनिभाने में भी चूक की है. इसके अलावा विश्वविद्यालयों ने अपने विभागों ,कॉलेजों एवं छात्रावासों के निरीक्षण में अपनी प्राथमिक जवाबदेही का पालन नहीं किया है. शिक्षा विभाग के पत्र में राजभवन के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि राज्य सरकार केवल करदाताओं सहित छात्रों और उनके अभिभावकों के प्रति जिम्मेदार और जवाबदेह है. इसलिए,जब कोई विवि प्राथमिक उद्देश्य में विफल रहता है, तो राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मामले में हस्तक्षेप करे और रिपोर्ट मांगे.

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