24.1 C
Ranchi
Saturday, March 15, 2025 | 12:56 am
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

होइहि सोइ जो राम रचि राखा…

Advertisement

तुलसीदास जयंती श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनायी जाती है. इस वर्ष सप्तमी तिथि क्षय होने से यह 23 अगस्त को मनायी जायेगी. संत तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 में हुआ था. गुरु नरहरिदास संवत् 1561 में काशी के प्रकांड पंडित शेषसनातन के यहां इन्हें छोड़ गये थे

Audio Book

ऑडियो सुनें

पीएन चौबे

ज्योतिष व अध्यात्म विशेषज्ञ

रामचरितमानस तुलसीदासजी का सुदृढ़ कीर्ति स्तंभ है, जिसके कारण वे संसार में श्रेष्ठ कवि के रूप में जाने जाते हैं. मगर राम की भक्ति से पहले अर्थात् जब तक उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई थी तब तक उनका जीवन एक साधारण मानव की तरह ही था. राम की भक्ति एवं प्रभु के प्रति उनकी प्रीति के पीछे उनकी पत्नी रत्नावली की ही प्रेरणा थी. वे उनसे इतना प्रेम करते थे कि उनके बिना नहीं रहते थे.

एक बार आधी रात को पत्नी ने जब रामबोला को विक्षिप्त हालात में अपने पास आया देखा तो अनादर करते हुए कहा-

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।

अर्थात्- इस हाड़-मांस के देह से इतना प्रेम, अगर इतना प्रेम राम से होता तो जीवन सुधर जाता.’ इस पर रामबोला का अंतर्मन जाग उठा और वह एक पल भी वहां रुके बिना राम की तलाश में चल दिये. राम नाम की धुन ऐसी लगी कि फिर वे प्रभु राम के ही होकर रह गये. आज जहां भी रामकथा होती है, वहां राम के साथ तुलसीदास जी का भी नाम लिया जाता है.

रत्नावली परिचय

रत्नावली के बारे में समकालीन रचनाकारों में संत प्रियादास ने भक्तमाल की टीका लिखी थी. इसमें रत्नावली के बारे में कुछ परिचय मिलता है, लेकिन संवत् 1772 में लिखी गयी मुरलीधर चतुर्वेदी कृत रत्नावली चरित पुस्तक से उनके जीवनकाल का पूर्ण परिचय इन्हीं के शब्दों में प्राप्त होता है. इनके कुल 102 दोहे और सात पद प्राप्त हैं, जो कहीं-कहीं तुलसी को भी पीछे छोड़ देते हैं. तुलसी तो अमर हो गये, लेकिन रत्ना के पीछे गहन अंधकार छोड़ गये. तुलसी के परिव्राजक बनने में रत्ना सहज ही हेतु बन गयी. रत्ना की जो पीड़ा है, वह तुलसी के अन्यनतम प्रेम के कारण है और यही प्रेम तुलसी को परमात्मा के तरफ जाने को बल देता है.

रत्ना का विरह अनूठा है, आंसू है, और दर्द भरी पुकार ऐसी कि वह एक क्षण को भी भूलती नहीं. रत्ना कहती है- प्रभु बराह पद पूत महि, जनम मही पुनि एहि। सुरसरि तट महि त्यागि अस, गये धाम पिय केहि।।

हे प्रिय भगवान बराह के इस पवित्र भूमि में आपका जन्म हुआ और इस पावन तट का त्याग कर आप कहां चले गये. वह सब खोने को तैयार है, लेकिन उसे तुलसी को खोना स्वीकार नहीं. उन्हें वह पलभर नहीं भूलती. ‘‘रातों में नींद नहीं, न जाने कब तुम्हारा आना हो जाये और मैं सोयी रहूं, तुम द्वार पर दस्तक दो और लौट जाओ.’’ तुलसी ज्योति हैं, तो रत्ना एक चिन्मय है. ज्योति के बिना दीये का क्या मोल. अपने प्रिय की याद अन्यनतम दशा में रत्ना कहती है-

कर गहि लाये नाथ तुम, बादन बहु बजवाय।

पदहु न परसाये तजत, रत्नावलिहि जगाय।।

रत्ना की यह स्थिति भी स्वीकार है कि महाभिनिष्कर्मण के समय मुझे जगाकर पांव भी स्पर्श करने नहीं दिया. अपना परिचय रत्ना दो दोहे में करती है-

दीनबंधु कर घर पली, दीनबंधु कर छांह।

तौउ हों दीन अति, पति त्यागी मो बांह।।

जैसा कि ग्रियर्सन ने अपनी पुस्तक ‘इंडियन एंटी क्वेरी’ में कहा है कि उनके पिता दीनबंधु पाठक वेद विद्या में निपुण थे. उनके तीन पुत्र और एक कन्या थी, जो तुलसी को ब्याही गयी. पति के गृह त्याग के बाद साध्वी रत्नावली का जीवन स्त्रियों को उत्तम धर्म की शिक्षा देने एवं स्वयं भी पालन करने में बीता.

दोहो में झलकती है पीड़ा

रत्नावली के दोहो में ब्रज भाषा का अच्छा प्रवाह है एवं अलंकारों का स्वाभाविक प्रस्फुटन है, जो हृदय को द्रवीभूत करने की अपूर्व क्षमता से ओत-प्रोत है. भाषा में शृंगार, करूणा, शांति आदि रस प्रधान है. वे एक ओर पति वियोग में विह्वल है, तो दूसरी ओर अपनी स्वभाव की मृदुलता, परोपकारिता एवं अध्यात्मिक रूझान के लिए सबों की पूज्य बन जाती है. इनकी कविता में उपमा एवं रूप अलंकारों का संयोजन कथ्य को अत्यंत ही प्रभावी बना देते हैं. तुलसी तो मानस में राम से यह कहवाते हैं- प्रिया विहीन डरपत मन मोरा। लेकिन उन्हें रत्ना का ख्याल नहीं आया. रत्ना तो कहती है कि हे प्रिय अब मैं चुप रहूंगी. मैंने तो आपको सहज ही कहा था, मेरे अपराध को क्षमा कर आ जाएं-

नाथ रहौंगी मौन हों, धारहु पिय जिय तोय।

कबहुं न देउं उराहनौं, देउं कबहुं न दोष।।

लेकिन अलंकार का ऐसा संयोजन जहां उसकी अन्यनतम पीड़ा साक्षी बन प्रतिबिंबित होती है, वे कहती हैं-

वैस बारहीं कर गहयो, सोरहि गौन कराय। सत्ताइस लागत करी, नाथ रतन असहाय।।

वे कहती हैं कि बारह वर्ष में नाथ ने मेरा पाणिग्रहण किया, सोलह साल में गौना करा कर लाये और 27 वर्ष के आरंभ में ही मुझे छोड़ कर चले गये.

चले गये.

सागर खरस ससि रतन, संवत मो दुखदाय।

पिय वियोग जननी मरन, करन न भूल्यो जाय।।

मैं भूल नहीं पाती, जिस वर्ष संवत् (1604) मेरे पति का वियोग एवं माता का मरन हुआ.

मानस साक्षी है कि जगह-जगह तुलसी ने भी अलग-अलग रूपों में रत्ना के वियोग का जिक्र किया है.

भक्ति, वैराग्य एवं सामाजिक दायित्व के उपदेश

तुलसीदास जी के पद सबकुछ बिना कहे ही कह जाते हैं-

तन धन जन बल रूप को, गरव करो जनु कोय।

को जाने विधि गति रतन, छन मे कछु कछु होय।।

अर्थात्- आदमी को धन, बल, पौरुष का अभिमान कभी नहीं करना चाहिए. क्षण में कुछ का कुछ हो जाता है. इस संसार में वही व्यक्ति जीवित है, जो यश और ज्ञान को हृदय में धरण कर थोड़े दिन ही जीता है. इस जगत में जीने का अर्थ तो परोपकार करना है-

परहित जीवन जासु जग, रतन सफल है सोइ।

रामचरित मानस की एक चौपाई खुद तुलसीदास जी पर भी लागू होती है, जिन्होंने इसकी रचना की है –

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।

को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

अर्थात्- अगर राम की इच्छा नहीं होती तो प्राणों से भी अधिक प्रिय पत्नी उनका तिरस्कार नहीं करती और रामबोला से वह तुलसीदास नहीं बनते. यह बात स्वयं तुलसीदास जी भी स्वीकर करते हैं, इसलिए पत्नी को क्षमा करके बाद में उन्हें अपना शिष्य बना लेते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम वीडियो
News Snaps
News Reels आप का शहर