Nandigram Amphan Cyclone: बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में हॉटसीट नंदीग्राम में वोटिंग हुई. इस सीट से टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और बीजेपी के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी चुनावी मैदान में हैं. नंदीग्राम का विजेता कौन बनेगा इसका पता दो मई को चलेगा. लेकिन, नंदीग्राम क्यों चर्चित है? इसका दर्द क्या है? प्रभात खबर ने नंदीग्राम की ग्राउंड पर जाकर हालात का जायजा लिया. इस दौरान हमें अम्फान पीड़ित मिले और उनका दर्द भी दिखा. हमने आज भी मदद का इंतजार करते पीड़ितों को देखा. आज भी उनके कानों में चुनावी वायदे गूंज रहे हैं और आंखें इंतजार कर रही हैं.

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नंदीग्राम के हरिपुर गांव के पीड़ितों का दुख…

बंगाल चुनाव में नंदीग्राम की खूब चर्चा है. इसे बंगाल चुनाव का हॉटसीट कहा जा रहा है. इसी हॉटसीट नंदीग्राम का एक छोटा और खूबसूरत गांव है हरिपुर. आज भी 2019 में आए अम्फान तूफान का असर गांव के पेड़ से लेकर लोगों के चेहरे पर है. शक्तोपद साहू के परिवार के सिर से छत छिन गई. तूफान गुजरा और शक्तोपद साहू के परिवार ने बांस-बल्ला और प्लास्टिक के आसरे सिर छिपाने का जुगाड़ किया. तूफान के दौरान मकान में 12 लोग थे. भगवान का शुक्र कहिए कि सभी सुरक्षित हैं. पीड़ित परिवार ने मंदिर में सिर छिपाया. चार-पांच दिनों में शक्तोपद साहू के परिवार ने लोगों की मदद से घर बनाया.


आज भी पीड़ित परिवार को है मदद का इंतजार…

शक्तोपद की मानें तो उनके तीनों बेटे काम करते हैं. उसी से उनका परिवार चलता है. अम्फान तूफान के गुजरने के बाद सरकार ने मदद का भरोसा दिया. लेकिन, कुछ नहीं हाथ आया. कहा गया कि आर्थिक मदद मिलेगी. उन्हें पैसे की सख्त जरूरत थी, आज भी है. आज भी उम्मीद है कि सरकार हमारी सुध लेगी. सब व्यर्थ हो गया. अम्फान तूफान तो भगवान की मर्जी थी. लेकिन, मदद की बात कहकर भी मुंह मोड़ लेने के पीछे कौन है? सरकार के अपने दावे हैं. नेताओं के अपने दावे हैं. आज भी उन्हें मदद का इंतजार है.

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पीएम मोदी और अमित शाह का टीएमसी पर आरोप

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव प्रचार में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह टीएमसी सरकार पर अम्फान पीड़ितों का मुद्दा उठाते रहे हैं. बीजेपी नेताओं की मानें तो अम्फान पीड़ितों की मदद के लिए करोड़ों रुपए भेजे गए थे. हर पीड़ित परिवार को दस-दस हजार रुपए देने का एलान किया गया. बंगाल की ममता सरकार ने जरूरतमंदों तक पैसे नहीं पहुंचने दिए. पीड़ितों की मदद के लिए भेजे गए रुपए भाइपो एंड कंपनी ने खा लिया. अम्फान पीड़ितों तक मदद की राशि नहीं पहुंचने दी गई.