28.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 02:24 pm
28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

सरहद पर संकट : भारत-चीन संबंध

Advertisement

भारतीय सीमा पर चीन की अमर्यादित और आक्रामक गतिविधियां नयी नहीं हैं, लेकिन सिक्किम सेक्टर में हाल की घटना चौकानेवाली है. पिछले कई वर्षों से चीन भारतीय सीमा में घुसपैठ करता रहा है. अरुणाचल प्रदेश, (जिसे चीन दक्षिण तिब्बत का नाम देता रहा है), के अलावा लद्दाख और हाल ही में उत्तरांचल में भी उसने […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

भारतीय सीमा पर चीन की अमर्यादित और आक्रामक गतिविधियां नयी नहीं हैं, लेकिन सिक्किम सेक्टर में हाल की घटना चौकानेवाली है. पिछले कई वर्षों से चीन भारतीय सीमा में घुसपैठ करता रहा है. अरुणाचल प्रदेश, (जिसे चीन दक्षिण तिब्बत का नाम देता रहा है), के अलावा लद्दाख और हाल ही में उत्तरांचल में भी उसने घुसपैठ की कोशिश की है. सिक्किम से लगी भारत-चीन सीमा पर इस हरकत से चीन का चरित्र और चाल दोनों साफ हो गये है.
बीते 16 जून को चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी भूटान के डोकलम एरिया में घुस आयी और उसने वहां एक रोड बनाने की कोशिश की. भूटान की शाही सेना ने चीनी सैनिकों को रोकने की कोशिश की, परंतु उसे भारी मुश्किलों का सामना करना पडा. सीमा के पास तैनात भारतीय सैनिकों ने भी उन्हें रोकने की कोशिश की. 20 जून को भूटान ने अपने नयी दिल्ली स्थित दूतवास से चीन को आधिकारिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी. भूटान ने पहले ही साफ कर दिया है कि चीन ने उसकी सीमा में घुसपैठ कर के 1988 और 1998 में दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन किया है. गौरतलब है कि चीन और भूटान में कूटनीतिक संबंध नहीं है, लेकिन दोनों देश सीमा विवाद सुलझाने के प्रयास में लगे हैं.
उधर उल्टा चोर कोतवाल को डांटे कि कहावत को चरितार्थ करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत पर ही आरोप जड़ दिया कि भारतीय सेना ने सिक्किम सेक्टर पर सीमा का उल्लंघन कर चीन में घुसपैठ की. जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक वक्तव्य में साफ तौर पर कहा कि चीनी सेना की इन गतिविधियों से वह चिंतित है और रोड बनाने की चीनी मंश से यथापूर्वस्थिति में बड़ा परिवर्तन आयेगा, जिससे भारत की सुरक्षा पर गंभीर और दूरगामी परिणाम होंगे. इस मसले पर भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच बातचीत जारी है. 20 जून को नाथू-ला में हुई बॉर्डर मीटिंग में भी इस बारे में बातचीत हुई थी.
यहां एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 2012 में भारत और चीन के बीच यह सहमति हुई थी कि दोनों देशों की सीमा के वे छोर, जो किसी तीसरे देश से भी लगे हैं (त्रिबंधीय छोर), उन पर किसी भी तरह का यथापूर्वस्थिति को बदलने का समझौता या कोई अन्य गतिविधि तीनों देशों के बीच बहस-मुबाहिसे के बाद ही होगी. जाहिर है, चीन ने इस समझौते का उल्लंघन किया है.
सीमा पर की गयी इन गतिविधियों से यह साफ हो गया है कि भारत के जापान और अमेरिका से घनिष्ठ होते संबंधों से चीन घबरा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा और उसकी सफलता ने चीन को और अधीर कर दिया है. गौरतलब है कि चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोग्राम पर श्रीलंका और जर्मनी तथा जापान ने भी भारत का समर्थन किया है. वन बेल्ट वन रोड पकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरेगा, जो कि भारत की संप्रभुता का हनन है. भारत इसका पुरजोर विरोध करता रहा है. इसीलिए मई में हुई बेल्ट रोड फोरम मीटिंग में भी भारत ने शिरकत नहीं की थी.
आज भारत की बढ़ती शक्ति, तेजी से विकास करती अर्थ्व्यवस्था, और जापान, अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड, फ्रांस, दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों और अफ्रीका से भारत की बढ़ती नजदीकियां चीन के लिए परेशानी का सबब हैं. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत क विरोध, संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद विरोधी मसौदे का विरोध, चीन-पकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीइसी) सभी इस ओर इशारा करते हैं कि चीन भारत को दक्षिण एशिया में रोक कर रखने की नीति पर अभी भी काम कर रहा है और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठने नहीं देना चाहता.
यह दीगर बात है कि चीन के पाकिस्तान को छोड़ कर हर देश के साथ सीमा विवाद और आक्रामक रवैये ने जापान और वियतनाम जैसे कई देशों को भारत की समस्या समझने, और भारत का साथ देने को प्रेरित किया है.
हैरान कर देनेवाले एक वक्तव्य में चीन के विदेश मंत्रालय ने सीमा विवाद पर भारत को 1962 को सबक के तौर पर याद करने का मशविरा भी दे डाला. हालांकि, भारत की तरफ से कहा गया कि 1962 का भारत और 2017 के भारत में जमीन आसमान का अंतर है, लेकिन चीन के इस कथन और उसकी सीमा पर हरकतें एक बड़े सवाल की और इशारा करती है: क्या भारत चीन की सीमा पर दी गयी चुनौती का मुकाबला कर सकता है?
भारत अब भी चीन से सैन्य तैयारी और साजो-सामान के मामले में पीछे है, और इन दोनों ही मसलों पर तुरंत और बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत है. दूसरी बड़ी चुनौती है पाकिस्तान-चीन के सामरिक संबंधों को टक्कर कैसे दी जाये? इन दोनों चुनौतियों को मद्देनजर रखते हुए, भारत को अपने रक्षा और सामरिक संबंधों का विस्तार करना होगा. साथ ही, रक्षा संबंधी नयी और उम्दा तक्नीक की जल्द ही खरीद भी करनी होगी.

डाॅ राहुल मिश्र
सामरिक मामलों के जानकार

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें