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Krishna Janmashtami: 652 वर्ष पुराना है पालगंज का बंशीधर मंदिर, आज मनेगा उत्सव

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पदमा राजा ने करीब 652 वर्ष पूर्व बंशीधर मंदिर का निर्माण कराया था. चार दिनों तक यहां भगवान श्री कृष्ण का महोत्सव मनाया जाता है. यहां पूजा करने के लिए किसी जाति-धर्म का बंधन नहीं है, यहां हर मजहब के लोग पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं.

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गिरिडीह, मृणाल कुमार : उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़ के पालगंज स्थित बंशीधर मंदिर का इतिहास 652 वर्ष पुराना है. यहां आज भी पौराणिक तरीके से चार दिनों तक वृंदावन जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाता है. ढोल-नगाड़े की थाप पर श्रद्धालु नृत्य करते हुए मंदिर प्रांगण पहुंचते हैं और जन्माष्टमी मनाते हैं. इस बार यहां जन्माष्टमी महोत्सव सात सितंबर गुरुवार को मनाया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां पदमा राजा ने करीब 652 वर्ष पूर्व बंशीधर मंदिर का निर्माण कराया था. चार दिनों तक यहां भगवान श्री कृष्ण का महोत्सव मनाया जाता है. यहां पूजा करने के लिए किसी जाति-धर्म का बंधन नहीं है, यहां हर मजहब के लोग पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. पूजा के आयोजन में पुजारी शिशिर भक्त, शरद भक्त, ग्रीष्म भक्त, प्राण भक्त, निकुंज केतन भक्त, चरित्र केतन भक्त, भागवत भक्त, अनूप भक्त, धीरज कुमार, पवन मंदिलवार, बप्पी लाहकार आदि जुटे हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी भी कर चुके दर्शन

जंगलों के बीच बसे इस गांव के मंदिर का दर्शन करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के अलावाअभिनेता श्रत्रुघ्न सिन्हा, जगन्नाथ मिश्र, आरिफ शेख, कैलाशपति मिश्रा, सुकदा पांडेय समेत अन्य बड़े राजनेता आ चुके हैं. जन्माष्टमी के मौके पर रात में यहां काफी भीड़ होती है. मान्यता है कि अष्टमी के दिन जो भी श्रद्धालु यहां पुत्र की प्राप्ति की मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है.

काशी में काला पहाड़ नामक राजा ने प्रतिमा को किया था खंडित

राजा के वंशज शरद भक्त ने बताया कि बंशीधर मंदिर का इतिहास काफी पुराना और रोचक है. 652 वर्ष पूर्व धनवार प्रदेश में एक ग्वाला खेमचंद भक्त को खेत जोतते वक्त भगवान बंशीधर मिले थे. ग्वाला के घर रात में प्रतिदिन भजन होता था. सपने में इसकी जानकारी प्रदेश के राजा को लगी और उन्होंने ग्वाला के यहां आकर भगवान की मूर्ति ले लिया. बाद में राजा को फिर से सपना आया जिसमें भगवान ने कहा मैं तो खेमचंद भक्त के लिए आया हूं. राजा ने भगवान की मूर्ति को खेमचंद भक्त को सुपुर्द कर गिया. खेमचंद मूर्ति को लेकर सभी धाम घूमे. घूमने के क्रम में काशी में काला पहाड़ नामक एक राजा ने उसे रोका और मूर्ति को खंडित कर दिया. बाद में काला पहाड़ को भी मूर्ति में भगवान दिखे. उसने मूर्ति को खेमचंद को दे दिया. इसके बाद पालगंज में उक्त मूर्ति को स्थापित किया गया और तब से यहां पर भगवान बंशीधर की पूजा धूमधाम के साथ की जा रही है.

मुस्लिम परिवार के लोग करते हैं भगवान के वस्त्र की सिलाई

बंशीधर से जुड़ी कई रोचक कहानियां है. पालगंज में जब से बंशीधर की पूजा हो रही है तभी से एक मुस्लिम परिवार के लोग ही भगवान के कपड़ा सिलते आ रहे हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी मुस्लिम समाज के लोग ना सिर्फ कपड़ा सिलते हैं, बल्कि चार दिनों तक चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान में भी हिस्सा लेते हैं और भगवान का प्रसाद ग्रहण करते हैं.

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महोत्सव के दूसरे दिन वंशरोपण महोत्सव का आयोजन

पालगंज स्थित श्री बंशीधर मंदिर में बुधवार को चार दिवसीय श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के दूसरे दिन वंशरोपण व ध्वजारोपण कार्यक्रम बोता है. बुधवार की सुबह मंदिर एवं ठाकुर जी की साफ-सफाई कर भगवान का षोडशोपचार पूजन किया गया. इसके बाद ळृंगार कर आरती हुई. रात में पंडित शरत भक्त के मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापन, पंचदेव पूजन, नवग्रह पूजन, षोडश मातृका पूजन एवं प्रधान देव बंशीधर जी महाराज का पूजन कर वंशरोपण ध्वजारोपण कार्यक्रम संपन्न किया गया. इसके साथ ही 72 घंटे का अखंड कीर्तन-भजन शुरू हुआ. मौके पर धीरज राम, ग्रीष्म भक्त, बप्पी लाहकार, नुनूराम साव, विपुल वत्सल, पवन मंदिरलवार, भागवत बल्लभ भक्त, भुवन बल्लभ भक्त, ब्रज बल्लभ भक्त, अनूप बल्लभ भक्त, स्वरुप बल्लभ भक्त आदि मौजूद थे.

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