Maa Chandraghanta ki Aarti: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां समाहित हैं.इनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र सुशोभित हैं, इसी कारण ये चंद्रघंटा कहलाती हैं। ये सिंह पर विराजती हैं. इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है. कहते हैं इनके मंदिर में दर्शन मात्र से ही मानव को सारे मानसिक व शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. आज मां चंद्रघंटा की पूजा के बाद जरूर आरती करनी चाहिए. इस आरती के बिन माता की पूजा अधूरी रह जाती है.

Maa Chandraghanta ki Aarti: मां चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।

चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती ।।

क्रोध को शांत बनाने वाली । मीठे बोल सिखाने वाली।।

मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।

सुंदर भाव को लाने वाली । हर संकट मे बचाने वाली। ।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये । श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय । ।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएँ । सन्मुख घी की ज्योत जलाएं। ।

शीश झुका कहे मन की बाता । पूर्ण आस करो जगदाता । ।

कांची पुर स्थान तुम्हारा करनाटिका में मात्र तुम्हारा । ।

नाम तेरा रटू महारानी । ‘भक्त’ की रक्षा करो भवानी।

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