बंगाल विधानसभा चुनाव में नदिया अहम जिला है. बांग्लादेश से सटे इस जिले को धर्म व अध्यात्म की धरती कहा जाता है. यह चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली है. बंगाल के नदिया जिले में दो चरणों के मतदान(पांचवें एवं छटे) 17 अप्रैल और 22 अप्रैल को संपन हुआ था जिसमे जिला के 42,76,893 मतदातों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर ये 16 विधायक चुने है .

नदिया जिला

नदिया जिले के अंतर्गत 16 विधानसभा सीटें (85) कृष्णानगर, (91) चकदह, (86) शांतिपुर , (88)कृष्णगंज, (77)करीमपुर, (78) तेहट्टा, (80)कालीगंज, (81) नक्शीपाड़ा, (93)हरिनघाटा, (84)नाबाद्वीप, (90)रानाघाट, (92)कल्याणी, (82)छपरा, (89) रानाघाट, (87)रानाघाट उत्तर पश्चिम , (79)पालाशिपरा है.

2016 में जीत दर्ज करने वाले कैंडिडेट्स

1. (85) कृष्णानगर – उज्जवल बिस्वास (AITC)

2.(91) चकदह – रतना घोष (AITC)

3.(86) शांतिपुर – अरिंदम भट्टाचार्य (INC)

4.(88)कृष्णगंज – आशीष कुमार बिस्वास (BJP)

5. (77)करीमपुर – बिमलेन्दु सिन्हा (AITC)

6. (78) तेहट्टा – गौरी शंकर (AITC)

7. (80)कालीगंज – हसानुजजमान (INC)

8. (81) नक्शीपाड़ा – कल्लोल खान (AITC)

9.(93)हरिनघाटा – नीलिमा नाग (AITC)

10. (84)नाबाद्वीप – पुण्डरीकाक्ष्य साहा (AITC)

11.(90)रानाघाट – रमा बिस्वास (CPI M)

12.(92)कल्याणी – रामेन्द्र नाथ बिस्वास (AITC)

13. (82)छपरा – रुकबानुर रहमान (AITC)

14. (89) रानाघाट – समीर कुमार पोद्दार (AITC)

15. (87)रानाघाट उत्तर पश्चिम – संकर सिंघा (INC)

16. (79)पालाशिपरा – तपस कुमार साहा (AITC)

2016 के चुनाव पर एक नज़र

नदिया जिला की 16 विधानसभा सीटों में पिछले चुनाव में तृणमूल की झोली में 11 सीटें आयीं थीं. कांग्रेस ने 3 और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के हिस्से में भी 1-1 सीट है. भाजपा के टिकट पर आशीष कुमार विश्वास ने कृष्णगंज (एससी) सीट पर वर्ष 2019 के उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. 2016 में भाजपा यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. कांग्रेस को तीन और गठबंधन में उसके साङोदार वाममोर्चा को दो सीटें मिली थीं. पिछले विस चुनाव में कई जिलों में कांग्रेस व वाममोर्चा का सूपड़ा साफ हो गया था, लेकिन नदिया में दोनों को आक्सीजन मिली इसलिए कांग्रेस- वाममोर्चा गठबंधन इस जिले में इस बार अच्छे प्रदर्शन को लेकर काफी आशावादी हैं. हालांकि, कांग्रेस के कद्दावर नेता शंकर सिंह के तृणमूल में शामिल हो जाने के बाद से हालात यह है कि कांग्रेस का जिले में संगठन ही नहीं बचा है.

Posted By: Aditi Singh