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जो ढूंढ़ते हैं भूत के सबूत

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रहस्य : पारलौकिक शक्तियों का पता लगाती हैं पैरानॉर्मल सोसायटीज देश-दुनिया के लगभग छह हजार हॉन्टेड लोकेशंस (भूतहा जगहों) की जांच करने वाले गौरव तिवारी बीती सात जुलाई को दिल्ली में अपने फ्लैट पर मृत पाये गये. एक महीना होने को है, लेकिन उनकी मौत का रहस्य अब भी बरकरार है. 32 वर्षीय गौरव अमेरिका […]

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रहस्य : पारलौकिक शक्तियों का पता लगाती हैं पैरानॉर्मल सोसायटीज
देश-दुनिया के लगभग छह हजार हॉन्टेड लोकेशंस (भूतहा जगहों) की जांच करने वाले गौरव तिवारी बीती सात जुलाई को दिल्ली में अपने फ्लैट पर मृत पाये गये. एक महीना होने को है, लेकिन उनकी मौत का रहस्य अब भी बरकरार है. 32 वर्षीय गौरव अमेरिका में प्रोफेशनल पायलट की नौकरी छोड़ भारत आये और इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी बनायी़ यह भूत-प्रेत, आत्माओं और यूएफओ (उड़न तश्तरियों) की खोज करनेवाले लोगों का एक संगठन है, जो आधुनिक गैजेट्स की मदद से पारलौकिक शक्तियों के साथ संपर्क साधने की कोशिश करता है.
रहस्य और रोमांच के इस सफर को आइए जानें तफसील सेपारलौकिक गतिविधियों में रुचि होने के कारण गौरव तिवारी ने अपनी पायलट ट्रेनिंग के दौरान ही अमेरिका के पारा नेक्सस एसोसिएशन से प्रोफेशनल पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर की डिग्री ले ली थी़ भारत लौटकर गौरव ने वर्ष 2009 में इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी की शुरुआत की थी. पढ़े-लिखे लोगों की इस टीम में आज लगभग 50 पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर्स और 1500 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं. लगभग पांच वर्ष पहले गौरव चर्चा में तब आये, जब वह अपनी टीम को लेकर राजस्थान के भानगढ़ में भूतों पर रिसर्च करने पहुंचे थे.
गौरतलब है कि भानगढ़ में सरिस्का के जंगलों के नजदीक एक ढहता हुआ किला है, जहां दिन ढलने के बाद भूतों का आतंक छा जाता है. इस जगह पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच ‘प्रवेश की सख्त मनाही’ है. गौरव अपनी रिसर्च के लिए कई तरह के जरूरी उपकरण साथ ले गये थे, जो भूतों पर रिसर्च के काम आते हैं. भानगढ़ के किले में पहुंच कर गौरव कोने-कोने में घूमे और यहां भूतों से बात करने की भी कोशिश की थी.
वैसे तो हमारे देश में 10 के करीब मान्यताप्राप्त पैरानॉर्मल सोसायटीज हैं, जो भूतों से बात करने और उनके रहस्य सुलझाने का दावा करती हैं. कुछ खास वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से इनके सदस्य भूतिया स्थानों की आर्द्रता और नमी का पता लगाकर वहां हो रही पारलौकिक गतिविधियों को कैमरे और ऑडियो में कैद कर लेते हैं. आइए जानें ऐसे ही कुछ गैजेट्स के बारे में, जो पैरानॉर्मल सोसायटीज के सदस्यों द्वारा भूत-प्रेत और आत्माओं का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं.
डिजिटल रिकॉर्डर : इसका छोटा नाम EVP है. पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर इसे ऐसी जगहों पर रहस्यमयी आवाजें सुनने के लिए इस्तेमाल करते हैं. कई इन्वेस्टिगेटर्स का मानना है कि इस डिजिटल रिकॉर्डर की आवाज से आत्माओं को फॉलो किया जा सकता है.
मोशन डिटेक्टर : साधारण आंखों से न देखी जा सकने वाली आकृतियों को देखने के लिए कुछ घोस्ट इन्वेस्टिगेटर्स मोशन डिटेक्टर या मोशन सेंसर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस उपकरण से ऐसी शक्तियों का आसानी से पता चल जाता है.
मोशन सेंसर्स बहुत सेंसिटिव मूवमेंट्स को भी आसानी से ट्रैक कर लेते हैं.
EMF (इलेक्ट्रोमैग्नेटिव फोर्स) मीटर : यह डिवाइस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड और आत्माओं की एक्टिविटी का पता करती करती है. पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर्स का कहना है कि पारलौकिक शक्तियों में मैग्नेटिक फील्ड को बदलने की ताकत होती है और मैग्नेटिक फील्ड के बदलते ही EMF मीटर इसे ट्रैक कर लेता है.
कंपास या डाउजिंग रॉड्स : कंपास एक प्राकृतिक EMF की तरह काम करता है. आसपास अगर कोई आत्मा या पारलौकिक शक्ति हो, तो वह उसी दिशा में मुड़ जाता है.
घोस्ट बॉक्स : घोस्ट बॉक्स या फ्रैंक बॉक्स एक तरह का पोर्टेबल रेडियो है, जिसमें FM और MM बैंड भी कनेक्ट होता है. माना जाता है कि कई रहस्यमयी ताकतें ऑडियो संकेतों की मदद से अपना संदेश देती हैं. इस डिवाइस को डिजिटल रिकॉर्डर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
मिस्टर घोस्ट : यह एक EMF डिटेक्टर है. इसे स्मार्टफोन के हेडफोन जैक से कनेक्ट घर में पारलौकिक गतिविधि का पता लगाया जा सकता है. दरअसल, यह एक ऐसी डिवाइस है, जो ऐप की मदद से रेडिएशन मापती है.
इसे यूज करने के लिए स्मार्टफोन पर MrGhost का ऐप डाउनलोड करना होता है. EMF डिटेक्टर को फोन से कनेक्ट करके उस दिशा में इंगित करना होता है, जहां से भूतिया गतिविधि होने की शंका हो. ऐप की मदद से यह डिवाइस उस जगह से आ रही रेडिएशन बता देगी.
लेजर ग्रिड : यह एक तरह की लेजर डिवाइस है, जिसमें आसपास आत्मा या शक्ति होने पर लेजर बीम जलने लगती है. घोस्ट इन्वेस्टिगेशन में इसे सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही कैमरा और कैम-कॉर्डर भी लगाया जाता है. बाजार में तरह-तरह के फीचर्स वाले कई लेजर ग्रिड उपलब्ध हैं.
इन्फ्रारेड थर्मोमीटर : इसे थर्मल स्कैनर के नाम से भी जाना जाता है. जब कोई शक्ति नजदीक होती है, तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड और तापमान में भी जरा-सा अंतर आ जाता है. इन दोनों चीजों को मापने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. अगर तापमान 10 डिग्री के नीचे चला जाये, तो यह किसी शक्ति के होने का एहसास बताता है. घोस्ट इन्वेस्टिगेटर्स सभी भूतिया जगहों पर इसे जरूर लेकर जाते हैं. अन्य कई उपकरणों के साथ इसकी रीडिंग को भी काफी वरीयता दी जाती है.कल पढ़ें : भारत में पारलौकिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध चुनिंदा जगहें.

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