नीरज चोपड़ा का लक्ष्य अगले साल पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना, 90 मीटर पर भी लगाएंगे दांव 9

भारत के सुपरस्टार भाला फेंक खिलाड़ी खिलाड़ी अगले साल पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल बरकरार रखना चाहेंगे. बुडापेस्ट में विश्व खिताब जीतने के बाद 25 वर्षीय चोपड़ा रविवार को ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप खिताब दोनों जीतने वाले इतिहास के तीसरे भाला फेंक एथलीट बन गए.

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यह पूछने पर कि क्या वह चेक गणराज्य के महान एथलीट जान जेलेज्नी की उपलब्धि हासिल कर सकते हैं जिनके नाम तीन ओलंपिक और तीन विश्व चैंपियनशिप खिताब हैं. इस पर चोपड़ा ने कहा, ‘अगर मैं प्रेरित बना रहता हूं और अपने खेल पर फोकस बनाये रखता हूं तो सबकुछ संभव है.’

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उन्होंने कहा, ‘मेरी कोशिश है कि मुझे मेरा खिताब फिर से दोहराना है और मुझे इसके लिए जितनी भी मेहनत करने की जरूरत होगी, मैं करूंगा.’ चोपड़ा से पहले जेलेज्नी और नार्वे के आंद्रियास थोरकिल्डसन ने लगातार ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप खिताब जीते थे.

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जेलेज्नी इस भारतीय सुपरस्टार के आदर्श भी हैं जिन्होंने 1992, 1996 और 2000 में ओलंपिक स्वर्ण जबकि 1993, 1995 और 2001 में विश्व चैंपियनशिप खिताब जीते हैं. थोरकिल्डसन ने 2008 ओलंपिक और 2009 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे. चोपड़ा ने हालांकि स्वीकार किया कि अगले साल पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक का बचाव करना बड़ी चुनौती होगी.

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चोपड़ा ने कहा, ‘तोक्यो में पहला ओलंपिक खिताब जीतना बड़ी चुनौती थी और अब इसका बचाव करना इससे भी बड़ी चुनौती होगी क्योंकि फिर से हर एथलीट पूरी तैयारी के साथ आयेगा. इसमें तोक्यो ओलंपिक से भी ज्यादा दबाव होगा क्योंकि इसमें पहले से कहीं ज्यादा उम्मीदें होंगी और यहां तक कि मेरी भी खुद से उम्मीदें हैं.’

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चोपड़ा ने कहा, ‘लेकिन मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज खुद को चोट से बचाने की होगी. मुझे स्वस्थ और चोटों से मुक्त रहना होगा ताकि मैं अपने सभी खिताब फिर से जीत सकूं.’ चोपड़ा गुरुवार को ज्यूरिख डायमंड लीग में दूसरे स्थान पर रहे थे, उन्होंने कहा कि विश्व चैंपियनशिप से पहले उन्हें खांसी और गले में तकलीफ थी.

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उन्होंने कहा, ‘मैं पहले यह बताना नहीं चाहता था क्योंकि लोग इसे बहाना समझ सकते थे. लेकिन क्वालीफिकेशन दौर से पहले मुझे खांसी और गले में दर्द था. मुझे परेशानी हो रही थी. ज्यूरिख में भी मुझे समस्या हो रही थी. मैं शत प्रतिश ठीक नहीं था, लेकिन मैं ठीक हो जाऊंगा. एक एथलीट का जीवन ऐसा ही होता है.’

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महज तीन दिन के बाद चोपड़ा ने ज्यूरिख डायमंड लीग में हिस्सा लिया और उन्होंने स्वीकार किया कि वह पहले तीन थ्रो में जूझ रहे थे. उन्होंने 80.79 मीटर के थ्रो से शुरुआत की और अगले दो थ्रो फाउल कर बैठे. चोपड़ा ने कहा, ‘निश्चित रूप से ज्यूरिख में थकान थी. विश्व चैंपियनशिप के बाद सर्वश्रेष्ठ करना मुश्किल था. वॉर्म-अप में भी थोड़ी परेशानी थी, इसमें थोड़ा समय लगा. मैं पहले तीन थ्रो में जूझ रहा था, मेरा रन-अप भी सही नहीं था. थ्रो कमजोर थे, पूरी तरह तेजी में नहीं थे. तीसरे राउंड के बाद मुझे लगा कि मैं शीर्ष आठ में नहीं रह पाऊंगा.’