18.1 C
Ranchi
Monday, February 24, 2025 | 10:02 am
18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बिहार फेयर्स : बटेश्वर मंदिर में भादो पूर्णिमा पर लगता है मेला

Advertisement

अनुराग प्रधान पटना : कहलगांव में बटेश्वर मेला की धूम रहती है. यहां भादो पूर्णिमा पर मेला का आयोजन होता है. प्रसिद्ध व प्राचीन शैव स्थल बटेश्वर स्थान में उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान करने तथा बाबा बटेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक करने अप्रत्याशित भीड़ उमड़ पड़ती है. बिहार के हर कोने से लोग यहां आते […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अनुराग प्रधान

पटना : कहलगांव में बटेश्वर मेला की धूम रहती है. यहां भादो पूर्णिमा पर मेला का आयोजन होता है. प्रसिद्ध व प्राचीन शैव स्थल बटेश्वर स्थान में उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान करने तथा बाबा बटेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक करने अप्रत्याशित भीड़ उमड़ पड़ती है. बिहार के हर कोने से लोग यहां आते हैं. इस दौरान बटेश्वर में बड़ा मेला लगा रहा जहां सैकड़ों दुकानें लगती है. दुकानों से लोग खरीदारी करते हैं. प्रसाद के साथ खिलौने और खाने-पीने तक के सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं. मेले के दौरान 55 हजार से अधिक श्रद्धालुओं गंगा स्नान करते हैं. इसके बाद बाबा बटेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक करते हैं. मेला समिति मेले को लेकर काफी तैयारी करती है.

इस अवसर पर बिहार और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में आदिवासियों के हुजूम भी आते हैं और वो सभी पारंपरिक तरीके से गंगा पूजन और बटेश्वर महादेव की पूजा अर्चना करते हैं. उसके बाद यह सभी लोग अपने तंबुओं में आदिवासियों द्वारा सामुहिक होकर पारंपरिक तरीके से पूजा करते हैं. इस दौरान विशेष तौर पर लोटा पूजा और मन्नत मनौतियों की पूजा होती है. मेला में आदिवासी गीत और पारंपरिक नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. वहीं तांत्रिकों तथा भगतों ने भी श्मशान घाट किनारे तंत्र साधना करते हैं. बटेश्वर के निकट बांस के घने जंगलों में स्थित बासुरी देवी मंदिर में भी भक्त जाते हैं. इसके साथ भगतों का साधना भी भी होता है.

वहीं कहलगांव में भी उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान करनेवालों का तांता लगा रहता है. यहां महोत्सव के दौरान ड्रोन से बटेश्वर मंदिर पर पुष्पवर्षा किया जाता है. यह आकर्षण का केंद्र होता है. लोग फूलों की बारिश के समय तालियों की गड़गड़ाहट और हर हर महादेव, बोल बम और जय बटेश के नारों लगाते हैं. इससे संपूर्ण बटेश्वर गुंजायमान हो उठाता है. कहलगांव के प्रसिद्ध बटेश्वर स्थान में श्रावणी मेला भी लगता है. यहां सावन और भादो दोनों माह मेले जैसा ही माहौल रहता है. पूरे मंदिर परिसर की सजावट भी लोगों को काफी आकर्षित करती है. इस दौरान चौबीसों घंटे पूजा का आयोजन होता रहता है. प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक एवं गंगा महाआरती भी होती है.

श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध जल, शरबत एवं चॉकलेट की व्यवस्था की जाती है. यहां अधिकांश पूर्णिमा के दिन मेला लगता है. आस पास के लोग यहां पहुंच कर पूजा करते हैं. मेले में बाबा बटेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक करने तथा पारंपरिक मेला का लुत्फ लेने के लिये भीड़ काफी जुटती है. शहरों में विभिन्न संस्थानों के तरफ से विभिन्न स्थानों पर टेंट भी लगाये जाते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें