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हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के मवि दुरागड़ा का भवन जर्जर, पेड़ के नीचे पढ़ाई को मजबूर बच्चे

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हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड का दुरागड़ा एक ऐसा गांव है जहां के बच्चे अपना भविष्य गढ़ने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं. आलम यह है कि बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दुरागढ़ा गांव में एक मात्र मीडिल स्कूल है, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. बच्चे क्लास में बैठने से डरते हैं.

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अजय ठाकुर, हजारीबाग

Hazaribagh News: जिले के चौपारण प्रखंड का दुरागड़ा एक ऐसा गांव है जहां के बच्चे अपना भविष्य गढ़ने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं. आलम यह है कि बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दुरागढ़ा गांव में एक मात्र मीडिल स्कूल है, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. बच्चे क्लास में बैठने से डरते हैं. यही वजह है कि यहां के बच्चे नजदीक में स्थिति एक पेड़ के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं. यही वजह है कि बारिश, ठंड, गर्मी बढ़ी तो बच्चों की स्वत: छुट्टी हो जाती है. मध्य विद्यालय दुरागढ़ा दैहर पंचायत में आता है.

1968 में शुरू हुआ था स्कूल

इस प्राथमिक विद्यालय की स्थापना साल 1968 में हुआ. बाद में इसे मवि का दर्जा मिला. लंबे समय तक यह स्कूल उग्रवादियों की जद में रहा करता था. इस वजह से यहां कभी कोई सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचे. स्कूल के शिक्षकों के हिसाब से स्कूल का संचालन होता था. यह विद्यालय मूलभूत सुविधाओं से कोषों दूर है. भवन के अभाव, विभागीय लापरवाही व पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. दूरागढ़ा, मोरेनिया व ढोढ़ीय गांव के बच्चों के लिए यह एक मात्र मध्य विद्यालय है. विद्यालय में 85 बच्चे नामांकित है. इसमें अधिकांश बच्चे आदिवासी समाज से आते है. विद्यालय में तीन शिक्षक कार्यरत हैं.

सालों से जर्जर है स्कूल भवन

स्कूल की बिल्डिंग पिछले 7 वर्षो से जर्जर अवस्था में है. बिल्डिंग की छत में जगह-जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. वहीं एक कमरे की छत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. स्कूल के अंदर जाने से खतरा की संभावना को देखते हुए शिक्षकों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है. प्रधानाध्यापक मो समदानी ने बताया कि विद्यालय की समस्या को लेकर लगातार विभाग को अवगत करवा रहा हूं. इसके बावजूद कोई समस्या समाधान नहीं हो रहा है.

मुखिया ने विधायक को लिखा पत्र

पंचायत के मुखिया ब्रह्मदेव भुईयां ने विधायक उमा शंकर अकेला के नाम पत्र लिखकर विधालय में भवन बनवाने की मांग किया है. पत्र में कहा गया है कि समय रहते स्कूल भवन का निर्माण नहीं हुआ तो कोई अप्रिय घटना हो सकती है.

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