साल 2006 में सीपीएम सरकार के कार्यकाल में जिस आंतक से मुक्ति पाने और नंदीग्राम में शांति के लिए नंदीग्राम की जनता ने ममता बनर्जी को वोट किया था. इसके बाद ममता सत्ता में आयी और कुछ समय के लिए शांति भी हुई पर आज फिर से वही कहानी है. एक बार फिर नंदीग्राम अशांत है. सहमें हुए लोगों के जेहन में पुरानी यादें फिर से ताजा हो रही है. जो जख्म लगभग भर गये थे वो अब फिर से हरे हो रहे हैं. क्योंकि जिस शांति के लिए लोगों ने टीएमसी के लिए लोगों को वोट किया था, आज वो शांति नंदीग्राम में नहीं है.