Shiv Chalisa: हिंदू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. देवों के देव ‘महादेव’ यानी भगवान शिव की साधना या पूजा हमें हर दुख और भय से मुक्ति दिलाती है. हिंदू धर्म में महादेव की साधना करने से सुख एवं समृद्धि पाई जा सकती है. शिव चालीसा का सही तरीके से उच्चारण करते हुए रोजाना पाठ करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है . इतना ही नहीं, मान्यता है कि शिव चालीसा के पाठ से कठिन से कठिन कार्य को बहुत ही आसानी से किया जा सकता है. शिव चालीसा में भगवान शिव का स्तुतिगान किया गया है. शिव चालीसा किसी भी दिन किया जा सकता है. लेकिन शास्त्रों में सोमवार के दिन भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए सोमवार को शिव चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है.

शिव चालीसा के पाठ की सरल विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.

  • अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठे.

  • पूजन में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप पीले फूलों की माला रखें.

  • संभव हो तो सफेद आक के 11 फूल भी रखे और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें.

  • पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक लोटे में शुद्ध जल भरकर रखें.

  • भगवान शिव की शिवचालिसा का तीन या पांच बार पाठ करें.

  • शिव चालीसा का पाठ बोल बोलकर करें जितने लोगों को यह सुनाई देगा उनको भी लाभ होगा.

  • शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें.

  • पाठ पूरा हो जाने पर लोटे का जल सारे घर मे छिड़क दें.

  • थोड़ा सा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में खाएं और बच्चों में भी बाट दें.

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शिव चालीसा पाठ के फायदे

धार्मिक मान्यता है कि शिव चालीसा पाठ से कई फायदे हैं. गर्भवती महिलाओं को शिव चालीसा से बहुत लाभ मिलता है. शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) करने से गर्भवती महिलाओं के बच्चे की रक्षा होती है. इतना ही नहीं, स्वास्थ्य संबंधी समस्या वाला व्यक्ति अगर शिव चालीसा का पाठ करें या सुनें तो उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है. शिव चालीसा का पाठ करने से नशे की लत और तनाव से छुटकारा मिलता है.

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

जय गिरिजा पति दीन दयाला।

सदा करत सन्तन प्रतिपाला।।

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।

कानन कुण्डल नागफनी के।।

अंग गौर शिर गंग बहाये।

मुण्डमाल तन छार लगाये।।

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।

छवि को देख नाग मुनि मोहे।।

मैना मातु की ह्वै दुलारी।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।

करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।

सागर मध्य कमल हैं जैसे।।

कार्तिक श्याम और गणराऊ।

या छवि को कहि जात न काऊ।।

देवन जबहीं जाय पुकारा।

तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।

किया उपद्रव तारक भारी।

देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।

तुरत षडानन आप पठायउ।

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।।

आप जलंधर असुर संहारा।

सुयश तुम्हार विदित संसारा।।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।

सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।

किया तपहिं भागीरथ भारी।

पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।

सेवक स्तुति करत सदाहीं।।

वेद नाम महिमा तव गाई।

अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।

जरे सुरासुर भये विहाला।।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई।

नीलकण्ठ तब नाम कहाई।।

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।

जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।

सहस कमल में हो रहे धारी।

कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।

कमल नयन पूजन चहं सोई।।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।

भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।

जय जय जय अनंत अविनाशी।

करत कृपा सब के घटवासी।।

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।

यहि अवसर मोहि आन उबारो।।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।

संकट से मोहि आन उबारो।।

मातु पिता भ्राता सब कोई।

संकट में पूछत नहिं कोई।।

स्वामी एक है आस तुम्हारी।

आय हरहु अब संकट भारी।।

धन निर्धन को देत सदाहीं।

जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।

शंकर हो संकट के नाशन।

मंगल कारण विघ्न विनाशन।।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।

नारद शारद शीश नवावैं।।

नमो नमो जय नमो शिवाय।

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।

जो यह पाठ करे मन लाई।

ता पार होत है शम्भु सहाई।।

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।

पाठ करे सो पावन हारी।।

पुत्र हीन कर इच्छा कोई।

निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।

पण्डित त्रयोदशी को लावे।

ध्यान पूर्वक होम करावे।।

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।

तन नहीं ताके रहे कलेशा।।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।

जन्म जन्म के पाप नसावे।

अन्तवास शिवपुर में पावे।।

कहे अयोध्या आस तुम्हारी।

जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।

।।दोहा।।

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।

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शिव चालीसा का महत्व

  • शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपके परिवार पर उनके असीम कृपा बनी रहती है.

  • शिव चालीसा का रोजाना विधिवत तरीके से पाठ करना चाहिए. ऐसा करने पर सभी प्रकार के दुख दर्द से छुटकारा मिलता है.

  • शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

  • शिव चालीसा का पाठ करने से घर में भूत प्रेत, दुख दलिंदर जैसी समस्याएं नहीं होती है.

  • शिव चालीसा का महत्व बहुत अधिक है, इससे शारीरिक दुख दर्द भी दूर होते हैं और मन को शांति का अनुभव होता है.