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चीन दुनिया का शायद एक मात्र ऐसा देश होगा जो अपने शहीद हुए सैनिकों को सम्मान तक नहीं देना जानता है. युद्ध में शहीद होना किसी भी सैनिक द्वारा अपने देश को दिया जाने वाला सर्वोच्च बलिदान होता है, पर शायद चीन इसकी अहमियत नहीं जानता तभी तो वह गलवान घाटी में मारे गये अपने सैनिकों की शहादत को मानने से भी इनकार कर रहा है. दरअसल अमेरिकी खुफिया एंजेसियों की माने तो चीन अपने सैनिकों के साथ ऐसा ही व्यवहार कर रहा है. यहां तक की चीनी सरकार ने मारे गये सैनिकों के परिजनों को सख्त हिदायत दी कि अंतिम संस्कार के मौके पर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाये,
बता दे कि 15 जून की शाम को भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई थी. झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. सभी भारतीय जवानों का पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में शहीद हुए जवानों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदन प्रकट की थी. पर इस घटना के लगभग एक महीने पूरे होने के बाद भी आज तक चीन ने यह स्वीकार नहीं किया है कि इस झड़प में कितने चीनी सैनिक मारे गये थे. ना ही मारे गये सैनिक के परिजनों के लिए किसी प्रकार की संवेदना प्रकट की है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक चीन इस बात को सिरे से खारिज कर रहा है कि उसके झड़प में उसके सैनिक मारे गये थे, ताकि गलवान घाटी पर अपने द्वारा किये गये गलतियों पर पर्दा डाल सके. जबकि सच्चाई यह थी कि चीनी सैनिक जबरन भारतीय सीमा मं घुस कर सीमा शर्तों का उल्लघंन कर रहे थे और पेट्रोलिंग प्वाइंट के समीप अपना टेंट लगा रहे थे. उन्होंने भारतीय जवानों को उकसाने का प्रयास किया था. इस मामले में भारत को कहा था कि अगर चीन शर्तों का उल्लघंन नहीं करता तो यह झड़प नहीं होती, इसकी शुरूआत चीनी सैनिको ने की थी.
हालांकि चीन ने अभी तक कुछ सैन्य अफसरों के मारे जाने की बात को स्वीकार किया है, जबकि भारत कहना है इस झड़प में कम से कम 43 चीनी जवान मारे गये. जिनमें कुछ गंभीर रूप से घायल भी हो सकते हैं. अमरिकी खुफिया एजेंसी मानता है कि गलवान झड़प में कम से कम 35 चीनी सैनिक मारे गये थे. एंजेसी का कहना है कि सूत्रों प्राप्त जानकारी के अनुसार सैनिक परिवारों को चीनी सरकार ने अंतिम संस्कार के किसी भी रस्म को करने से मना किया था. सरकार ने इसके पीछे कोरोना वायरस को बजह बताया.
यूएस स्थित ब्रेइटबार्ट न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी परिवारों के मन में अब अपनी ही सरकार को लेकर गुस्सा है. चीन में मौजूद सोशल साइट्स के माध्यम से यह परिवार अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं. जिसे रोकना चीनी सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है. सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे सच्चाई यह है कि चीन यह नहीं चाहता कि लोग शहीद हुए सैनिकों के बारे में जानें क्योंकि ऐसे में सरकार के प्रति लोगो का गुस्सा फूट सकता है.
Posted By: Pawan Singh