Guruwar Aarti: भगवान बृहस्पति की आरती से दूर होंगे सारे दुख, कष्ट-पाप मिटेंगे

Guruwar Aarti: गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति की पूजा का काफी महत्व रहता है. जिन लोगों के विवाह में किसी प्रकार की समस्या होती है या किसी प्रकार की देरी होती है, उन लोगों को गुरुवार का व्रत करना चाहिए. हालांकि आप गुरुवार के दिन विधि विधान से आरती (Aarti) करके भी बृहस्पतिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2022 5:08 AM
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Guruwar Aarti: गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति का होता है और इस दिन उनकी पूजा का विधान है. वहीं इस दिन मां लक्ष्मी और और विष्णु भगवान की साथ में पूजा करने से परिवार में सुख समृद्धि आती है. गुरु की कृपा से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है, रिश्ते मधुर रहते हैं. जिन लोगों के विवाह में किसी प्रकार की समस्या होती है या किसी प्रकार की देरी होती है, उन लोगों को गुरुवार का व्रत करना चाहिए. हालांकि आप गुरुवार के दिन विधि विधान से आरती (Aarti) करके भी बृहस्पतिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं.

श्री बृहस्पतिवार की आरती- ॐ जय बृहस्पति देवा-

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।

छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।

विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

श्री बृहस्पतिवार की आरती- ॐ जय बृहस्पति देवा-

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।

छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।

विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

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