महिलाओं को सशक्त बनाने की कहानी है ‘याज्ञसेनी- बोर्न आउट ऑफ फायर’
पद्मश्री शोवना नारायण, जानी-मानी कथक गुरू दशकों से भारतीय शास्त्रीय कथक नृत्य के लिए विख्यात हैं. उनकी शिष्या और अनुयायी अनुपमा झा अपनी गुरू पद्मश्री शोवना नारायण के सम्मान में 27 अगस्त 2023 को कमानी ऑडिटोरियम में विशेष प्रोडक्शन याज्ञसेनी - बोर्न आउट ऑफ फायर ला रही हैं.
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Yajnaseni- Born out of fire : याज्ञसेनी के माध्यम से अनुपमा ने ऐसा कथक प्रोडक्शन लाने का फैसला लिया, जिसके माध्यम से वे महिलाओं को प्रेरित एवं सशक्त बना सकें. उनकी यात्रा की शुरूआत उनकी गुरू के साथ हुई थी, जो उनके लिए प्रेरणास्रोत बन गईं. इसी प्रेरणा ने याज्ञसेनी के विचार को जन्म दिया. अपने गुरू के समर्पित अनुपमा का याज्ञसेनी प्रोडक्शन उनकी ताकत और प्रेरणा को श्रृद्धांजली अर्पित करता है. उनकी गुरू सभी महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं, जो दर्शाती है कि किस तरह अपने नैतिक मूल्यों, गरिमा, मर्यादा और अखंडता को बनाए रखते हुए अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहिए. उन्होंने दोहरे पेशेवर करियर को अपनाया और दोनों में बेजोड़ सफलता हासिल की. वे अनगिनत युवतियों के लिए अनुकरणीय उदाहरण हैं, जो उत्कृष्टता के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करती हैं.
महिला सशक्तीकरण पर आधारित कथक प्रोडक्शन प्रेरणादायी कला का उदाहरण
महिला सशक्तीकरण पर आधारित कथक प्रोडक्शन प्रेरणादायी कला का उदाहरण है जो निश्चित रूप से दर्शकों के दिल को छू जाएगा. द्रोपदी के जीवन पर आधारित यह नृत्य ड्रामा महिलाओं की ताकत और दृढ़ता का प्रमाण है, जिन्होंने असंख्य बाधाओं का सामना कर अपने सपनों को साकार किया है. आज के दौर की महिलाओं के लिए इसकी प्रासंगिकता इसे और भी ताकतवर और प्रेरक बनाती है.
प्रोडक्शन महिलाओं की क्षमता और दृढ़ इरादे को सम्मानित करता है
यह प्रोडक्शन महिलाओं की क्षमता और दृढ़ इरादे को सम्मानित करता है, जिन्होंने लिंगवाद, भेदभाव का सामना करते हुए अपने लिए समाज में विशेष स्थान बनाया है, इसमें महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध का चित्रण है. यह नृत्य रोज़मर्रा में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को चित्रित करता है. महाभारत में द्रोपदी का पात्र दर्शाता है कि किस तरह उन्हें बार-बार दांव पर लगाया गया, न सिर्फ एक बार बल्कि उनका पूरा जीवन चुनौतियों से घिरा रहा. हालांकि अपनी यात्रा के दौरान वे अन्याय के खिलाफ़ लड़ते हुए सही के लिए आवाज़ उठाते हुए अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहीं. उनका अटल रूख पुरूष प्रधान समाज में महिला सशक्तीकरण की आवश्यकता पर ज़ोर देता है.
संदेश स्पष्ट है कि महिलाएं सक्षम हैं
यह सभी महिलाओं के लिए आह्वान है, जो उन्हें अपने लिए खड़े होने, आवाज़ उठाने और अपने जीवन पर दूसरों का नियन्त्रण खत्म करने के लिए प्रेरित करता है. संदेश स्पष्ट है महिलाएं सक्षम हैं, सक्षक्त हैं, सम्मान और एक समान अवसरों की हकदार हैं. यह नृत्य हर उस व्यक्ति को देखना चाहिए जो महिलाओं की ताकत तथा समानता और न्याय की आवश्यकता में भरोसा करता है. यह कहानी महिलाओं की अटूट दृढ़ता पर रोशनी डालती है, जिन्होंने असंख्य चुनौतियों का सामना करते हुए अपने सपनों को साकार किया है. यह हममें से हर व्यक्ति को निष्पक्ष एवं एक समान समाज के निर्मा के लिए तथा महिलाओं को सम्मान देने के लिए प्रेरित करेगी.
आगामी प्रोडक्शन ‘याज्ञसेनी’ गेम चेंजर साबित होगा
अनुपमा और उनकी गुरू पद्मश्री शोवना नारायण का मानना है कि महिला सशक्तीकरण पर आधारित आगामी प्रोडक्शन ‘याज्ञसेनी’ गेम चेंजर साबित होगा. यह निश्चित रूप से दर्शकों को प्रेरित कर उन्हें मंत्रमुग्ध कर देगा.
कथक नृत्यांगना अनुपमा झा के बारे में
अनुपमा झा, वियतनाम से भारतीय शास्त्रीय कथक नृत्यांगना हैं, जिन्होंने पिछले कुछ सालों के दौरान अपने बेहतरीन परफोर्मेन्स से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है. लॉकडाउन ने उन्हें अपनी गुरू शोवना नारायण के साथ जुड़ने का अवसर दिया. गुरू जी उन्हें शिक्षण एवं मार्गदर्शन के द्वारा उचित दिशा प्रदान की, शोवना जी के समर्पण के परिणामस्वरूप वे सर्वरेष्ठ शिष्या के रूप में उभरीं और वर्चुअल क्लासेज़ की चुनौतियों के बावजूद इस मुकाम तक पहुंचीं.
शोवना जी रोज़ाना सुबह उनकी क्लासेज़ ले रहीं
लगभग तीन सालों से शोवना जी रोज़ाना सुबह उनकी क्लासेज़ ले रहीं हैं, फिर चाहे वे यात्रा कर रही हों, या किसी भी टाईम ज़ोन में हों. इस स्तर की प्रतिबद्धता और समर्पण उन्हें सबसे अलग और प्रेरणादायी बनाता है. अनुपमा कहती हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से दीदी से कभी नहींमिली, वे शोवना जी को दीदी कहकर पुकारती हैं. शोवना की तकनीकें, मास्टरी, सटीक मुवमेन्ट्स और भव्य शैली उन्हें अन्य अध्यापकों एवं गुरूओं से अलग बनाती है. अनुपमा का मानना है कि उनके द्वारा स्पष्ट दिशा प्रदान किया जाना और इस नृत्य शैली की शिक्षा प्राप्त करना एक आशीर्वाद है.