18.1 C
Ranchi
Wednesday, February 26, 2025 | 01:48 am
18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आर्थिक प्रतिबंधों और कूटनीतिक कटौती का सिलसिला, ट्रंप और पुतिन की जारी है रस्साकशी

Advertisement

रूस अमेरिका तनाव अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. माना जा रहा था कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय शुरू हुई यह खींचतान डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद नरम पड़ेगी, क्योंकि ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में संबंध बेहतर करने की बात कही थी. ओबामा के कार्यकाल […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

रूस अमेरिका तनाव
अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. माना जा रहा था कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय शुरू हुई यह खींचतान डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद नरम पड़ेगी, क्योंकि ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में संबंध बेहतर करने की बात कही थी.
ओबामा के कार्यकाल में यूक्रेन और सीरिया में रूसी हस्तक्षेप तथा रूस में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मसले पर दोनों देशों के बीच खाई बढ़ी. यह तनाव महज दो महाशक्तियों के बीच का मामला नहीं है. इससे चीन, उत्तर कोरिया, अरब, यूरोप की राजनीति और आर्थिकी का भी संबंध है. इस मुद्दे के विविध पहलुओं पर प्रस्तुत है आज का इन-डेप्थ…
रहीस सिंह
विदेश मामलों के जानकार
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद से ही ऐसा लगने लगा था कि अमेरिकी विदेश नीति एक बड़े बदलाव से गुजरेगी. इस बदलाव में अहम पक्ष यह होगा कि अमेरिका बराक ओबामा की ‘एशिया पीवोट’ की नीति का परित्याग कर ‘माॅस्को पीवोट’ की ओर शिफ्ट करेगी.
हालांकि एक संशय था. संशय यह कि व्लादिमीर पुतिन क्या डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को उन्हीं अर्थों एवं संदर्भों में स्वीकार कर पायेंगे, जिन अर्थों मंे ट्रंप उसे पेश कर रहे हैं? इस विषय पर भी संशय था कि नयी विश्व व्यवस्था (न्यू वर्ल्ड आॅर्डर) में दोनों देश अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाओं के बीच सहयोग व समभाव कैसे सुनिश्चित करेंगे. फिर भी ट्रंप की पुतिन से निकटता और पक्षधरता नये विकल्पों के लिए जगह बनाती हुई दिख रही थी.
परंतु अमेरिकी कांग्रेस द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कानून को पारित किये जाने और रूसी राष्ट्रपति पुतिन द्वारा अमेरिकी कांसुलेट के 755 अधिकारियों व कर्मचारियों की रूस में गतिविधियों पर पाबंदी लगाये जाने के बाद, घड़ी की सुईयां पुनः 180 डिग्री पीछे घूमती हुई दिखीं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि भारत को इसे किस दृष्टिकोण से देखना चाहिए?
इतिहास से बाहर नहीं आ रहे दोनों
पिछले दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी दूतावास में काम करनेवाले 755 लोगों को रूस में अपनी सारी गतिविधियों को तुरंत प्रभाव से रोकने का आदेश दे दिया.
उन्होंने एक टीवी साक्षात्कार में यह भी कहा कि हमने काफी इंतजार किया, हमें उम्मीद थी कि स्थिति बेहतर होगी. लेकिन लगता है कि स्थिति जल्द नहीं बदलेगी. दरअसल, रूस की तरफ से यह प्रतिक्रिया अमेरिकी कांग्रेस द्वारा एक विधेयक को मंजूरी दिये जाने के बाद आयी है. इस विधेयक के जरिये अमेरिकी कांग्रेस एकमत होकर रूस पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इन प्रतिबंधों के लिए दो कारण बताये गये हैं.
पहला- 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करना और दूसरा-2016 के अमेरिकी चुनाव में मॉस्को द्वारा किया गया कथित हस्तक्षेप. हालांकि, ट्रंप और पुतिन की नजदीकियों को देखते हुए यह नहीं लगता था कि ट्रंप इस विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन अपनी साख बचाने के लिए उन्होंने हस्ताक्षर करने का फैसला किया. ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार कहा था कि वह रूस के साथ रिश्ते बेहतर करना चाहते हैं. रूस और अमेरिका एक साथ आयें, इसकी दुनिया को जरूरत है.
लेकिन सच यह है कि वे आ नहीं सकते, क्योंकि दोनों ही अतीत के इतिहास से बाहर नहीं आ पा रहे हैं और इस समय कमाेबेश दोनों ही स्वर्ण युग की पुनर्स्थापना का सपना लिये हुए आगे बढ़ रहे हैं. ट्रंप जब अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं थे, तब एक व्यवसायी थे और रूस उनकी जरूरत था. लेकिन, अब वे उस देश के राष्ट्रपति हैं, जिसने आवश्यकता के बिना किसी से मित्रता नहीं की. देखना यह है कि रूस अब अमेरिका का जरूरत बन पाता है या नहीं.
विश्व-व्यवस्था में शक्ति-संयोजन!
परिणाम जो भी हो, लेकिन इस क्रिया-प्रतिक्रिया के बीच उभरते हुए कुछ प्रश्न और हैं. पहला यह कि क्या रूसी शासन द्वारा पहली बार अमेरिकी कर्मचारियों को बाहर निकालने या उनकी गतिविधियों पर रोक लगाने का फैसला किया गया है?
दूसरा यह कि रूसी दूतावास के जिन कर्मचारियों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें से कितने अमेरिकी नेशनल्स हैं? एक यूरोपीय अखबार की बात मानें, तो 1917 की बोल्शेविक क्रांति के बाद पहली बार रूस में अमेरिकी दूतावास में काम करनेवाले इतने कर्मचारियों की गतिविधियों पर एक साथ प्रतिबंध लगाया गया है. इससे पहले भी दोनों तरफ से कर्मचारियों की गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाता रहा है अथवा उन्हें देश छोड़ने की लिए कहा जाता रहा है, लेकिन इतनी संख्या में नहीं.
वैसे तो माॅस्को स्थित अमेरिकी दूतावास में नियुक्त अपने स्टाॅफ की निश्चित संख्या बता पाने में असमर्थ है, लेकिन वर्ष 2013 के स्टेट डिपार्टमेंट के एक रिव्यू के अनुसार माॅस्को में अमेरिकी मिशन में नियुक्त 1200 कर्मचारियों में से 333 अमेरिकी नेशनल्स थे और 867 विदेशी नेशनल्स जिनमें अधिकतर स्थानीय रूसी थे, जो सपोर्ट स्टाफ के रूप में कार्य कर रहे थे. यानी 455 की कैपिंग की गयी है, जबकि अमेरिकी नेशनल्स तो केवल 333 ही हैं.
तात्पर्य यह हुआ कि जिन 755 की गतिविधियों पर रोक लगायी गयी है, उसमें अमेरिकी शायद शामिल नहीं होंगे. फिर तो अधिकारियों या कर्मचारियों की गतिविधियों पर रोक हो सकती है, लेकिन वे देश से बाहर निकाले नहीं जायेंगे. तो फिर इस निर्णय के जरिये पुतिन दुनिया को क्या बताना चाह रहे हैं? क्या वे एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं?
हेनरी किसिंजर के सुझाव!
लगभग 45 वर्ष पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर ने सलाह दी थी कि रूसियों से कहीं ज्यादा खतरनाक चीनी हैं. किसिंजर का सुझाव था कि संयुक्त राज्य अमेरिका के रूप में आपको माॅस्को और बीजिंग के बीच में शत्रुता का लाभ उठाना चाहिए.
आपकी आवश्यकता यह है कि आप बीजिंग और मास्को के बीच में बैलेंस आॅफ पाॅवर गेम को पूरी तरह से संवेदनहीन होकर खेलें. जब ट्रंप की ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर चीन विरोधी और रूस को लेकर मैत्री वाला रुख देखा गया, तो कुछ विचारकों ने यह मान लिया कि चीन के साथ निक्सन की सफलता के लगभग 45 वर्ष पश्चात अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति किसिंजर की सलाह के अनुसार आगे चलने का मनोविज्ञान विकसित कर रहे हैं.
अमेरिका प्रत्येक स्तर पर और प्रत्येक तरह से यह चाहेगा कि माॅस्को और बीजिंग कुछ दूरी बनाये रहें. हालांकि अब तक दिखा नहीं हैं. सोवियत युग में रूस बिग ब्रदर की भूमिका में रहा है, लेकिन वैश्विक आर्थिक ताकत बनने के बाद चीन लगातार अतिमहत्वाकांक्षी और आक्रामक होता जा रहा है. इसलिए शायद चीन अब रूस को बिग ब्रदर की भूमिका में नहीं स्वीकार कर सकेगा. ऐसे में माॅस्को-चीन रिलेशनशिप बांड्स को कुछ गहराई में जाकर समझने की जरूरत होगी. फिर भी ट्रंप इन बांड्स को तोड़ना चाहते थे, लेकिन अब वे इस दिशा मंे सफल होते नहीं दिख रहे.
दिल्ली-माॅस्को-वाशिंगटन त्रिकोण की जरूरत
वर्तमान समय वैश्विक बदलावों का है. इन बदलावों के दौरान किसी संभ्रांत प्रतियोगिता की उम्मीद नहीं की जा सकती. वाशिंगटन, माॅस्को और बीजिंग इस स्केल पर खरे उतर सकते हैं, क्योंकि तीनों की चारित्रिक विशेषताएं कमोबेश एक जैसी ही हैं. ऐसे में वाशिंगटन की बजाय बीजिंग की ओर देखने की जरूरत होगी, क्योंकि बीजिंग कभी नहीं चाहेगा कि माॅस्को-वाशिंगटन में निकटता स्थापित हो. लेकिन, यदि वाशिंगटन कमजोर पड़ा, तो नयी दिल्ली को भी कुछ झटके लगेंगे.
इसलिए नयी दिल्ली के हक में तो यही होगा कि नयी दिल्ली-माॅस्को-वाशिंगटन त्रिकोण निर्मित हो और बीजिंग अलग-थलग पड़े. उक्त त्रिकोण न भी बन पाये, केवल वाशिंगटन और माॅस्को निकट आते हैं, तब भी भारत को लाभ हासिल होगा. लेकिन, यदि ऐसा न हुआ और बीजिंग-माॅस्को धुरी वास्तविक आकार धारण कर ले गयी, तो निश्चित तौर पर भारत को प्रतिकूल स्थितियों का सामना करना पड़ेगा.
इस वर्ष रूस से अमेरिका आयात होनेवाली पांच प्रमुख वस्तुएं
गैसोलाइन और दूसरे ईंधनों के आयात 20.15 प्रतिशत बढ़ कर 2.67 बिलियन डॉलर मूल्य के हो गये.
अनराउट एल्युमिनियम का आयात 35.28 प्रतिशत बढ़ कर 643.89 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.
कच्चे लोहे का आयात 129.88 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 381.35 मिलियन डाॅलर मूल्य पर पहुंच गया है.
इस्पात के अर्ध-तैयार उत्पाद व गैर-मिश्र धातु इस्पात का आयात 169.43 प्रतिशत बढ़ कर 373.17 मिलियन डॉलर हो गया है.
अनराउट प्लैटिनम का आयात 88.4 प्रतिशत बढ़कर 353.74 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.
अमेरिका-रूस व्यापार संबंध
इस वर्ष अमेरिका में निर्मित वस्तुओं का रूस को होनेवाले निर्यात में इसके सात शहरों ने लगभग दो-तिहाई हिस्सेदारी निभायी है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर