Depfake: आए दिन कोई ना कोई सिलिब्रिटी डीपफेक के शिकार हो रहें है. आपको बता दें टाटा ग्रुप के मुखिया रतन टाटा, इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति सहित रश्मिका मंदाना, काजोल, कैटरीना कैफ, आलिया भट्ट सहित कई और शख्सियत भी डीपफेक की शिकार हो चुकी हैं और ऐसे में समय-समय पर इन्हें सामने आकर अपना स्टैंड भी क्लियर करना पड़ा है.

सचिन भी डीपफेक के शिकार 

अब टीम इंडिया के पूर्व महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने एक डीपफेक वीडियो का भंडाफोड़ किया है. इस डीपफेक वीडियो में दिखाया गया है कि उनकी बेटी सारा तेंदुलकर ऑनलाइन वीडियो गेम के जरिए काफी कमाई करती हैं. वीडियो में खुद सचिन यह बात बताते हुए दिख रहे हैं. ऐसे में सचिन ने एक्स ( पुराना नाम ट्विटर ) पर एक वीडियो शेयर करते हुए इसे डीपफेक बताया और कहा कि यह पूरी तरह फर्जी है. उन्होंने कहा कि ऐसे वीडियो की रिपोर्ट की जानी चाहिए और इसपर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए.

टेक्नोलॉजी का इस प्रकार का दुरुपयोग बिल्कुल गलत – सचिन

सचिन ने लिखा – “टेक्नोलॉजी का इस प्रकार का दुरुपयोग बिल्कुल गलत है. आप सब से विनती है के ऐसे वीडियो या ऐप या विज्ञापन आपको अगर नजर आए तो उन्हें तुरंत रिपोर्ट करें. सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को भी सावधान रहना चाहिए और इनके खिलाफ की गई शिकायत पर जल्द से जल्द एक्शन लेना चाहिए. उनकी भूमिका इस बारे में बहुत जरूरी है ताकि गलत सूचना और खबरों को रोका जा सके और डीपफेक का दुरुपयोग खत्म हो.”


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जानें क्या है डीप फेक

डीपफेक एक प्रकार का एआई आधारित तकनीक है, जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति के चेहरे को किसी अन्य व्यक्ति के चेहरे के साथ बदलने के लिए किया जाता है. इस तकनीक के इस्तेमाल से व्यक्ति को किसी भी तरह का गलत कंटेंट फीड किया जाता है. दूसरे शब्दों में कहें, तो डीप फेक अपने सबसे सामान्य रूप में ऐसे वीडियो होते हैं जहां एक व्यक्ति के चेहरे को कंप्यूटर जनित चेहरे से बदल दिया गया होता है. ये वीडियो डिजिटल सॉफ्टवेयर, मशीन लर्निंग और फेस स्वैपिंग का उपयोग करके बनाये गये कृत्रिम वीडियो होते हैं.

डीप फेक को लेकर भारत में ये है कानून

वर्तमान में भारत में डीप फेक के लिए विशिष्ट रूप से कोई कानून नहीं है, परंतु कई अन्य कानून हैं, जिसकी सहायता से इस साइबर अपराध से निपटा जा सकता है. इनमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66ई और धारा 66डी जैसे कानूनी प्रावधानों के अतिरिक्त, भारतीय कॉपीराइट अधिनियम 1957 की धारा 51 भी शामिल है.

  1. धारा 66ई : सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की यह धारा डीप फेक के जरिये जनसंपर्क माध्यमों में किसी व्यक्ति की फोटो को कैप्चर, प्रकाशित या प्रसारित करने और उस व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन करने से संबंधित है. इस कानून के तहत इस तरह के अपराध के लिए तीन वर्ष तक की कैद या दो लाख के जुर्माने का प्रावधान है.

  2. धारा 66डी : धारा 66डी कहती है कि जब किसी संचार उपकरणों या कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग धोखाधड़ी करने के इरादे से किया जाता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति पर मुकदमा होना चाहिए. इस प्रावधान के तहत अपराध करने पर तीन वर्ष तक की कैद और/ या एक लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है.

  3. भारतीय कॉपीराइट अधिनियम 1957 : इस अधिनियम की धारा 51 के तहत, किसी अन्य व्यक्ति के किसी भी कार्यों का अनधिकृत रूप से उपयोग करना, जिस पर उस व्यक्ति का विशेषाधिकार है, इस कानून का उल्लंघन माना जायेगा. इस तरह, यह कॉपीराइट के स्वामियों को कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति देता है. डीप फेक से संबंधित विशिष्ट कानून के न होने के बावजूद, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नौ जनवरी, 2023 को एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें मीडिया संगठनों से छेड़छाड़ की गयी सामग्री पर लेबल लगाने और सावधानी बरतने का आग्रह किया गया था.

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