Historical Monuments of India: भारत की ऐतिहासिक इमारतों का करना चाहते हों भ्रमण तो यहां जानें डिटेल्स
Historical Monuments of India to Visit: भारत में सदियों से कई शासकों ने शासन किया, जिन्होंने अपने अपने शासनकाल में भारत में कई इमारतों का निर्माण करवाया, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला के कारण आज दुनियाभर के लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
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ताज महल
जब भी भारत के ऐतिहासिक इमारतों का जिक्र होता है, तो ताजमहल हर किसी के जवाब पर होता है. दुनिया के सात अजूबों में एक ताजमहल उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित है. इस इमारत को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है, जो अति उत्तम मानवीय कृतियों उत्कृष्ट उदाहरण है.
ताजमहल की दीवारों पर की गई मुगलकालीन वास्तुकला ताजमहल खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. कहा जाता है ताजमहल के निर्माण के लिए 20000 से भी ज्यादा कारीगरों ने शिल्पकार उस्ताद अली अहमद लाहौरी के अधीन काम किया था. ताजमहल को बनाने में लगभग 22 वर्ष तक का समय लगा था.
विक्टोरिया मैमोरियल
विक्टोरिया मेमोरियल पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक केंद्र है. यह मेमोरियल इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को समर्पित है, जिसे विविध शिल्पकलाओ के सुंदर मिश्रण से तैयार किया गया है. इस विक्टोरिया मेमोरियल को 1906 से 1921 के बीच निर्मित किया गया.
इस मेमोरियल को आम जनता के लिए 1921 में खोला गया था. इस मेमोरियल में मुगल शिल्प कलाओं का भी मिश्रण देखने को मिलता है. इस मेमोरियल के अंदर रानी के पियानो और स्टडी डेस्क सहित 3000 से भी अधिक अन्य वस्तुएं रखी गई है. महल के अंदर शाही परिवारों की कई तस्वीरें भी देखने को मिलती है.
फतेहपुर सीकरी
फतेहपुर सिकरी उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शहर है, जो मुगल शासक अकबर के शासन काल में मुगलों की राजधानी हुआ करती थी. अकबर ने 1571 में फतेहपुर सिकरी को मुगल साम्राज्य की राजधानी बनाई थी जो लगभग 1550 तक अकबर की राजधानी रही. बाद में 1610 में अकबर ने इसे पूरी तरीके से छोड़ दिया था.
अकबर के शासन काल में फतेहपुर सिकरी में कई प्राचीन धरोहर और इमारते बनाए गए हैं लेकिन उन सभी में यहां जो सबसे प्रसिद्ध है वह है बुलंद दरवाजा. जिसे अकबर ने 1601 में गुजरात विजय के उपलक्ष्य पर बनवाया था. बुलंद दरवाजे के सबसे ऊंचे प्रवेश द्वार को बनाने में लगभग 12 वर्ष का समय लग गया था.
कुतुब मीनार
दक्षिण दिल्ली के महरौली भाग में स्थित कुतुब मीनार को मुस्लिम साम्राज्य का प्रथम वास्तु कला का नमूना बताया जाता है, जिसे गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था. इसीलिए इस मीनार का नाम भी कुतुब मीनार रखा गया. इस मीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने अफगानिस्तान स्थित जामा की मीनार से प्रेरित होकर बनाने का कार्य शुरू किया था.
हालांकि कुतुब मीनार को निर्मित करने का कार्य कुतुबुद्दीन ने शुरू किया था लेकिन वह केवल आधार ही बना पाया था. बाकी मीनार के चार मंजिलों को पूरा करवाने का श्रेय कुतुबुद्दीन के दामाद इल्तुतमिश को जाता है. आगे फिरोज़ शाह तुगलक ने मीनार के पांचवी मंजिल का निर्माण किया.
चार मीनार
हैदराबाद का नाम आते ही मन में वहां के ऐतिहासिक इमारत चारमीनार के बारे में ख्याल आता है. चारमीनार तेलंगाना में मूसी नदी के किनारे स्थित एक स्मारक और मस्जिद है, जिसे 1591 में मुहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा निर्मित कराया गया था. चारमीनार उर्दू का शब्द है जिसका अर्थ चार स्तंभ होता है. यह मीनार अलंकृत और भव्य मेहराबों से जुड़ा हुआ है, जो इसे आधार प्रदान करता है.
चारमीनार के शीर्ष पर 400 से भी अधिक वर्ष पुराना मस्जिद है. ईद उल अधा और ईद उल फितर जैसे कई त्योहार समारोह में यहां का दृश्य देखने लायक होता है. चारमीनार के पश्चिम में लाल बाजार स्थित है, वही उसके दक्षिण पश्चिम में समृद्ध ग्रेनाइट का मक्का मस्जिद मौजूद है. जिसके कारण पर्यटक के लिए यहां आना और भी ज्यादा खास बन जाता है.