27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 04:50 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बीमारी के लक्षणों के प्रति आगाह करेगा थिन वियरेबल सेंसर्स

Advertisement

किसी संभावित बीमारी से पहले हमारा शरीर उसके लक्षणों को इंगित करने लगता है. हालांकि, हम उस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते या फिर उसकी अनदेखी करते हैं, जिस कारण बीमारियों की चपेट में आने से हम खुद को बचा नहीं पाते हैं. वैज्ञानिकों ने शरीर में पहनने योग्य ऐसे सेंसर विकसित किये हैं, जो […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

किसी संभावित बीमारी से पहले हमारा शरीर उसके लक्षणों को इंगित करने लगता है. हालांकि, हम उस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते या फिर उसकी अनदेखी करते हैं, जिस कारण बीमारियों की चपेट में आने से हम खुद को बचा नहीं पाते हैं.
वैज्ञानिकों ने शरीर में पहनने योग्य ऐसे सेंसर विकसित किये हैं, जो न केवल आरामदायक होंगे, बल्कि हमें संभावित स्वास्थ्य जोखिम के प्रति आगाह भी करेंगे. दूसरी ओर, टाइप 1 डायबिटीज का वैक्सीन विकसित करने में वैज्ञानिकों को कामयाबी मिली है और जल्द ही इसका परीक्षण शुरू होगा. शरीर में पहने जाने योग्य इसी सेंसर और टाइप 1 डायबिटीज के वैक्सीन समेत इससे जुड़े विविध पहलुओं को रेखांकित कर रहा है आज का मेडिकल हेल्थ पेज …
हृदय की धड़कन व ब्लड प्रेशर समेत शरीर से निकलने वाली पसीने की मात्रा और विविध हेल्थ इंडिकेटर्स को जानने के लिए शरीर के भीतर लगाये जाने वाले हेल्थ सेंसर्स अक्सर आकार में बड़े होने के कारण कष्टदायी होते हैं. इसके समाधान के तौर पर वैज्ञानिक एक बेहद पतले व पहने जाने योग्य उपकरण को विकसित कर रहे हैं, जो यूजर की त्वचा के जरिये आंकड़ों को रिकॉर्ड कर सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गयी डिवाइस देखने में सोने के अस्थायी टैटू की तरह लगती है. मरीज के लिए यह इतनी आरामदायक होगी कि वह भूल जायेगा कि उसने कुछ पहन भी रखा है.
20 मरीजों पर किया गया परीक्षण
त्वचा आधारित अन्य सेंसर्स को पेपर पर इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल करते हुए बनाया जाता है, जिसे त्वचा के भीतर प्रविष्ट कराया जाता है. इस पेपर की प्रकृति कुछ ऐसी होती है कि व कुछ सख्त होने के साथ मोड़ने में बाधा डालता है और पसीने को रोकता है. ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने किस तरह से एक ऐसे मैटेरियल का इस्तेमाल किया, जो पानी में घुलनशील होने के साथ त्वचा के लिए नुकसानदायी नहीं होता.
यह एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक आर्ट है, जो मुलायम और फ्लेक्सिबल है यानी बिना किसी बाधा के इसे घुमाया जा सकता है. आरंभिक परीक्षण के दौरान 20 मरीजों को यह डिवाइस पहनायी गयी और इनमें से किसी ने भी कोई शिकायत नहीं की है. न तो किसी मरीज ने इस वियरेबल तकनीक से किसी प्रकार के शारीरिक नुकसान की शिकायत की अौर न ही खुजली या जलन की शिकायत की.
मौजूदा हेल्थ मॉनिटरिंग डिवाइस
अब तक स्किन आधारित स्मार्ट इंटरफेस के जरिये यह काम होता रहा है. हाल के वर्षों में एप्लीकेशन इतना विकास हो गया है कि आपकी त्वचा टचस्क्रिन में परिवर्तित हो चुकी है और कई मामलों में आप दूर से ही अपने फोन काे नियंत्रित कर सकते हैं.
मेडिकल मॉनीटरिंग के लिए सामान्य तौर पर मरीज को अस्पताल जाना पड़ता है, जहां ‘पैचेज’ के जरिये मरीज की त्वचा में इलेक्ट्रॉड्स अप्लाइ किये जाते हैं.
ये पैचेज तारों से जुड़े हाेते हैं, जिन्हें बड़ी मशीनों से जोड़ा जाता है. हालांकि, मरीज जब किसी सर्जरी के लिए अस्पताल में भरती हो, तो उस दौरान यह प्रक्रिया एक हद तक ठीक है, लेकिन जब वह घर पर होगा, तो यह काम नहीं करेगा. सर्जरी सफल रही या उसकी सेहत में सुधार हो रहा है, इसे जानने के लिए मरीज को अक्सर खास लक्षणों को समझना होता है और उस पर निगाह रखनी होती है. माॅनीटरिंग उपकरण का मौजूदा डिजाइन हेल्थ मैनेजमेंट के इस क्रिटिकल हिस्से को कामयाब बनाने में बाधा पहुंचा सकता है.
सोने के टैटू की तरह डिवाइस
वैज्ञानिकों ने जिस नये सिस्टम को विकसित किया है, उसे पॉलिविनाइल अल्कोहल से बनाया गया है. इस मैटेरियल का इस्तेमाल कॉन्टेक्ट लेंस और कृत्रिम अंगों के निर्माण में किया जाता है. इलेक्ट्रोस्पिनिंग नामक इलेक्ट्रिकल फोर्स द्वारा चार्ज करने के बाद इस मैटेरियल को गोल्ड लिक्विड में डुबाेया जाता है. इस ‘पैच’ को स्किन में प्रवेश कराया जाता है. पॉलिविनाइल विभाजित हो जाता है, लेकिन गोल्ड लिक्विड पठनीय रहता है.
इलेक्ट्रोमायोग्राम
इएमजी यानी इलेक्ट्रोमायोग्राम एक प्रकार का आरंभिक टेस्ट था. इएमजी मांसपेशियों को आराम की अवस्था और सक्रिय अवस्था में होने पर उसके इलेक्ट्रिकल गतिविधियों को मापता है. नर्व कंडीशन स्टडीज यह मापता है कि नर्व्स कितने सटीक तरीके से और तेजी से इलेक्ट्रिकल सिगनल भेज सकते हैं. इंपल्स कहे जाने वाले इलेक्ट्रिकल सिगनल से नर्व्स शरीर में मांसपेशियों को नियंत्रित करता है.
अनंत संभावनाएं
हालांकि, अब तक के परीक्षणों में यह किसी खास मकसद को पूरा करने में कामयाब नहीं दिखा है, लेकिन इसमें अनंत संभावनाएं पायी गयी हैं. प्रोफेशनल स्पोर्ट्स एप्लीकेशन में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. अब तक पूरी तरह से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन इसके आरंभिक नतीजे यह दर्शाते हैं कि अगले चरण में इससे अचंभित करने वाले नतीजे हासिल हो सकते हैं.
विशेषज्ञ की राय
तकाओ सोमेया, नैनोटेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ और संबंधित शोधकर्ता,
यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो
मरीज को बिना किसी तरह का कष्ट पहुंचाये उसकी बीमारी के संदर्भ में लक्षणों की निगरानी होगी मुमकिन. ये मेडिकल सेंसर्स मरीज के लिए जीवन रक्षक की भूमिका निभा सकते हैं. मरीज की त्वचा के भीतर आरोपित किये गये इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को भविष्य में विविध कार्यों के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
टाइप-1 डायबिटीज के वैक्सीन का परीक्षण
वैज्ञानिकों ने टाइप 1 डायबिटीज का वैक्सीन विकसित किया है, जो इस बीमारी से बचाने में मददगार होगा. वर्ष 2018 के आरंभ में इसे नये प्रोटोटाइप का परीक्षण शुरू होने की उम्मीद जतायी गयी है. पिछले करीब 25 वर्षों से वैज्ञानिक इस वैक्सीन काे विकसित करने में जुटे हैं. इस वैक्सीन को पूरी तरह से प्रभावी बनाये बिना टाइप 1 डायबिटीज से मुकाबला करना मुश्किल है.
– इम्यून सिस्टम करेगा विकसित
वायरस से मुकाबला करने के लिए यह वैक्सीन शरीर के भीतर निश्चित रूप से इम्यून सिस्टम को विकसित करेगा. करीब पांच फीसदी आबादी टाइप 1 डायबिटीज की चपेट में है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज इससे ज्यादा लोगों को है. फिनलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ टेंपेयर के शोधकर्ताओं को ‘कॉक्ससैकियेवायरस बी1’ नामक वायरस को लिंक करने में कामयाबी मिली है, जो पैन्क्रियाज में कोशिकाओं को नष्ट करते हैं. इस कारण रक्त से ग्लूकोज ग्रहण करते हुए इंसुलिन बनाने की पैन्क्रियाज की क्षमता कम होगी.
– क्या है टाइप 1 डायबिटीज
शरीर के भीतर बीमारियों और संक्रमण से लड़ने वाला इम्यून सिस्टम जब पैन्क्रियाज में स्वयं अपनी कोशिकाओं पर हमला करने लगते हैं, तो इससे टाइप 1 डायबिटीज होता है. इस हमले से शरीर में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है.
वैक्सीन विकास की प्रक्रिया उल्लेखनीय दिशा में आगे बढ़ रही है. उम्मीद है कि अगले चरण में हम इनसानों में वैक्सीन के असर का अध्ययन करेंगे. मायोकार्डाइटिस और मेनिंजाइटिस समेत कान के संक्रमण जैसे इंटेरोवायरस द्वारा पैदा हुए संक्रमण के खिलाफ यह वैक्सीन हमें सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होगा.
– हेइकी हयोती,
वायरोलॉजिस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ टेंपेयर

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें