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डेंगू प्रिवेंशन डे: बिहार में डेंगू से मौत ने डराया, क्या है इससे बचाव के उपाय? जानिए हर एक बात की जानकारी..

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डेंगू प्रिवेंशन डे: बिहार में बारिश लगातार जारी है. अब डेंगू के मामले भी सामने आ रहे हैं जिसे लेकर सतर्क किया जा रहा है. डेंगू की वजह से सीमांचल में मौत तक हो चुकी है. कई पुलिसकर्मी अस्पताल में इलाजरत हैं. जानिए इससे बचाव के क्या हैं उपाय...

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World Dengue prevention day: राजधानी पटना समेत बिहार में पिछले दो दिनों से बारिश हो रही है. बारिश के साथ ही मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ने लगा है, खासकर डेंगू का. जलभराव में ही डेंगू का लार्वा पनपने लगता है, जो लोगों को बीमार बनाता है. इसकी रोकथाम के लिए सभी को आगे आना होगा. क्योंकि प्रत्येक वर्ष, सैकड़ों लोग ‘एडीज मच्छरों’ के काटने से डेंगू वायरस से संक्रमित होते हैं. इसके लिए सावधानी और बचाव ही बेहतर उपाय है. आज ‘डेंगू निरोधक दिवस’ है. इस विशेष अवसर पर आइए जानते हैं, इससे बचाव के तौर-तरीकों के बारे में..

जानिए डेंगू के बारे में..

पूरे बिहार में बारिश लगातार हो रही है. मानसून ने वापसी की है. इसी सीजन में सबसे ज्यादा मच्छर भी पैदा होते हैं. वैसे तो देश में 404 प्रजातियों के मच्छर पाये जाते हैं. पर ‘पटना जिला मलेरिया और संक्रामक रोग कार्यालय’ की रिपोर्ट बताती है कि पटना जिले में चार प्रजाति के मच्छर अधिक पाये जाते हैं. इनमें कई ऐसे होते हैं, जो लोगों को जानलेवा बीमारियों का शिकार बनाते हैं. इनमें डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी घातक बीमारियां शामिल हैं. इनमें खासकर डेंगू बीमारी ऐसा बुखार है, जिसे महामारी के रूप में देखा जाता है. वयस्कों के मुकाबले, बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है. डेंगूके सामान्य लक्षण हैं सिर, जोड़ों, मांसपेशियों व शरीर में दर्द होना, तेज बुखार, चिड़चिड़ापन आदि. डेंगूकी स्थिति में मृत्यु दर लगभग एक प्रतिशत है.

सीमांचल में डेंगू का प्रकोप, थाना में मौत का तांडव

सीमांचल क्षेत्र अंतर्गत कटिहार के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र में डेंगू मच्छर का कहर दिखने लगा है. डेंगू से ग्रस्त थाना के एक सिपाही चालक की मौत के बाद थाना में कार्यरत पुलिस पदाधिकारी दहशत में जीने को विवश हो रहे हैं. डेंगू से थाना के चालक पप्पू कुमार यादव की मौत हो गयी है. सर्किल इंस्पेक्टर के रीडर व महिला सिपाही का इलाज चल रहा है. डेंगू के बढ़ते प्रभाव को लेकर पुलिस कप्तान जितेंद्र कुमार ने थाना परिसर की साफ-सफाई और वर्षों से थाना के पीछे भाग में जंगल को साफ कने का निर्देश दिया है. इधर थाना के चालक की मौत होने से डेंगू के बढ़ते प्रभाव को लेकर अलर्ट जारी हो गया है. डेंगू के काटने से सिपाही चालक की मौत को लेकर थाना में काम करने वाले पुलिस पदाधिकारी के बीच दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है.

जागरूकता ही डेंगू से बचाव, इसकी कोई वैक्सीन या विशेष दवा नहीं है..

पटना के चिकित्सकों का कहना है कि जागरूकता ही डेंगू से बचाव है. क्योंकि, इस बीमारी की कोई वैक्सीन या विशेष दवा नहीं है. ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेकर ही ट्रीटमेंट करना चाहिए. इसमें मरीज को पर्याप्त आराम की जरूरत होती है. इसके अलावा तरल पदार्थ ज्यादा मात्रा में लेने चाहिए. डेंगू का पता लगाने के लिए सबसे विश्वसनीय जांच एलाइजा टेस्ट है.डॉ बिमल राय व डॉ. एन पी वर्मा इसे लेकर सतर्क रहने की अपील भी करते हैं.

सामान्य वायरल बुखार

बारिश के मौसम में अक्सर मच्छर से होने वाली बीमारियां बढ़ने लगती हैं. ऐसे में अगर आपको बुखार आता है, तो इसे आम वायरल बुखार समझकर नजरअंदाज न करें और फौरन जांच कराएं. डेंगू और वायरल बुखार दोनों अलग तरह की बीमारियां हैं. वायरल बुखार तीन से पांच दिनों तक रहता है, जिसमें ठंड लगना और शरीर में दर्द रहता है. ये बुखार जितनी जल्दी चढ़ता है, उतनी ही जल्दी उतर भी जाता है. यह या तो संक्रमित व्यक्ति द्वारा हवा में छींक या खांसी से छोड़ी गई बूंदों से होता है या किसी संक्रमित चीज को छू लेने से.

डेंगू का बुखार

यह काफी अधिक जटिल है. यह एडीज इजिप्टी (टाइगर मच्छर) द्वारा फैलता है. ऐसे मच्छर में काली और पीली धारियां होती हैं और यह आमतौर पर सुबह या भोर में ही काटते हैं. इनका वायरस सफेद रक्त कोशिकाओं में प्रवेश करता है और प्रजनन करता है. वायरस के पांच अलग-अलग प्रकार हैं, इनमें से प्रत्येक की गंभीरता बढ़ती जाती है. डेंगू वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने या छूने से नहीं फैलता. डेंगू में बुखार काफी तेज होता है, मांसपेशियों और हड्डियों में बहुत दर्द होती है. यह बुखार कम से कम सात दिनों तक रहता है. डेंगू बुखार के प्रमुख लक्षण के बारे में डॉक्टर बताते हैं कि तेज बुखार के साथ ठंड लगना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर लाल रंग के रैशेस पड़ना, बदन दर्द, ऐसा सिरदर्द जो आंखों के ऊपर ज्यादा महसूस होता है. बीमारी की गंभीर स्थिति में नाक, मुंह, मसूढ़ों और आंतरिक अंगों से रक्तस्राव होना और सांस लेने में परेशानी आदि समस्याएं व्यक्ति को महसूस हो सकती है.

सुबह के वक्त इन मच्छरों का रहता है ज्यादा आतंक

इन दिनों शहर में मौसम में बदलाव से बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं. डेंगू से बचाव के लिए साफ-सफाई और खाने-पीने पर ध्यान रखना जरूरी है. बुखार में फलों के सेवन से शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है. अगर आपको बुखार है और बुखार एक दिन से ज्यादा रह रहा है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. सुबह में ये मच्छर काटते हैं पर सावधानी ही इस बीमारी का इलाज है.

डॉ बिमल राय,वरिष्ठ फिजिशियन

डेंगू की रोकथाम कैसे होगी?

डेंगू बुखार और इससे संबंधित समस्याओं के संदर्भ में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई के फिजीशियन डॉ बिक्की चौरसिया के साथ विवेक शुक्ला बताते हैं कि अगर डेंगू शुरुआती दौर में है और उसका प्रकोप हल्का है, तो मरीज का इलाज डॉक्टर के परामर्श घर पर ही संभव है, लेकिन मरीज अगर जटिलता महसूस कर रहा है,जैसे- सांस लेने में तकलीफ हो रही है या उसके शारीरिक अंगों से रक्तस्राव हो रहा है तो फिर ऐसी स्थिति में उसे शीघ्र ही अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक हो जाता है. डेंगू की रोकथाम के लिए मच्छरों से हरसंभव बचाव करना चाहिए. मॉस्क्विटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें. आवास के निकट जलभराव न होने दें. घर में गमलों, कूलर और बाल्टी आदि का पानी हरेक दिन बदलें. गैर इस्तेमाल होने वाले टायरों को घर से दूर रखें, क्योंकि इनमें पानी जमा हो जाता है. पानी की टंकी को खुला न छोड़ें. सोते समय मच्छरदानी लगाएं.

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