Gyanvapi-Sringar Gauri Case: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी के जिला अदालत में मई से शुरू हुए मामले में 12 सितंबर को फैसला आने वाला है. आज यानि सोमवार को आने वाले इस फैसले का इंतजार सभी को है. वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद शृंगार गौरी केस की मेरिट पर आज जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में फैसला आने की उम्मीद है. फैसले में तय हो जाएगा कि अदालत में दायर वाद सुनने योग्य है या नहीं. यहां जानें इस केस से जुड़ी अब तक की सारी बातें…

जानें अब तक केस में क्या-क्या हुआ

  • जिला न्यायाधीश एके विश्ववेश इस बात पर आदेश सुना सकते हैं कि क्या अदालत में दायर वाद सुनने योग्य है या नहीं.

  • मई में, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वाराणसी के जिला न्यायाधीश की अदालत को सौंप दिया, इसे निचली अदालत से स्थानांतरित कर दिया, जहां उस समय तक सुनवाई हो रही थी.

  • मई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि “मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, वाराणसी में सिविल जज के समक्ष दीवानी मुकदमे की सुनवाई यूपी न्यायिक सेवा के एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी के समक्ष की जाएगी.”

  • याचिकाकर्ताओं ने कहा कि फिल्मांकन 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ है, जो 15 अगस्त, 1947 तक किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को बनाए रखता है.

  • मस्जिद समिति ने तर्क दिया था, “इस तरह की याचिकाओं और मस्जिदों को सील करने से सांप्रदायिक विद्वेष पैदा होगा, देश भर की मस्जिदों पर असर पड़ेगा.”

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  • मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से एक महीने पहले, वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों का दावा करने वाली याचिका के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियोग्राफी का आदेश दिया था.

  • मस्जिद में फिल्मांकन की एक रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में वाराणसी की अदालत में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन वीडियोग्राफी के कुछ अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे. हिन्दू पक्ष पर वायरल करने के आरोप भी लगे थे.

  • रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के भीतर एक तालाब में एक “शिवलिंग” पाया गया था, जिसका इस्तेमाल मुस्लिम प्रार्थनाओं से पहले “वज़ू” के लिए किया जाता था. उस वक्त मामले की सुनवाई कर रहे जज ने इस कुएं को सील करने का आदेश दिया था.

  • सदियों पुरानी मस्जिद के अंदर इस फिल्मांकन को ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.