सफलता का कारक ग्रह साल 2024 में करेगा परेशान, जानें कुंडली के सभी 12 भावों पर वक्री बुध का शुभ और अशुभ प्रभाव
Budh Vakri 2024: बुध ग्रह साल 2024 में तीन बार वक्री अवस्था में होंगे. साल 2024 में बुध ग्रह अप्रैल, अगस्त और नवंबर में उल्टी चाल चलेंगे, इस दौरान बुध ग्रह कुल 72 दिन वक्री अवस्था में रहेंगे.
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बुध ग्रह 02 अप्रैल, 2024 की सुबह 03 बजकर 18 मिनट पर वक्री होंगे.
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बुध ग्रह 05 अगस्त, 2024 की सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर वक्री होंगे.
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बुध ग्रह 26 नवंबर, 2024 की सुबह 07 बजकर 39 मिनट पर वक्री होंगे.
Budh Vakri 2024: ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह को बुद्धि का देवता है . बुध को मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व प्राप्त है. यह कन्या राशि में उच्च के होते हैं और मीन राशि इनकी नीच राशि होती है. कुंडली में बुध ग्रह की मजबूत स्थिति से जातक को संचार के माध्यम से जीवन में अपार सफलता मिलती है. जब कुंडली में बुध कमज़ोर स्थिति में विराजमान हो तो कई नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं. ज्योतिष में बुध का विशेष महत्व है और व्यक्ति जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों में बुध ग्रह का प्रमुख योगदान है. बुध ग्रह जब वक्री अवस्था में होंगे तो किस प्रकार के परिणाम प्रदान कर सकते हैं, यह जानना बेहद आवश्यक है. क्योंकि उसी के अनुसार हम अपने जीवन में बुध ग्रह के द्वारा प्रदान किए जाने वाले प्रभावों को समझ सकते हैं. बुध ग्रह साल 2024 में तीन बार वक्री अवस्था में होंगे. साल 2024 में बुध ग्रह अप्रैल, अगस्त और नवंबर में उल्टी चाल चलेंगे, इस दौरान बुध ग्रह कुल 72 दिन वक्री अवस्था में रहेंगे. वक्री बुध की गति कुंडली के सभी 12 भावों को कैसे प्रभावित करेगा. यह जानने के लिए विस्तार से पढ़ें पूरी रिपोर्ट…
प्रथम भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली का लग्न या पहला भाव व्यक्तित्व का प्रतिबिंब यानी आईना होता है. यह व्यक्ति के व्यवहार और विचार करने की क्षमता को प्रदर्शित करता है. पहले भाव से व्यक्ति की कद, शारीरिक स्वास्थ्य और समाज में वह किस रूप में दिखाई देता है, यह पता चलता है. यदि बुध ग्रह पहले भाव यानी लग्न भाव में वक्री हो रहे हैं, तो यह व्यक्ति को आवेगी बनाता है. ऐसे जातक अक्सर जल्दबाजी में निर्णय लेते हैं, जिसका परिणाम प्रतिकूल होता है. इनके मन में विचारों का आवागमन बहुत तीव्र गति से होता है और इनकी बुद्धि बहुत तेजी से चलने लगती है, जिसका प्रयोग करके ये जीवन की समस्याओं का तुरंत समाधान निकाल लेते हैं.
दूसरे भाव में वक्री बुध का प्रभाव
यदि बुध आपके दूसरे भाव में वक्री अवस्था में मौजूद हैं तो कई प्रकार के प्रभाव डालते हैं. किसी जातक की कुंडली में दूसरा भाव धन भाव माना जाता है और इसी को वाणी का भाव भी कहा जाता है. बुध ग्रह को वाणी का कारक माना जाता है. यदि किसी जातक की कुंडली के दूसरे भाव में बुध वक्री हो जाए तो आमदनी और उसकी बचत में तालमेल बिगड़ जाता है. जातक ज्यादा धन बचाने का प्रयास करने के चक्कर में कंजूस हो जाता है. यदि वक्री बुध दूसरे भाव में मौजूद हो तो व्यक्ति को संपत्ति खरीदते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है और ऐसे व्यक्ति को जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए.
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तीसरे भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली का तीसरा भाव साहस, पराक्रम, संचार, बुद्धिमत्ता आदि गुणों का प्रतिनिधित्व करने वाला भाव है, इस भाव से व्यक्ति के भाई बहनों के बारे में भी पता चलता है. बुध वक्री 2024 कैलेंडर के अनुसार, काल पुरुष कुंडली में बुध तीसरे भाव के स्वामी हैं. यदि बुध कुंडली के तीसरे भाव में वक्री स्थिति में है, तो जातक को प्रतिकूल परिणामों का अनुभव हो सकता है, जब 2024 में बुध वक्री होंगे तो जातकों के निजी जीवन में कई प्रकार के परेशानियां आने की संभावना है, इस दौरान आपको बोलते समय सावधानी बरतना होगा. क्योंकि मुख से निकला एक भी गलत शब्द आपकी परेशानियों को और अधिक बढ़ा सकता है.
चौथे भाव में वक्री बुध का प्रभाव
व्यक्ति की कुंडली में चौथा भाव सहजता और संतुष्टि को दर्शाता है और यह भाव जातक की माता के बारे में भी बताता है. जब कुंडली के चौथे भाव में बुध वक्री होते हैं, तो जातक को अपनी माता से सुख और स्नेह का अनुभव होता है. आपको माता अत्यंत बुद्धिमान और ज्ञान से परिपूर्ण होती हैं और जातक को मां की अच्छी सलाह मिलती है. वक्री बुध के चौथे भाव में होने से जातक को संपत्ति का लाभ मिलता है. ये जातक अपनी सुख-सुविधाओं के बारे में विचार करते हुए उन पर अच्छा खर्च भी करते हैं और अपने रिश्ते को मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं.
पांचवां भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली का पांचवां भाव बुद्धि और शिक्षा का भाव माना जाता है. यह हमारी कलात्मक क्षमता और विचारों का भी प्रतिनिधित्व करता है. जीवन में व्यक्ति का किस ओर रुझान रहेगा इसके बारे में भी बताता है. संतान और प्रेम संबंध भी पांचवें भाव के अंतर्गत आते हैं. 2024 में बुध के पांचवें भाव में वक्री होने के कारण जातक के अंदर चंचलता पाई जाती है. वह कुछ हद तक बचकाना हरकतें भी कर सकता है, लेकिन हृदय से अच्छा होता है और किसी का बुरा नहीं सोचता है. यदि बुध पांचवें भाव में वक्री हो जाए तो जातक कुछ नया सीखने को सदैव तत्पर रहता है. ऐसे जातकों में कुछ नया सीखने की जिज्ञासा होती है.
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छठा भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली का छठा भाव बीमारियों, शत्रुओं और विरोधियों का भाव होता है, इसी भाव से व्यक्ति को जीवन में कर्ज लेने का भी पता चलता है. यह भाव जीवन में आने वाली चुनौतियां और संघर्ष को बताता है. यदि कुंडली के छठे भाव में वक्री बुध 2024 में हो तो यह जातक के जीवन में कुछ समस्याएं दे सकता है. ऐसे लोग तर्कसंगत होते हैं और कई बार बेवजह अपने ही वाणी के कारण अपने शत्रु उत्पन्न कर लेते हैं, इसलिए इन जातकों को अपने शब्दों का इस्तेमाल बहुत ही सोच-समझकर करना चाहिए. क्योंकि उनकी बातों का गलत अर्थ निकाला जा सकता है जो झगड़े का रूप ले सकती है.
सातवें भाव में वक्री बुध का प्रभाव
यदि कुंडली के सातवें भाव में बुध वक्री होता है, तो जातक को एक अच्छा जीवन साथी मिलता है जो अपनी बुद्धिमानी से आपको भी अपने सहयोग से आगे बढ़ाने की क्षमता रख सकता है. यदि आपके निजी जीवन में किसी प्रकार की समस्या चल रही है तो उसे दूर करने में यह वक्री बुध आपकी सहायता कर सकता है. वक्री बुध 2024 सातवें भाव में उपस्थित होकर आपके व्यापार में वृद्धि कर सकता है और विदेशों से भी व्यापार करने में आपकी मदद कर सकता है. यह सामाजिक रूप से आपकी छवि को मजबूत बनाता है और आप एक अच्छे व्यक्ति के रूप में समाज में जाने जाते हैं.
आठवें भाव में वक्री बुध का प्रभाव
आठवां घर जीवन में अप्रत्याशित, चौंकाने वाली और विघटनकारी घटनाओं को दर्शाता है. यह संक्रमण का भी भाव है. यह अध्ययन, आध्यात्मिक प्रथाओं के भाव पर भी प्रकाश डालता है. यदि आठवें भाव में वक्री बुध 2024 में स्थित हो तो जातक को साधना में सिद्धि मिलने की संभावना रहती है और वह अपनी साधना में गहराइयों तक पहुंच सकता है. इस भाव में जातक के मानसिक क्षमता का विकास होता है. हालांकि यदि वह व्यक्ति भौतिक सुखों की ज्यादा चाह रखता है तो इस समय में जातक को इनमें कमी महसूस हो सकती है. जातक यदि लोन या कर्ज को चुकाना चाहता है तो उसके लिए यह समय उत्तम होता है, उसे सफलता मिल सकती है.
नौवें भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली का नौवां भाव भाग्य, आध्यात्मिक प्रवृत्ति, लंबी यात्राओं आदि जैसी चीजों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, इससे जातक की आध्यात्मिक उन्नति के बारे में भी पता चलता है. यदि कुंडली के नौवें भाव में बुध विराजमान हो तो व्यक्ति विरोधी स्वभाव का हो सकता है व तुरंत शत्रु बनाता है. वक्री बुध जातक को विद्वान भी बना सकता है और समाज में उसकी पद प्रतिष्ठा को बढ़ाता है. बुध के नौवें भाव में वक्री होने से जातक को धर्म-कर्म और शुभ कर्मों में ज्यादा रुचि रहती है, इसके साथ ही दोस्तों, परिवार और समाज के अन्य सदस्यों के बीच उसका मान सम्मान बढ़ता है.
दसवें भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली के दसवें भाव को बहुत शक्तिशाली भाव माना जाता है. क्योंकि यह भाव किसी व्यक्ति के करियर और कार्यक्षेत्र के वातावरण का प्रतिनिधित्व करता है. यह भाव बिज़नेस पर भी प्रकाश डालता है. दसवें भाव में बुध की वक्री गति जातकों को काम में आने वाली बाधाओं को कम करके अधिक सफल बनाती है. वे इस दौरान प्रभावी ढंग से काम करने और तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगे. बुध की वक्री गति के कारण, जो लोग तनाव से जूझ रहे थे और काम की तलाश कर रहे थे, उन्हें कम तनाव के साथ एक अच्छी नौकरी मिलने का सौभाग्य प्राप्त होगा. इस दौरान जातक के अपने वरिष्ठ अधिकारियों से भी अच्छे संबंध बनेंगे, जो उन्हें नौकरी में अच्छा सहयोग प्रदान करेंगे.
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ग्यारहवें भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली का ग्यारहवां भाव प्राप्ति और महत्वाकांक्षाओं का भाव है, इस भाव को लाभ और आय भाव भी कहा जाता है. यदि वक्री बुध 2024 में ग्यारहवें भाव में आ जाए तो उसकी वजह से जातक के सामाजिक दायरे में उतार-चढ़ाव आ सकता है. साल 2024 में बुध ग्रह के वक्री होने पर दोस्तों से भी आपकी गलतफहमी उत्पन्न होगी, जिससे झगड़े की नौबत भी आ सकती है. ग्यारहवें भाव में बुध की वक्री स्थिति के परिणामस्वरूप आपकी आमदनी में उतार-चढ़ाव होगा. यदि बुध की वक्री स्थिति अनुकूल है तो इस भाव में गोचर के समय में जातक की आमदनी में वृद्धि देखने को मिलती है और जातक समाज में अपनी छवि के लिए बहुत ज्यादा सजग हो जाता है.
बारहवें भाव में वक्री बुध का प्रभाव
कुंडली का बारहवां भाव पृथक्करण, विदेशी भूमि और व्यय का प्रतिनिधित्व करता है. यह अस्पतालों, जेलों आदि से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित करता है. यदि बारहवें भाव में वक्री बुध 2024 अपनी प्रतिकूल स्थिति में विराजमान हो तो जातक को अनिद्रा की समस्या, आंखों के रोग और अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ जाती है, इसके अलावा जातक को गलत कार्यों की वजह से वह जेल भी जा सकता है. यदि बुध अनुकूल स्थिति में वक्री हो रहा है और द्वादश भाव में स्थित हो तो जातक का झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की ओर तेजी से बढ़ता है और जातक भौतिक सुखों से थोड़ा दूर हो जाता है. बारहवें भाव में बुध वक्री होने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है.
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