बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद फिल्‍मों में ज्यादातर अपनी नकारात्मक भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन में जब से उन्होंने प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का जो बीड़ा उठाया है, लोगों ने उन्हें अपना नायक मान लिया है. वह लगातार मुंबई में फंसे अलग-अलग राज्यों के प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं. बिहार-झारखंड के कई प्रवासी मजदूर तो उनकी मदद से अपने घर तक पहुंच चुके हैं. प्रभात खबर की ओर से बुधमनी मिंज ने उनसे बातचीत की़ पेश है इंटरव्‍यू…

प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचना है. ऐसा खयाल कैसे आया ?

मुझे बड़ी तकलीफ होती थी जब मैं प्रवासी मजदूरों को बच्‍चों और परिवार के साथ पैदल चलते देखता था. उनके चेहरे की शिकन ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया था. मैंने सोचा कि जिन लोगों ने हमारे घर बनाये, सड़कें बनायीं, इस मुश्किल घड़ी में हम उन्हें बीच रास्‍ते में कैसे छोड़ सकते हैं. मुझे लगा हमें उनकी मदद करनी चाहिए. मैंने कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार सरकार से बात की. इसके बाद मैंने प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए बसों का इंतजाम करना शुरू किया़ लिस्‍ट बनायी. कुछ लोगों से सोशल मीडिया के माध्‍यम से जुड़ा. मेरा एक ही उद्देश्‍य था कि मैं किसी तरह उन लोगों को उनके परिवार से मिला दूं. काफी हद तक हम सफल हुए हैं, लेकिन अभी सफर थोड़ा और लंबा है.

लॉकडाउन में लोग घर से नहीं निकल रहे हैं, भीड़ में जाने से बच रहे हैं. ऐसे में आप लगातार लोगों की मदद के लिए बाहर निकल रहे हैं?

इस परिस्थिति में बहुत जरूरी है कि सभी घर पर रहें, सुरक्षित रहें. मैं सिर्फ लोगों की मदद करने के लिए बाहर निकल रहा हूं. मेरा मानना है कि आप घर में बैठ कर सोशल मीडिया या ट्विटर पर मैसेज करके यह नहीं कर सकते हैं कि आप उनके साथ हैं और उनके दर्द को महसूस कर रहे हैं. मैं यह नहीं कहता कि सबको बाहर आना जरूरी है या सब बाहर आ जाएं. शायद ईश्वर ने मेरे हाथों में वह ताकत दी कि‍ मैं सामने आकर कुछ कर सकूं. मैं खुद को खुशकिस्‍मत मानता हूं कि मैं यह कर पाया. बस खुश हूं कि मैं ऐसा कर पाया.

आपके साथ इस काम में कौन-कौन आपका सहयोग कर रहे हैं ?

कोई अकेले किसी भी काम को पूरा नहीं कर सकता. मेरे साथ इस काम में मेरी पूरी टीम मेरे साथ दिन-रात खड़ी है. मेरे कई दोस्‍त इससे जुड़े हैं. मेरी बचपन की दोस्‍त नीति गोयल मेरे साथ हैं, हम एक पूरी टीम बनाकर काम करते हैं. मेरा पूरा परिवार इस काम में मेरे साथ जुड़ा है. उनका एनर्जी लेवल कमाल का है. मेरे दोस्‍त, मेरे सीएम पंकज और 10 से 12 लोगों की टीम, सभी लोगों का रिकॉर्ड बनाने में लगी रहती है. मेरा मानना है कि अकेले कोई भी जंग जीती नहीं जा सकती. मेरी टीम लगातार लोगों से संपर्क कर रही है. मैं सोशल मीडिया पर लगातार मैसेज चेक कर रहा हूं. मुझे दुख होता है अगर किसी जरूरतमंद का मैसेज नहीं देख पाया तो. हमारी पूरी टीम 24 घंटे काम कर रही है.

सोशल मीडिया पर लगातार लोग दूसरे सितारों को आपकी तरह काम करने को कह रहे हैं, क्‍या कहेंगे?

ऐसा नहीं है, सबका अपना-अपना तरीका होता है काम करने का. सेलिब्रिटीज हमेशा किसी न किसी तरह से मदद के लिए आगे आये हैं. उन्‍होंने डोनेशन दिया है, लोगों के घरों में खाना पहुंचाया है, जो वाकई सराहनीय है. सभी सितारे अपने-अपने स्तर से मदद कर रहे हैं, जिसकी तारीफ होनी चाहिए. मैं नहीं कहता कि सभी सेलिब्रिटीज को फील्‍ड पर ही रहना चाहिए. सभी अपनी-अपनी तरह से मदद के लिए आगे आ रहे हैं जो वाकई काबिले तारीफ है. मैंने बाहर आकर उनका हाथ थामने का रास्‍ता चुना.

इस मुश्किल घड़ी में लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

मैं हमारे देश के लोगों से यही कहना चाहूंगा कि यह जो विपदा आयी है, दुनिया ने देखा है, ऐसी परिस्थितियों से हमारा देश हमेशा ही बाहर निकला है. इस महामारी से हमारा देश मजबूती से लड़ रहा है और पूरा विश्वास है कि हम जल्‍द इस परिस्थिति से बाहर होंगे. हिंदुस्‍तान ने हमेशा ही मुश्किल समय में एकजुटता दिखायी है. हम हमेशा सबसे अलग रहे हैं और साथ मिलकर लड़े हैं. हम कोरोना वायरस को भी हरायेंगे. बस हमें एकजुट और जिम्‍मेदार होने की जरुरत है.

खुद का कैसे ख्‍याल रखते हैं ?

हम जब भी लोगों के बीच जाते हैं, तो खुद की सुरक्षा का पूरा ध्‍यान रखते हैं. पूरी टीम सेफ्टी किट्स पहनती है. टीम के साथ साथ सभी लोगों को भी बताना जरूरी होता है कि आपकी सुरक्षा आपके हाथों में हैं. मैं जब लोगों को बसों में चढ़ाने जाता हूं, तो बहुत लोग बिना मास्‍क पहने नजर आते हैं. मैं उनसे मास्‍क पहनने को कहता हूं. खाना खाने से पहले साबुन से हाथों को अच्‍छी तरह से धोने को कहता हूं. मैं सभी से कहता हूं अपने हाथों को सेनेटाइज करते रहें. मुझे लगता है कि छोटे-छोटे मैसेज से भी लोगों में जागरूकता बढ़ेगी.

लोगों का इतना प्‍यार देख कर कैसा महसूस कर रहे हैं ?

लोगों की दुआएं मिल रही हैं. फोन आ रहे हैं, मैसेज आ रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि आपने हजारों परिवारों को मिलाने का जो काम किया है, उसे कोई भूल नहीं पायेगा. परिवार से मिलने की जो खुशी मैंने उनलोगों (प्रवासी मजदूरों) की आंखों में देखा है, यह मेरे लिए किसी आवॉर्ड से कम नहीं है. मैं सभी से यही गुजारिश करूंगा कि आप अपने किचन में किसी एक इंसान के लिए एक्‍स्‍ट्रा खाना जरूर बनाएं. वो खाना आप आपने वॉचमैन या घर पर काम करनेवाले सदस्य को दे सकते हैं. ऐसे में कोई इंसान कभी भूखा नहीं मरेगा. लोगों ने जो सम्‍मान और प्‍यार दिया है, मैं उसे शब्‍दों में बयां नहीं कर सकता. बस यही कहूंगा कि लोगों की जो उम्मीदें हैं, मैं उसपर खरा उतर पाऊं. मैं जब तक सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घर नहीं पहुंचा देता, चैन से नहीं बैठूंगा.

प्रशंसक के ठेके वाले सवाल पर क्‍या कहना चाहेंगे ?

(हंसते हुए) कुछ लोगों ने मुझसे पूछा कि मैं ठेके पर जाना चाहता हूं तो मुझे पहुंचा दो, मैंने कहा कि मैं ठेके से उन्‍हें घर तक पहुंचा सकता हूं. थोड़े हल्के मैसेज भी होने चाहिए. इस मुश्किल घड़ी में लोगों के चेहरे पर थोड़ी मुसकान आयेगी. इसलिए मैं उन्‍हें वैसे ही जवाब देता हूं ,जैसे उनके सवाल होते हैं. कई लोग मुझे सैलून या ब्‍यूटी पार्लर पहुंचाने के लिए भी क‍हते हैं, जिन्‍हें मैं कोई मजाकिया जवाब दे देता हूं.