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आर्थिक आजादी दिलाने में लगी है गया की श्वेता

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उद्यम : ग्रामीण महिलाओं की हस्तशिल्प कला को मिला बाजार शिकोह अलबदर कला और कलाकारों के हक में चुंगी डॉट काॅम नामक ऑनलाइन स्टोर एक मुहिम है, जो देश के छोटे-छोटे गांव कस्बों में महिलाओं के हुनर को निखारते हुए उन्हें आर्थिक रूप से सबल बनाने में लगी है. डिजिटल आर्ट के समय में हस्तशिल्प […]

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उद्यम : ग्रामीण महिलाओं की हस्तशिल्प कला को मिला बाजार
शिकोह अलबदर
कला और कलाकारों के हक में चुंगी डॉट काॅम नामक ऑनलाइन स्टोर एक मुहिम है, जो देश के छोटे-छोटे गांव कस्बों में महिलाओं के हुनर को निखारते हुए उन्हें आर्थिक रूप से सबल बनाने में लगी है. डिजिटल आर्ट के समय में हस्तशिल्प कला को बचाना बेहद जरूरी है. हस्तकला को ग्रामीण महिलाओं के लिए एक मजबूत आजीविका के रूप में उभारा जा सकता है. पढ़िए एक रिपोर्ट.
महिलाएं समाज की वास्तविक वास्तुकार होती हैं. गया जिला की खुरखुरा की रहनेवाली श्वेता तिवारी भी उन वास्तुकारों में से हैं, जो समाज को दिशा और आकार दे रही हैं. श्वेता चुंगी नामक संस्था तथा ऑनलाइन स्टोर के माध्यम से इलाके की ग्रामीण महिलाओं के हुनर को तराशने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती दिलाने का काम कर रही हैं. वह अपने ऑनलाइन स्टोर के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार हस्तशिल्प उत्पाद को बाजार दिलाने का काम कर रही हैं.
घर के किसी कोने में धूल फांक रहे हुनर को तराश कर जब ये महिलाएं चार पैसे घर में लाती हैं, तब घर वालों की नजर में इनकी सोच बदल जाती है.
गया के नाजरेथ अकादमी से स्कूली पढ़ाई करने के बाद श्वेता ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. कला में रुचि रहने के कारण मल्टीमीडिया की पढ़ाई की. दिल्ली और मुुंबई में विज्ञापन कंपनियों में आर्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया. वह बताती हैं कि दिल्ली जाने के बाद बहुत कम ही घर आना-जाना हो पाता था. वह विशेष मौके या छुट्टियों में ही घर जा पाती थीं. घर पर जो भी वक्त मिलता, वह पास-पड़ोस के ग्रामीण महिलाओं से मिलती और उन्हें जानने-समझने की कोशिश करती. मिलने-जुलने के दौरान उन्होंने कुछ महिलाओं को क्रूशिया पर कढ़ाई-बुनाई का काम करते देखा.
उन्हें इन महिलाओं के काम काफी आकर्षक लगे और तभी उन्होंने उनके कामों को बाजार दिलाने का निश्चय किया. वह बताती हैं कि उन्हें चुंगी की स्थापना की प्रेरणा इन्हीं ग्रामीण महिलाओं से मिली. उन्होंने दिल्ली जैसे महानगर में अच्छी आय वाली नौकरी छोड़ इन महिलाओं के साथ उनके रोजगार सृजन के लिए काम करने का निश्चय किया. उन्होंने अपने साल 2014 के जनवरी में स्टार्ट-अप की रूप-रेखा तैयार करते हुए चुंगी डॉट काॅम नामक ऑनलाइन स्टोर की स्थापना की. इसके साथ ही ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार क्रूशिया की मदद से तैयार हस्तशिल्प उत्पाद जैसे कुशन कवर, टेबल क्लॉथ, टेबल नैपकिन और दूसरी सजावट की वस्तुओं को हस्तशिल्प के शौकीनों तक पहुंचाने का काम प्रारंभ किया.
श्वेता बताती हैं कि अमूमन गांव की महिलाओं में नौकरी या रोजगार के प्रति जो सोच होती है, वह शहर की महिलाओं से बिल्कुल अलग होती है. वह पैसा तो कमाना तो चाहती हैं, लेकिन उनमें काम को लेकर झिझक रहती है. इसका कारण उन्हें अपने अनपढ़ होने या कम पढ़े-लिखा होना होता है. आत्मविश्वास की कमी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण महिलाओं को यह लगता है कि उनमें किसी रोजगार से जुड़ने की क्षमता नहीं है. श्वेता ने इन ग्रामीण महिलाओं में स्थापित इस तरह की सोच का सामना किया. शुरुआती दौर में महिलाओं को समझाना एक चुनौती था.
महिलाओं को समझाने के लिए उन्होंने अपनी मां वीणा से मदद ली. धीरे-धीरे महिलाओं में अपने प्रति आत्मविश्वास जगा और वे हस्तशिल्प उत्पाद तैयार करने के लिए राजी हो गयीं. श्वेता ने उन्हें सलाह दी कि वह कढ़ाई-बुनाई का काम अपने घर से कर सकती हैं. वह उन्हें धागे, क्रूशिया और आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध करा देंगी जिसे महिलाएंअपने घर साथ ले जा सकेंगी और उनकी मेहनत का सही मूल्य दिलाने में मदद करेंगी.
इस स्टार्ट-अप को उनके पिता अशोक तिवारी से वित्तीय मदद मिली और बहन स्मिता ने महिलाओं को आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली. इस काम के लिए एक-दो महिलाएं ही जुड़ीं, लेकिन धीरे-धीरे और अधिक महिलाओं ने भी इससे जुड़ने का फैसला लिया. गया में चुंगी के साथ लगभग पच्चीस महिलाएं जुड़ कर रोजगार प्राप्त कर रही हैं. वर्तमान में श्वेता मुंबई में रहती हैं और वहां अपने चार सदस्यों की टीम के साथ तैयार हस्तशिल्प उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर बाजार दिलाने का काम करती हैं. वह मुंबई से महिलाओं को फैब्रिक, धागे और सैंपल भेजने का काम करती हैं. दो से तीन माह के अंतराल पर वह गया आती हैं तथा महिलाओं के काम की मॉनिटरिंग करती हैं.
मुजफ्फरपुर में भी इसी तरह उनके द्वारा तैयार ग्रामीण महिलाओं का एक समूह हस्तशिल्प उत्पाद तैयार कर रोजगार प्राप्त कर रहा है. हस्तकला के काम से जुड़ने वाली नये सदस्यों को पहले उनके रुचि के मुताबिक प्रशिक्षण दिया जाता है. श्वेता बताती हैं कि वह बिहार के अलावा देश के अन्य राज्यों की महिला कलाकारों को चुंगी से जोड़ रही हैं. इन महिला कलाकारों को रोजमर्रा की दिनचर्या से समय निकाल कर कुछ ऐसा करने की सलाह देती हैं जिससे वह आर्थिक आजादी हासिल करें और परिवार को चलाने में अपनी भागीदारी दे सकें.
चुंगी के माध्यम से महिलाओं की हुनर को और अधिक निखारने के लिए आवश्यक साजो-समान मुहैया कराया जाता है. श्वेता का मानना है कि कला और कलाकारों के हक में चुंगी एक मुहिम है ताकि देश के छोटे-छोटे गांव कस्बों में महिलाओं के हुनर को निखारते हुए उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सके. वह कहती हैं कि डिजिटल आर्ट के समय में हस्तशिल्प कला को बचाना बेहद जरूरी है. हस्तकला को ग्रामीण महिलाओं के लिए एक मजबूत आजीविका के रूप में उभारा जा सकता है.

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