बचपन में नस्लवाद के शिकार हुए थे ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक, बयां किया अपना दर्द, कहा- यह चुभता है
ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि बचपन में वो नस्लवाद का शिकार हुए थे. जिसके बाद उनके पिता को उन्हें नाटक की अतिरिक्त कक्षा में भेजना पड़ा. बता दें सुनक 210 सालों के ब्रिटेन में इतिहास में सबसे कम उम्र के पीएम हैं.
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ब्रिटेन में इतिहास रचने वाले भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने रविवार को बड़ा खुलासा किया है. पीएम सुनक ने कहा कि उन्होंने भी अपने बचपन में नस्लवाद को महसूस किया है. अपने बचपन को याद करते हुए सुनक ने कहा कि इसके बाद उनके पिता ने उन्हें नाटक की अतिरिक्त कक्षा के लिए भेजा ताकी वो अन्य बच्चों की तरह अच्छे से बोल सकें. गौरतलब है कि ऋषी सुनक ने ब्रिटेन में इतिहास रचते हुए साल 2022 में ब्रिटिश पीएम बन गये. ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय मूल के नागरिक हैं. इसके अलावा वो बीते 210 सालों में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश प्रधानमंत्री भी हैं.
नाटक की अतिरिक्त कक्षा में लेना पड़ा एडमिशन
भारतीय मूल के ब्रिटिश पीएम सुनक ने आईटीवी न्यूज से बातचीत में बताया कि उनके माता-पिता इसके प्रति दृढ़ थे कि उन्हें और अन्य बच्चों के अनुरूप ढलना चाहिए और अच्छी तरह बोलना चाहिए. सुनक ने कहा कि इसके लिए उनके माता-पिता ने उन्हें नाटक की अतिरिक्त कक्षा के लिए भेजा. उन्होंने कहा कि ऐसा न होना कठिन है, ठीक है, और जाहिर तौर पर मैंने एक बच्चे के रूप में नस्लवाद का अनुभव किया है.
नस्लवाद चुभता है- ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ने इस दौरान अपनी तकलीफ बताते हुए कहा कि अपने छोटे भाई-बहनों के लिए अपशब्द सुनना काफी दर्द भरा अहसास है. उन्होंने कहा कि नस्लवाद चुभता है और उस तरह से पीड़ा पहुंचाता है, जो अन्य चीजें नहीं पहुंचाती. सुनक ने कहा कि उन्हें लगता है कि उन्होंने जो कुछ अनुभव किया वह अब उनके बच्चों के साथ नहीं होगा.
नस्लवाद का कोई भी रूप अस्वीकार्य- सुनक
अपनी भारतीय विरासत पर चर्चा करते हुए सुनक ने कहा कि उनके माता-पिता चाहते थे कि वह और उनके भाई-बहन अन्य लोगों के अनुरूप ढलें. उन्होंने आगे कहा कि उनकी मां इस बात को लेकर विशेष रूप से सचेत थीं कि उनके बच्चे कैसे बोलते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी मां जिन चीजों को लेकर बहुत ज्यादा जुनूनी थीं, उनमें से एक यह थी कि वह उच्चारण पर जोर दिये बिना ठीक से बातचीत कर सकें. सुनक ने कहा कि नस्लवाद का कोई भी रूप पूरी तरह से अस्वीकार्य है.
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