Bikru Kand: गैंगस्टर Vikas Dubey के करीबी अमर दुबे की पत्नी Khushi Dubey को कैसे मिली जमानत
हममें शायद ही कोई ऐसा हो, जो इन पंक्तियों के जादू से वाकिफ ना हो. जी हां, यह पंक्तियां हैं मशहूर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की. आज इनका जन्मदिन है. सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं में वीर रस की प्रधानता रही है. उनकी रचनाओं में झांसी की रानी सर्वाधिक चर्चित है. उनकी प्रमुख रचनाएं हैं मुकुल (कविता संग्रह), बिखरे मोती (कहानी संग्रह) सीधे -सादे चित्र और चित्रारा.
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म इलाहाबाद के निहालपुर गांव में हुआ था. उन्होंने बचपन से ही स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लिया था. उनकी शिक्षा भी इलाहाबाद से ही हुई थी. 1921 में सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था. वे पहली महिला सत्याग्रही थीं जिन्हें गिरफ्तार किया गया था और वे दो बार जेल भी गयीं थीं. 1948 में मात्र 43 वर्ष की उम्र में एक कार दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी.
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।
महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥