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जानें एलर्जी के प्रमुख लक्षण अैर उपचार के बारे में

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पर्यावरण में एलर्जी फैलाने वाले कई एलर्जिक तत्व हैं, जिनके संपर्क में आने से यह समस्या होती है. आमतौर पर यह जुकाम, खांसी, नाक से पानी बहना, खराश व आंखों में लाली के तौर पर एलर्जी सामने नजर आती हैं. एलर्जी के प्रमुख लक्षण वहीं, आंखों की एलर्जी से आंख लाल हो सकता है. उससे […]

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पर्यावरण में एलर्जी फैलाने वाले कई एलर्जिक तत्व हैं, जिनके संपर्क में आने से यह समस्या होती है. आमतौर पर यह जुकाम, खांसी, नाक से पानी बहना, खराश व आंखों में लाली के तौर पर एलर्जी सामने नजर आती हैं.
एलर्जी के प्रमुख लक्षण
वहीं, आंखों की एलर्जी से आंख लाल हो सकता है. उससे इचिंग या खुजली हो सकती है, सुबह उठते समय आंखें आपस में चिपकी हुई हो सकती है. आंखों से पीला चिपचिपा पदार्थ निकल सकता है. यह सब आंखों में संक्रमण से होता है.
उसी तरह कान में भी एलर्जी हो सकती है, जिसमें कान से मवाद आना या फिर कान में लाल रैशेज आ सकते हैं. कई बार कान के पर्दे को भी समस्या हो सकती है. यदि स्किन की एलर्जी होगी, तो एग्जिमा हो सकता है, जिसे एक्टोपिक एग्जिमा कहते हैं. इसमें स्किन में रैशेज आ सकते हैं, स्किन में लाल दाने हो सकते हैं, जिसमें खुजली भी हो सकती है.
एलर्जिक रायनाइटिस का इलाज
फेक्सोफेनाडाइन 180 मिली ग्राम, 1 गोली सुबह-शाम रोज,
अमोक्सी साइक्लिन एवं पोटैशियम क्लेव नेट 625 एमजी, 1 गोली सुबह-शाम रोज
नाक बंद होने पर जाइलो मेटा जोलीन/सोडियम क्लोराइड का नेजल ड्राॅप दे सकते हैं.
एयर बोर्न कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस (स्किन एलर्जी)
फेक्सोफेनाडाइन 180 एमजी की एक गोली सुबह-शाम रोज
हैड्रोकोर्टिसोन एवं फुसिडीक एसिड क्रीम को एलोवेरा क्रीम में मिलाकर लगाएं.
चिकेन पॉक्स होने की स्थिति पर वालसाइक्लोभिर 1000 एमजी की एक गोली 3 बार रोज 5 दिनों तक दे सकते हैं. साथ में फेक्सोफेनाडाइन 180 एकजी एक गोली सुबह-शाम रोज दे सकते हैं.
एलर्जी का होमियोपैथिक इलाज
आजकल मौसम तेजी से बदल रहा है. दिन में गर्मी होती है और शाम होते ही ठंड का एहसास होता है और रात भर रहता है. धीरे-धीरे गर्मी भी बढ़ेगी. ऐसे मौसम में बच्चों और बुजुर्गों को सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम अपेक्षाकृत कमजोर होता है.
इस मौसम में एडजस्ट नहीं कर पाने पर आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन हो सकते हैं. एलर्जी से बचने में होमियोपैथी काफी कारगर है. जैसे- सर्दी से बचने के लिए Dulcumara 200 शक्ति की दवा 4-4 बूंद बच्चों व बुजुर्गों को देना चाहिए. इससे रोग की रोकथाम हो जाती है. अन्य रोग जैसे-Measles व Chickenpox होने का भी यही मौसम होता है.
इन्फ्लूएंजा : मुख्यत: वायरस से होता है. रोगी के छींकने, खांसने से, आसपास के व्यक्ति भी संक्रमित हो जाते हैं.
बचाव : ग्रसित रोगी के सामने न बैठें या उसके द्वारा इस्तेमाल बर्त्तन, रूमाल, तौलिया का उपयोग न करें. बचाव के लिए Influenzinum 30 शक्ति की दवा परिवार में सभी को सुबह, शाम और रात में दे सकते हैं.
यूपेटोरियम पर्फ (Eupatorium Perf): सर्दी के साथ छींक आना, आवाज में भारीपन, शरीर की मांसपेशियों में असहनीय दर्द. रात में बेचैनी का अनुभव होने पर 30 या 200 शक्ति की दवा 4-4 घंटे के अंतराल पर लें.
रसटॉक्स (Rhus Tox) : सर्दी एवं सुखी खांसी, बेचैनी रहे, बार-बार करवट बदलने का मन करे एवं हाथ-पैर खींचने से आराम मिले, तो 200 शक्ति की दवा 4-4 घंटे पर लें.
मिजिल्स (खसरा) : यह रोग 3-5 वर्ष के बच्चों को अधिक होता है. यह मिजिल्स वायरस से होता है. यह भी बीमार बच्चे से दूसरे बच्चे को मुंह पर खांसने या जूठा खाने से हो सकता है.
लक्षण : अचानक तेज बुखार (102 से 104 डिग्री). दो अवस्था होती है. दानें निकलने से पूर्व के लक्षण और बाद के लक्षण. दानें निकलने के पहले बुखार तेज बुखार आना नाक व आंख से पानी आना तेज रोशनी अच्छा न लगना. बचाव के लिए मोरबिलिनम 200 शक्ति की दवा रोजाना सुबह व रात तीन दिनों तक लें.
जेलसेमियम : लाल छोटे-छोटे दानें निकल आयें, देखने में लगे कि बच्चा लगातार रोकर आया है. आंखें आंसुओं से डबडबायी हों. ऐसे में जेलसेमियम 200 शक्ति की दवा 4-4 घंटे के अंतराल पर दें.
कालीम्यूर : बुखार एवं सूखी खांसी और खांसने पर खखार आना. ऐसी अवस्था में इस दवा 200 शक्ति बहुत कारगर है.
फेरमफॉस : बुखार, सर्दी एवं खांसी की प्रारंभिक अवस्था में कारगर है. शरीर को ठंडे पानी से पोंछने पर आराम महसूस होता है.
डॉ एस चंद्रा से बातचीत
बदलते मौसम में आंखों की देखभाल
डॉ राजीव रंजन
नेत्र रोग विशेषज्ञ, नारायण नेत्रालय, प्लाजा चौक, रांची
इस मौसम में धूल व पेड़ों के पौलेन से आंखों में एलर्जी की समस्या काफी बढ़ जाती है. इसके अलावा आंखों में इन्फेक्शन (कनजक्टीवाइटिस) आंखों के पलक में फुंसियां (स्टाई), आंखों को सूखापन (ड्राइ आइ), सूर्य की तेज रोशनी (अल्ट्रावायलेट रे) से आंखों की समस्याएं बढ़ जाती है. इसलिए बदलते मौसम में हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आंखें सुरक्षित रहें और आपको देखने में परेशानी न हो.
अपनाएं ये उपाय
– धूल से आंखों को बचाएं, स्कूटी या बाइक चलाते वक्त कवर वाला हेमलेट पहनें.
– आंखों को दिन में तीन चार-बार साफ ठंडे पानी से धोएं ताकि आंखें साफ और स्वस्थ रहें.
– ठंडे पानी से रूई या साफ कपड़े को भींगा कर आंखें सेंक भी सकते हैं.
– अगर स्वीमिंग पुल में नहाते हैं, तो ध्यान रखें कि पानी साफ हो तथा क्लोरीन की मात्रा सही हो. कोशिश करें कि स्वीमिंग के लिए पहने जानेवाले चश्में का प्रयोग करें.
– अगर पैदल चल रहे हों या हाफ हेलमेट पहना हो, तो सन ग्लास लगाएं. इससे तेज धूप व धूल दोनों से बचाव हो पायेगा.
इन्फेक्शन से बचाव
– आंखें लाल होना, आंखों से कीचड़ या पीला डिस्चार्ज निकलना, आंखों के पलकों को चिपकना आदि आंखों में इन्फेक्शन के लक्षण हैं. यदि इस तरह के लक्षण आपकी या परिवार या आस-पड़ोस के लोगों में दिखे, तो निम्नलिखित सावधानी बरतें.
– यह बीमारी छूने से फैलती है, आंखों को ऊंगलियों से न छूएं, मरीज का तौलिया, रुमाल अलग कर लें नहीं तो घर में बाकी लोगों को भी यह समस्या हो सकती है.
– साफ-सफाई का ध्यान रखें, डॉक्टर की सलाह पर ही दवाई लें.
– काॅस्मेटिक्स का प्रयोग कम करें और उसे शेयर न करें.
– आंखों को तेज गर्म हवा या एयर कंडीशन की हवा से बचाएं.
– लुब्रीकेटिंग आइ ड्रॉप्स का उपयोग करें.
– आंखों को साफ ठंडें पानी से धोएं और पोछते समय साफ तौलिये का उपयोग करें.
– ये आंखों की रेटीना को नुकसान पहुंचाते हैं तथा मोतियाबिंद तथा टेरेजियम (नखुना) के भी बढ़ने में मदद करते हैं. इनसे बचने के लिए ये उपाय अपनाएं.
– सनग्लास का प्रयोग करे, जो पराबैंगनी किरणों से बचाती है.
एलर्जी के मुख्य कारण
पेड़ और पत्तियों के पराग, धूल के कण, पालतू पशुओं की रूसी, ततैया और मधुमक्खी जैसे कीड़े, घरेलू उपयोग में आनेवाले केमिकल्स, खाद्य पदार्थ (अलग-अलग लोगों के लिए अलग), इनसे बचने के लिए हाइजीन और बेहतर जीवनशैली बनाना जरूरी.

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