Shani Sade Sati: शनि की चाल और दशा से हर एक व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है. शनिवार के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. शनि देव जिन लोगों पर प्रसन्न होते हैं उन्हें कभी असफलता नहीं मिलती है. अगर कुंडली में शनि की स्थिति खराब है तो व्यक्ति का कोई भी काम आसानी से नहीं होता है. उसे हर काम में अड़चनों का सामना करना पड़ता है. शनि की ढैया में कई लोगों को अशुभ परिणाम झेलने पड़ते हैं.

शनि की ढैया चल रही हो तो क्या करना चाहिए?

  • शनिवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद एक कटोरी में तेल लें, इसमें अपना चेहरा देखें और उसके बाद इस तेल को किसी जरूरत मंद व्यक्ति को दान दे दें, ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.

  • शनिवार के दिन श्रद्धाभाव से पीपल पेड़ की पूजा करें. पूजा के समय जल का अर्घ्य दें और दीप जलाकर शनि स्तुति का पाठ करें, इस उपाय को करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.

  • अगर आप साढ़े साती से पीड़ित हैं, तो हर शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.

शनि की ढैया से क्या प्रभाव पड़ता है?

शनि देव जिन लोगों पर प्रसन्न होते हैं उन्हें कभी असफलता नहीं मिलती है. कुंडली में शनि की स्थिति खराब तो व्यक्ति का कोई भी काम आसानी से नहीं होता है. उसे हर काम में अड़चनों का सामना करना पड़ता है. शनि की ढैया में कई लोगों को अशुभ परिणाम झेलने पड़ते हैं.

साढ़ेसाती से बचने के लिए क्या करें?

शनि की साढ़े साती के प्रभाव से बचाव के लिए शनिवार के दिन काले जूते, चमड़े के चप्पल, सरसों का तेल, नमक, लोहा, अनाज और बर्तन का दान करें, इसके साथ ही धन का भी दान कर सकते हैं. हर शनिवार को स्नान-ध्यान के बाद जल में काले तिल मिलाकर देवों के देव महादेव का अभिषेक करें.

कुंडली में शनि के ढैय्या के प्रमुख लक्षण

  • जातक को अधिक नींद आ सकती है.

  • बार-बार लोहे से चोट लग सकती है.

  • किसी गरीब व्यक्ति से वाद-विवाद हो सकता है.

  • संपत्ति विवाद में फंस सकते है.

  • अनैतिक संबंधों के शिकार हो सकते है.

  • कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसना पड़ सकता है.

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शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती में क्या अंतर है?

जब शनि गोचर में जन्मकालीन राशि से द्वादश, चन्द्र लग्न व द्वितीय भाव में स्थित होता है तब इसे शनि की ‘साढ़ेसाती’ कहते हैं. वहीं शनि जब गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में स्थित होता है तब इसे शनि का ‘ढैय्या’ कहते हैं. शनि की महादशा 19 साल की होती है.

साढ़ेसाती जीवन में कितनी बार आती है?

शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह होते हैं. शनि किसी एक राशि में करीब ढ़ाई वर्षों तक रहते हैं. शनि किसी राशि में दोबारा से आने के लिए करीब 30 वर्षों का समय लेते हैं. ऐसे में सभी 12 राशियों का चक्कर लगाने में शनि को 30 साल का समय लग जाता है, इस तरह से किसी व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़ेसाती 3 बार जरूर आती है.

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