Happy Sawan Shivratri 2023 Mantra: सावन माह में पड़ने वाली शिवऱात्रि को सावन शिवरात्रि कहते हैं. इस साल सावन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहते हैं. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे. मासिक शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु उपवास कर शिवलिंग की पूजा करते हैं और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की गुहार लगाते हैं. इस साल वर्ष 2023 में सावन शिवरात्रि व्रत 15 जुलाई को मनाया जाएगा

पुत्र प्राप्ति का मंत्र

ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।

आरोग्य रहने का मंत्र

माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।

आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

जीवन में धन संपदा पाने के लिए

ॐ हृौं शिवाय शिवपराय फट्।।

शत्रु को परास्त करने के लिए

ॐ मं शिव स्वरुपाय फट्।।

किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए

ॐ नमः शिवाय।।

अकाल मृत्यु से मुक्त

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

सावन शिवरात्रि के मंत्र

शंकराय नमसतेतुभ्य नमस्ते करवीरक।

त्र्यम्बकया नमस्तुभ्यं महेश्वरमतः परम्।।

नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परम्।

नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः।।

नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे।

नमो भीमायचोग्राय त्वामहं शरणं गतः।।

जलाभिषेक कराते समय करें इस मंत्र का जाप

ओम वरुणस्योत्म्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सज्जर्नीस्थो।

वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद् ।।

मनोकामना की पूर्ती के लिए

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न कराय नमः शिवाय।।

नकारात्मक शक्ति से मुक्ति के लिए

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं।

त्र्यः शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहम् भवानीपतिं भावगम्यम्।।

धन की प्राप्ति के लिए

विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे।

श्रेयः प्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमाद्रधधारिणे।।

सावन शिवरात्रि व्रत पूजन विधि

सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं.

इसके बाद जिस जगह पूजा करते हैं, वहां साफ कर लें.

फिर महादेव को पंचामृत से स्नान कराएं.

उन्हें तीन बेलपत्र, भांग धतूरा, जायफल, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र अर्पित करें.

शिवजी को चंदन का तिलक लगाएं, फिर खीर का भोग लगाएं.

दिन भर भगवान शिव का ध्यान करें, उनकी स्तुति करें.

रात के समय प्रसाद रूपी खीर का सेवन कर पारण करें और दूसरों को भी प्रसाद बांटें.

सावन शिवरात्रि 2023 मुहूर्त (Sawan Shivratri 2023 Muhurat)

सावन की पहली मासिक शिवरात्रि का व्रत 15 जुलाई 2023 को है. इस दिन सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 15 जुलाई को रात 08.32 मिनट से 16 जुलाई 2023 को रात 10.08 मिनट तक रहेगी. शिवरात्रि में शिव पूजा निशिता काल मुहूर्त में की जाती है.

शिव चालीसा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥

भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाए। मुण्डमाल तन छार लगाए॥

वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

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