Adani Group: अदाणी समूह मामले पर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को दुबारा प्रतिक्रिया देते हुए सरकार की आलोचना की है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय से राज्यसभा में एक लिखित उत्तर का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय नागरिकों स्वामित्व वाली शेल कंपनियों के बारे में डेटा नहीं है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, “सरकार अदाणी के खिलाफ कार्रवाई कैसे कर सकती है? वित्त मंत्रालय को शेल फर्म की परिभाषा नहीं पता है! आरएस में लिखित जवाब कहता है कि कोई सुराग नहीं है… इसलिए कोई कार्रवाई नहीं.”

विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर

महुआ मोइत्रा और अन्य विपक्षी नेता सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं क्योंकि गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले अदाणी समूह को संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित लघु विक्रेता हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा ‘लेखांकन धोखाधड़ी’ और स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए अपतटीय शेल कॉस का उपयोग करने के लिए जनवरी में बुलाया गया था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अदाणी समूह के शेयरों को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया है.

विपक्ष ने की JPC से जांच कराने की मांग

साथ ही बता दें कि इस मामले में विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है, लेकिन सरकार ने जांच से इनकार कर दिया है. बजट सत्र के बाद इस महीने फिर से शुरू होने के बाद से दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. महुआ मोइत्रा इस विषय पर विपक्षी सांसदों में अधिक मुखर रही हैं. पिछले हफ्ते उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग को हिंडनबर्ग रिसर्च के अदाणी के अपतटीय फंडिंग के आरोपों की जांच करने के लिए बुलाया.

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यह ट्वीट ब्रिटिश प्रकाशन फाइनेंशियल टाइम्स के उस बयान के बाद किया गया था जिसमें कहा गया था कि भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि अदाणी से जुड़ी अपतटीय कंपनियों ने 2017 से 2022 तक अदाणी समूह में 2.6 बिलियन डॉलर का निवेश किया था. हिंडनबर्ग की अदाणी रिपोर्ट को भी कांग्रेस और राहुल गांधी द्वारा मुखर रूप से हरी झंडी दिखाई गई है, जिन्हें पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात की एक अदालत द्वारा 2019 के ‘मोदी उपनाम’ मामले में आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.